Tuesday, May 21, 2013

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श्रीसंत का फंसना ईश्वर की देन: फिल्म निर्देशक

स्पॉट फिक्सिंग मामले ने जहां गेंदबाज़ श्रीसंत की नींद उड़ा दी है, वहीं एक फिल्म निर्देशक श्रीसंत के फंसने को ईश्वर का तोहफा मान रहे है. पढ़िए बीबीसी की ख़ास ख़बर.

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तो हीरोइन के बग़ैर फिल्म बनाइए: दीपिका

हिंदी फिल्मों में हीरोइन की भूमिका को लेकर अक्सर बहस होती है. ऐसे में मौजूदा दौर की अभिनत्री दीपिका पादुकोण क्यों कह रही है कि हीरोइन के बग़ैर फिल्म बनाइए?

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FeedaMail: BBCHindi.com | विज्ञान-टेक्नॉलॉजी

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दिन भर

भारत में शाम साढ़े सात बजे

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अमरीका-जापान पर सवाल उठाता चीनी मीडिया

ली के भारत दौरे को मीडिया में अच्छी कवरेज मिल रही है लेकिन उनकी आवाजों में उठ रहे अतंर को महसूस किया जा सकता है. चीनी मीडिया में इसे खासी वरीयता दी जा रही है, वहीं भारतीय अखबारों का सुर अलग है.

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महिलाओं में स्तन कैंसर का ख़तरा कितना?

एंजलीना जोली के ऑपरेशन के बाद स्तन कैंसर को लेकर दुनिया भर में नए सिरे बहस छिड़ी हुई है. आम तौर पर महिलाओं में स्तन कैंसर का ख़तरा कितना होता है? एक विशेष रिपोर्ट.

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हवा निकल गई विशालकाय बत्तख की!

हांगकांग के बंदरगाह की शान बनी विशालकाय बत्तख की हवा अचानक निकल गई. लेकिन कैसे?

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दफ़्तर में थोड़ा 'पागलपन जरूरी' है

आप अपने दफ़्तर कुछ थोड़े पागल या सनकी लोगों से परेशान हैं ? या आपके साथ काम करने वाले आपसे परेशान हो उठते है ? तो आपको यह ख़बर पढ़ना चाहिए.

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ओकलाहोमा में तबाही का चक्रवात

अमरीकी राज्य ओकलाहोमा में एक ज़बरदस्त चक्रवात ने भयंकर तबाही मचाई है. 320 किमी प्रतिघंटा की रफ़्तार से चलती हवाओं ने कई इलाकों को बर्बाद कर दिया है.

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उफ़ ये गर्मी

भारत के अधिकांश इलाके आजकल भीषण गर्मी की चपेट में हैं. कहीं-कहीं तो पारा 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है. ऐसे में गर्मी से बचने के लिए लोग तरह-तरह की तरकीबें अपना रहे हैं.

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'30 सेकेंड में होगा मोबाइल चार्ज'

18 वर्षीय भारतीय मूल की अमरीकी छात्रा ईशा ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जिससे एक मोबाइल फोन 20-30 सेकेंड में पूरा चार्ज हो जाएगा. इसके लिए उन्हें 50,000 डॉलर इनाम में मिले हैं.

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फूल खिले हैं गुलशन गुलशन

लंदन में इन दिनों फूलों की बहार है. आज से वहां चेल्सी फ्लॉवर शो शुरु हो रहा है.

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चीनी हैकरों के निशाने पर फिर आया अमरीका

चीनी सेना द्वारा अमरीका में किए जा कथित हमलों पर अमरीका के शोर मचाने के बाद कमी आई थी. लेकिन अमरीकी साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी हैकरों ने नए फिर अमरीका के ऊपर चढ़ाई कर दी है.

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'वाजिब है अफ़ग़ानिस्तान की मदद करना'

पूर्व भारतीय राजनयिक विवेक काटजू कहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान इस वक्त नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है भारत को उसकी मदद करनी चाहिए.

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हाथ मिलाकर दुनिया जीत लेंगे भारत-चीन?

चीन और भारत की तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं अगर हाथ मिला लें तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर किस तरह अपना वर्चस्व क़ायम कर सकती हैं. विश्लेषकों की राय के आधार पर पढ़िए एक आकलन.

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FeedaMail: Jagran Hindi News - entertainment:box-office

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उत्तर भारत में खूब चली औरंगजेब, कमाए 13 करोड़

अतुल सभरवाल की फिल्म औरंगजेब की कहानी गुड़गांव की थी। हो सकता है इसी वजह से दिल्ली और उसके आसपास के दर्शकों ने इसे अधिक पसंद किया। उत्तर भारत के अन्य शहरों में भी इसे मुंबई और पश्चिम भारत की तुलना में अधिक दर्शक मिले। इन दिनों कामयाब फिल्मों के कलेक्शन का पैटर्न है कि शनिवार का कलेक्शन शुक्रव

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FeedaMail: Jagran Hindi News - entertainment:bollywood

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क्या 'धड़कन 2' में भी अपना रंग जमाएंगे अक्षय कुमार?

एक्शन और कॉमेडी फिल्मों के सीक्वल तो काफी बने हैं, लेकिन रोमांटिक फिल्मों का सीक्वल बनाना कठिन काम है। इस चुनौती भरे काम को पूरा करने का बेरा निर्माता धर्मेश दर्शन ने उठाया है। धर्मेश दर्शन साल 2000 की हिट फिल्म 'धड़कन' का सीक्वल लेकर आ रहे हैं, लेकिन अब सवाल ये है कि 'धड़कन 2' में भी क्या वे फिल्म के लकी चार्म अक्ष

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उत्तर भारत में खूब चली औरंगजेब, कमाए 13 करोड़

अतुल सभरवाल की फिल्म औरंगजेब की कहानी गुड़गांव की थी। हो सकता है इसी वजह से दिल्ली और उसके आसपास के दर्शकों ने इसे अधिक पसंद किया। उत्तर भारत के अन्य शहरों में भी इसे मुंबई और पश्चिम भारत की तुलना में अधिक दर्शक मिले। इन दिनों कामयाब फिल्मों के कलेक्शन का पैटर्न है कि शनिवार का कलेक्शन शुक्रव

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अमिताभ की पूरी शूटिंग देखते थे राजीव

बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती के बारे तो आप सभी जानते होंगे। राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन का बचपन एक साथ ही बीता है। दोनों की दोस्ती बहुत गहरी थी। ऐसा कहा जाता है अमिताभ की मां तेजी बच्चन और पिता हरिवंश राय बच्चन के देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से करी

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सलमान ने सेहरा पहनने का बनाया मन

शादी की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही कई प्रेम संबंधों के टूटने के बाद लगता है कि इस बार बॉलीवुड के सबसे चहेते और योग्य कुंआरे सलमान खान ने सेहरा पहनने का पक्का मन बना लिया है। दरअसल, 47 बरस के हो चुके सल्लू का दो साल से रोमानियाई टीवी एंकर लूलिया वंटूर से रोमांस परवान चढ़ते दिख रहा है।

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दीपिका को शाहरुख की दोस्ती पर है पूरा भरोसा

बॉलीवुड की खूबसूरत एक्ट्रेस दीपिका ने इस खबर को गलत बताया है कि शाहरुख उन्हें कभी फिल्म 'ये जवानी दीवानी' के प्रमोशन पर जाने से मना किया है। दीपिका ने बताया कि शाहरुख कभी इस तरह की बात नहीं कह सकते। यह खबर एकदम गलत है। शाहरुख खान ऐसे एक्टर हैं जो हौसला अफजाई करते हैं। उन्हें मुझ पर और मेरी उपलब्धियों

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सीधी साधी प्राची अब होंगी बोल्ड..

प्राची देसाई ने फैसला किया है कि अब वे हॉट और सेक्सी गर्ल का किरदार निभाएंगी। दरअसल, स्मॉल स्क्रीन से बिग स्क्रीन और अब तक फिल्मों में साफ-सुथरी भूमिकाएं निभाने वाली प्राची देसाई समझ चुकी हैं कि शीर्ष अभिनेत्रियों से मुकाबला करना है तो गर्ल नेक्स्ट डोर की इमेज से

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पर्दे पर आग लगाएगी सनी लियोन-इमरान हाशमी की जोड़ी

चढ़ते सूरज को हर कोई प्रणाम करता है। खासकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में यह दस्तूर बेहद पुराना और नतीजे देने वाला माना जाता है। सनी लियोन को भट्ट कैंप ने 'जिस्म 2' में लॉन्च क्या किया, कई फिल्मकार उनके पीछे पड़ चुके हैं। एकता कपूर ने तो उन्हें अपनी फिल्म 'रागिनी एम्

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कॉन फिल्म फेस्टिवल में भी जिस्म दिखाने से बाज नहीं आई शर्लिन

एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा अपनी बोल्ड और हॉट इमेज के साथ-साथ अपनी कंट्रोवर्सी को लेकर हमेशा न्यूज में रहती हैं। अभी पिछले हफ्ते ही उन्होंने यह एलान किया था कि इस बार 66 वें कॉन फिल्म समारोह के दौरान वह सात दिन अलग-अलग ऐसी ड्रेसेज पहनेंगी। जिनके जरिए वो भारतीय परंपराओं को वो दुनिया के सामने शो केस क

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अंदाज अपना-अपना के सीक्वल में साथ होंगे आमिर-सलमान

कॉमेडी फिल्म अंदाज अपना अपना की खान जोड़ी को आप एक बार फिर एक साथ देख सकते हैं। खबर है निर्माता विनय कुमार सिन्हा अंदाज अपना अपना का सीक्वल बनाना चाहते हैं। सब कुछ ठीक रहा तो फिल्म की शूटिंग इसी साल दिसंबर से शुरू हो सकती है। 1

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प्रॉस्टिट्यूट बनकर वीना ने किया फिल्म का प्रमोशन

मुंबई। पाकिस्तानी एक्ट्रेस वीना मलिक आजकल अपनी आने वाली फिल्म जिंदगी 50-50 के प्रमोशन में जुटी हैं। वीना मलिक हर काम अलग तरीके से करने में विश्वास करती हैं। अपनी फिल्म का प्रमोशन भी वो अलग अंदाज में करती दिख रही हैं।

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धौनी की पत्नी साथ क्या कर रहे विंदू

विंदू दारा सिंह मुंबई में हो रहे आईपीएल मैच देखने पहुंचे। मैच मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच हो रहा था, पर शायद सब लोग मैच देखने में इतने मसरूफ थे कि किसी की नजर विंदू और उनके साथ बैठी धौनी की पत्नी साक्षी पर नहीं गई।

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फिल्मों में असफल विंदू चले फिक्सिंग से पैसा कमाने

नई दिल्ली। दिवगंत अभिनेता और सांसद दारा सिंह के बेटे विंदू सिंह को आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया है।

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स्मार्टफोन में तब्दील होगी हथेली

हथेली पर सरसों जमाना तो असंभव है। लेकिन कल्पना कीजिए अगर आपकी हथेली स्मार्टफोन में तब्दील हो जाए तो कैसा लगेगा।

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UN News Centre - Women, Children, Population


UN News Centre - Women, Children, Population


UN chief promotes education, gender empowerment during final day of Mozambique visit
Secretary-General Ban Ki-moon today commended the Government and people of Mozambique for steady progress in political development, but urged greater efforts to overcome human rights challenges, including discrimination and violence against women, through education and awareness-raising. 


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नाडालचे 'सप्तसूर'

 सर्वोत्तम प्रतिस्पर्धी स्वित्झर्लंडलडच्या रॉजर फेडररला ६-१, ६-३ असे हरवत स्पेनच्या राफाएल नाडालने रोम मास्टर्सच्या पुरुष एकेरीचे जेतेपद पटकावले.

रोम - सर्वोत्तम प्रतिस्पर्धी स्वित्झर्लंडलडच्या रॉजर फेडररला ६-१, ६-३ असे हरवत स्पेनच्या राफाएल नाडालने रोम मास्टर्सच्या पुरुष एकेरीचे जेतेपद पटकावले. त्याचे नऊ वर्षातील हे सातवे जेतेपद आहे.

'क्ले कोर्ट'चे राजे आहोत,' हे नाडालने रविवारी पुन्हा एकदा दाखवून दिले. दुखापतीमुळे सात महिने विविध स्पर्धात त्याला खेळता आले नव्हते. परिणामी या स्पर्धेत त्याला पाचवे सीडिंग होते. तरीही त्याने दुस-या सीडेड फेडररवर पूर्णपणे वर्चस्व गाजवले.

पहिला सेट नाडालने केवळ २३ मिनिटांत जिंकला. दुस-या सेटमध्ये फेडररची सव्‍‌र्हिस पुन्हा मोडताना ५-२ अशी आघाडी घेतली. त्यानंतर सेटसह जेतेपदही मिळवले. कारकीर्दीतील ५६ जेतेपदांपैकी नाडालचे हे २४वे रोम मास्टर्स जेतेपद आहे.

महिला एकेरीत सेरेनाची बाजी

बेलारुसच्या व्हिक्टोरिया अझारेंकावर ६-१, ६-३ अशा फरकाने सहज विजय मिळवत डब्ल्युटीए रँकिंगमध्ये अव्वल स्थानी असलेल्या अमेरिकेच्या सेरेना विल्यम्सने महिला एकेरीचे जेतेपद पटकावले. पहिल्या सेटमध्ये तीन वेळा सेरेनाने प्रतिस्पर्धीची सव्‍‌र्हिस भेदली. सेरेनाचा हा सलग २४वा विजय आहे. तसेच दुसरे रोम मास्टर्स जेतेपद आहे. यापूर्वी २००२ मध्ये ती विजेती ठरली होती. या जेतेपदासह सेरेनाने कारकीर्दीतील एकूण जेतेपदांची संख्या
५१वर नेली.

भूपती-बोपण्णाला उपविजेतेपद
महेश भूपती आणि रोहन बोपण्णाला पुरुष दुहेरीत उपविजेतेपदावर समाधान मानावे लागले. सहाव्या सीडेड भूपती-बोपण्णाला अंतिम लढतीत अमेरिकेच्या ब्रायन बंधूंकडून २-६, ३-६ असे पराभूत व्हावे लागले.

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पृथ्वीजवळ येणार महाकाय लघुग्रह

या महिन्याच्या शेवटी पृथ्वीच्या जवळून एक महाकाय लघुग्रह जाणार आहे.

या महिन्याच्या शेवटी पृथ्वीच्या जवळून एक महाकाय लघुग्रह जाणार आहे. '१९९८ क्यूई२' नावाचा हा लघुग्रह सुमारे २.७ किलोमीटर आकाराचा किंवा 'क्वीन एलिझाबेथ' या महाकाय जहाजासारखी नऊ जहाजे मावतील एवढय़ा क्षेत्रफळाचा असल्याचे मानले जाते. हा लघुग्रह पृथ्वीपासून ५८ लाख किलोमीटर इतक्या अंतरावरून निघून जाणार आहे.

हा लघुग्रह पृथ्वीच्या इतक्या जवळून आल्यामुळे या लघुग्रहाची अतिशय स्पष्ट प्रतिमा मिळवणे शक्य होणार आहे, असे नासाच्या रडार प्रतिमा घेणाऱ्या विभागाच्या संशोधकांनी सांगितले आहे. कोणताही लघुग्रह जेव्हा पृथ्वीच्या इतक्या जवळ येतो, तेव्हा त्याचा आकार, फिरण्याची वैशिष्टये आणि त्याबाबतची इतर माहिती अधिक सविस्तर मिळवता येते.

हा लघुग्रह इतक्या जवळ आल्यामुळे अतिशय संवेदनशील असलेल्या रडारद्वारे सुमारे ४० लाख मैलांवर असलेल्या या लघुग्रहाच्या प्रतिमा केवळ ३.७५ मीटर अंतरावरून घेतलेल्या प्रतिमांप्रमाणे असणार आहेत. त्यामुळे इतक्या कमी अंतरावरून या प्रतिमांच्या साहाय्याने मिळणाऱ्या माहितीबाबत शास्त्रज्ञांमध्ये उत्सुकता आहे.

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दरडग्रस्त यंदाही मृत्यूच्या छायेखाली

डोंगरांच्या कुशीत बेकायदा बांधकामांना पेव . ठाणे महापालिकेने मात्र  या गोष्टी कडे दुर्लक्ष केले आहे.

ठाणे - महापालिका क्षेत्र एकीकडे संजय गांधी राष्ट्रीय अभयारण्य आणि दुसरीकडे पारसिक डोंगराने वेढले आहे. या डोंगराशेजारी हजारो नागरिक झोपडया, चाळीत राहात आहेत. मात्र दरवर्षी पावसाळय़ात या परिसरात दरड कोसळण्याची भीती असते. त्यामुळे यंदाच्या पावसाळयातही ही भीती येथील रहिवाशांच्या मनात कायम आहे. महापालिका दरवर्षी पावसाळयापूर्वी या परिसरातील रहिवाशांना नोटिस देऊन धोक्याची सूचना देते, मात्र त्यापलीकडे कोणतीच कारवाई होत नाही.

ठाण्याचा मोठा भाग संजय गांधी राष्ट्रीय अभयारण्याने वेढला गेला आहे. श्रीनगर, किसननगर, लोकमान्य नगर कोकणीपाडा आदी परिसर या अभयारण्याला खेटूनच आहेत. घोडबंदर रोडवरील पातलीपाडा हा भागही डोंगराजवळ आहे. पारसिक डोंगराजवळ आतकोणेश्वर नगर, वाघोबानगर वसले आहे. मुंब्य्रातही बायपासजवळील डोंगरालगत मोठया प्रमाणात झोपडया आहेत. भूखंडमाफिया, सरकारी अधिकारी, एमएसईबी, महापालिका अधिका-यांच्या अभद्र युतीमुळे सरकारी जमिनीवर अनेक वर्षापासून बांधकामे झाली आहेत. येथील चाळी, झोपडयात राहणा-या नागरिकांना पाणी, वीज इत्यादीसारख्या सुविधा पुरवण्यात आल्या आहेत. राजकीय वरदहस्त लाभल्याने अनेक वर्षापासून ही बांधकामे उभी आहेत.

मुंब्रा बायपासजवळील नेताजी चाळीवर दरड कोसळली होती. वाघोबा नगरमधील एका झोपडीवरही मागील वर्षी दरड कोसळली होती. घोडबंदर रोडवरील पातलीपाडा आदी परिसर डोंगरावर वसल्याने येथेही दरवर्षी दरडी कोसळण्याच्या घटना घडत आहेत. या घटनांनंतरही या परिसरातील नागरिक जीव मुठीत घेऊन जगत आहेत. यातील अनेक झोपडया, चाळी १९९५पूर्वीच्या असल्याने त्यांच्यावर कारवाई करताना कायदा आडवा येतो. त्यामुळे या बांधकामांवर कारवाई करणे सध्या तरी शक्य नाही. त्यामुळे दरवर्षी या परिसरात राहणा-या नागरिकांना पावसाळयात जीव मुठीत घेऊन जीवन जगावे लागते.

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स्पॅनिश ला लिगा जेतेपदावर बार्सिलोनाची मोहोर

व्हॅलाडोलिडवर २-१ असा विजय मिळवत बार्सिलोनाने स्पॅनिश ला लिगा जेतेपदावर मोहोर उठवली.

माद्रिद - व्हॅलाडोलिडवर २-१ असा विजय मिळवत बार्सिलोनाने स्पॅनिश ला लिगा जेतेपदावर मोहोर उठवली. रविवारी झालेल्या लढतीत पावसाने व्यत्यय आणला तरी बार्सिलोनाने सातत्य राखले. पेट्रो रॉड्रिग्जसह मार्क व्हॅलियंतेच्या स्वंयगोलने बार्सिलोनाना तारले.

रविवारच्या लढतीसाठी बार्सिलोनाने 'स्टार' फुटबॉलपटू लिओनेल मेसी, दानी अल्वेसला विश्रांती दिली होती. दुखापतग्रस्त मेसी आणि अल्वेस खेळले नसले तरी व्हिक्टर वॅल्डेस आणि जेवियर मॅस्केरॅनोच्या पुनरागमनामुळे बार्सिलोना संघ मजबूत झाला होता. २१व्या मिनिटाला प्रेडोने बार्सिलोनाचे खाते उघडले. तेवढीच आघाडी राखण्यात त्यांना यश येईल, असे वाटले. मात्र मध्यंतरापूर्वी तीन मिनिटे आधी व्हॅलियंतेच्या स्वंयगोलने बार्सिलोनाची आघाडी वाढवली.

बार्सिलोनाच्या आक्रमणासह बचाव फळीने चांगली कामगिरी करताना व्हॅलाडोलिडला गोल करण्यापासून रोखले. मात्र शेवटच्या मिनिटांत त्यांची बचावफळी मोडून काढण्यात व्हिक्टर पेरेझला यश आले. मिळालेल्या पेनल्टीचा फायदा उठवत पेरेझने बार्सिलोनाची आघाडी कमी केली. मात्र बरोबरी साधण्यात व्हॅलाडोलिडला अपयश आले. पावसामुळे कँप नोउ स्टेडियमच्या प्रेक्षक क्षमतेच्या तुलनेत या लढतीला कमी उपस्थिती लाभली. स्टेडियमची प्रेक्षक क्षमता ९९,३५४ इतकी आहे. मात्र रविवारी ५६,०५५ प्रेक्षक उपस्थित होते.

आता लक्ष्य गुणांच्या शतकांचे
जेतेपद मिळवले तरी बार्सिलोनाला गुणांचे 'शतक' खुणावत आहे. ३६ सामन्यांतून त्यांचे ९४ गुण झालेत. त्यात ३० विजयांचा समावेश आहे. बार्सिलोनाला या स्पर्धेत १०० गुण मिळवण्याची संधी आहे. स्पॅनिश ला लिगामध्ये १०० गुण मिळवण्याचा विक्रम रेआल माद्रिदच्या नावावर आहे. गेल्या मोसमात त्यांनी गुणांचे 'शतक' लगावले होते. या मोसमात त्यांना ३६ लढतींमध्ये ८१ गुण मिळवता आलेत.


लिव्हरपूलचा कॅरॅघरला 'विजयी' निरोप

कमकुवत क्वीन्स पार्क रेंजर्सवर (क्युपीआर) १-० अशी मात करत लिव्हरपूलने सवरेत्तम डिफेंडर जॅमी कॅरॅघरला 'विजयी' निरोप दिला. इंग्लिश प्रिमियर लीगमधील रविवारी झालेल्या सामन्यातील एकमेव गोल फिलिपे काटिन्होने केला. कॅरॅघरचा हा शेवटचा सामना होता.

चेल्सी, लिव्हरपूलचे विजय
अन्य लढतींमध्ये चेल्सीने एव्हर्टनवर २-१ आणि आर्सेनलने न्यूकॅसल युनायटेडवर १-० अशी मात केली. हुआन माटा (७व्या मिनिटाला) आणि फर्नाडो टोरेसने (७६व्या मिनिटाला) चेल्सीच्या विजयात मोलाचा वाटा उचलला.

एव्हर्टनतर्फे एकमेव गोल स्टीव्हन नैस्मिथने १४ व्या मिनिटाला केला. लॉरेंट कोशिएल्नीचा (५२व्या मिनिटाला) एकमेव गोल न्यूकॅसविरुद्ध आर्सेनलला तारून गेला. या विजयासह प्रिमियर लीगमध्ये चौथे स्थान राखताना ते चँपियन्स लीगसाठी पात्र ठरले. सलग १५व्यांदा आर्सेनल लीगसाठी पात्र ठरले. चेल्सी आणि लिव्हरपूलने विजय मिळवले तरी मँचेस्टर सिटीला पराभवाचा धक्का बसला नॉर्विच सिटीने त्यांना ३-२ असे हरवले. जॅक रॉडवेलचे दोन गोल व्यर्थ ठरले.

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डोंबिवलीतील स्मशानभूमी धोकादायक अवस्थेत

शहराच्या पश्चिमेकडील स्मशानभूमीतील सिमेंटच्या पिलरला तडे गेल्याने हा पिलर पडून अपघात होण्याची शक्यता निर्माण झाली आहे.स्मशानभूमीची दुरुस्ती करण्यात यावी, अशी मागणी स्थानिक करत आहेत. 

डोंबिवली - शहराच्या पश्चिमेकडील स्मशानभूमीतील सिमेंटच्या पिलरला तडे गेल्याने हा पिलर पडून अपघात होण्याची शक्यता निर्माण झाली आहे. मात्र, याकडे स्थानिक लोकप्रतिनिधी व पालिका प्रशासनाचे दुर्लक्ष होत असल्याने नागरिकांमध्ये तीव्र नाराजी पसरली आहे. धोकादायक अवस्थेत असलेल्या स्मशानभूमीची दुरुस्ती करण्यात यावी, अशी मागणी स्थानिक करत आहेत. 

दिवंगत खासदार प्रकाश परांजपे यांच्या खासदार निधीतून १२ वर्षापूर्वी जुनी डोंबिवली येथे स्मशानभूमी बांधण्यात आली होती. या स्मशानभूमीच्या देखभाल-दुरुस्तीकडे महापालिका प्रशासन कानाडोळा करत असल्याने स्मशानभूमीची दुरवस्था झाली आहे, असा आरोप स्थानिकांनी केला आहे.

स्मशानभूमीच्या छतावरचे पत्रे गंजलेले असून, तुटलेल्या अवस्थेत आहेत. जोराच्या वा-याने हे पत्रे खाली कोसळण्याची शक्यता आहे. पत्रे तुटल्याने पावसाळयात नागरिकांना गैरसोयींचा सामना करावा लागतो. स्मशानभूमीतील सिमेंटच्या पिलरला मोठे तडे गेल्याने हा पिलर पडून अपघात होण्याची भीती व्यक्त केली जात आहे. येथे एखादा अपघात झाल्यास त्याला जबाबदार कोण, असा संतप्त सवाल स्थानिक रहिवासी जगदीश ठाकूर यांनी केला आहे.

सध्या, ही स्मशानभूमी धोकादायक अवस्थेत असल्याने नागरिकांमध्ये भीतीचे वातावरण पसरले आहे. स्मशानभूमीत अंत्यसंस्कारासाठी लागणारी लाकडे व इतर कोणतेही साहित्य उपलब्ध नाही. त्यामुळे अंत्यसंस्काराचे सर्व सामान बाहेरून आणूनच अंत्यसंस्काराचा विधी करावा लागतो. स्मशानभूमीत साफसफाई केली जात नसल्याने, नागरिकांना अस्वच्छतेला तोंड द्यावे लागत असल्याचे रहिवासी काशिनाथ ठाकूर यांनी सांगितले. दरम्यान, स्मशानभूमीसाठी अंदाजपत्रकात लाखो रुपये खर्च करण्यात येतो. मात्र, हा निधी कुठे जातो असा प्रश्नही रहिवासी उपस्थित करत आहेत.

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विजेंदर म्हणतो, दु:स्वप्न संपले!

दु:स्वप्न संपले! पुन्हा सर्वसामान्यांप्रमाणे जीवन जगतोय, असे अव्वल बॉक्सर विजेंदर कुमारने सोमवारी एका मुलाखतीत सांगितले. ''अखेर त्या वाईट प्रसंगाचा शेवट झाला आहे.

नवी दिल्ली - दु:स्वप्न संपले! पुन्हा सर्वसामान्यांप्रमाणे जीवन जगतोय, असे अव्वल बॉक्सर विजेंदर कुमारने सोमवारी एका मुलाखतीत सांगितले. ''अखेर त्या वाईट प्रसंगाचा शेवट झाला आहे.

आता खूप हलके हलके वाटत आहे. एक वाईट स्वप्न समजून ते सर्व विसरलो आहे. बॉक्सिंगच्या सरावाला सुरुवात आता मी ऑक्टोबरमध्ये होणा-या जागतिक स्पर्धेच्या तयारीवर लक्ष केंद्रित केले आहे,''असे विजेंदरने म्हटले. ऑलिंपिक पदकविजेत्या विजेंदरवर दोन महिन्यांपूर्वी उत्तेजक द्रव्य सेवन केल्याचा आरोप झाला होता. 

''कठीण प्रसंगी माझ्यावर विश्वास दाखवल्याबद्दल तसेच मला पाठिंबा दिल्याबद्दल भारतीय क्रीडा मंत्रालयासह भारतीय ऑलिंपिक असोसिएशन, जागतिक बॉक्सिंग फेडरेशन (एआयबीए) आणि हरयाणा सरकारचा मी आभारी आहे. निर्दोष आहे, हे मला ठाऊक होते. तसे सिद्धही झाले. मात्र संघटनांच्या पाठिंब्यामुळे माझा आत्मविश्वास उंचावला,'' असे विजेंदरने म्हटले. पोलिसांची चौकशी तसेच 'नाडा'च्या विविध चाचण्यांनंतर विजेंदर निर्दोष असल्याचे निष्पण्ण झाले. पोलिस चौकशी किंवा विविध चाचण्यांना सामोरे जाण्यात काहीही गैर नसल्याचे त्याचे मत पडले.

''माझा देवावर विश्वास आहे. तो करतो ते चांगलेच करतो. आयुष्यात मी नेहमीच चांगले करण्याचा प्रयत्न केला. उत्तेजक द्रव्य सेवन किंवा बाळगण्याचा आरोप झाल्यानंतर मी व्यथित जरूर झालो. पोलिसांची चौकशी तसेच 'नाडा'च्या चाचण्यांना मी कधीही आक्षेप घेतला नाही. कारण निर्दोष असल्याचे मला ठाऊक होते. शेवटी सत्य काय ते जगासमोर आहे. प्रत्येक प्रसंगातून आपल्याला बरेच काही चांगले वाईट शिकायला मिळते. त्या प्रसंगाने मला खरे मित्र कोण, याची खात्री पटली,''असे विजेंदरने सांगितले.

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मोखाडयातील १९ पाडयात 'अक्षयजल'

निर्मला निकेतन महाविद्यालयाने  मोखाडा तालुक्यातील पाणीटंचाईवर मात करण्यासाठी  भौगोलिक परिस्थितीचा अभ्यास करून येथील तब्बल १९ आदिवासी पाडयाना टँकरमुक्त केले आहे.

पाणीटंचाईवर मात करण्यासाठी त्या-त्या ठिकाणांचा भौगोलिक परिस्थितीचा अभ्यास करणे आवश्यक आहे. निर्मला निकेतन महाविद्यालयाने मोखाडा तालुक्यातील पाणीटंचाईवर मात करण्यासाठी पारंपरिक व चाकोरीबद्ध योजना न राबवता, येथील भौगोलिक परिस्थितीचा अभ्यास करून येथील तब्बल १९ आदिवासी पाडयाना टँकरमुक्त केले आहे.

ठाणे जिलतील मोखाडा हा तालुका बेसॉल्ट खडकांनी बनला आहे. येथील अनेक गावांचा निम्म्याहून अधिक परिसर काळयाकुट्ट कातळांनी व्यापला आहे. कातळांच्या या डोंगराळ प्रदेशात पावसाचे पाणी जमिनीत मुरण्यापेक्षा जमिनीवरून वाहून जाते. त्यामुळे पावसाळयात मुसळधार पाऊस आणि उन्हाळयात तीव्र पाणीटंचाई अशी निसर्गाचे परस्पर विरोधी चित्र मोखाडामध्ये पाहायला मिळते. कातळामुळे पाणी जमिनीत मुरण्याचे प्रमाण फारच कमी असल्याने उन्हाळयात भूजल पातळी खालावल्याने तालुक्यातील इखरीचापाडा, ब्राह्मणपाडा, स्वामीनगर, धामणी, बोरिले अशा १९ आदिवासी पाडयांना टँकरने पाणीपुरवठा करावा लागत होता.

येथील भौगोलिक परिस्थिती लक्षात घेऊन जिल्हा प्रशासनातर्फे डोंगराळ प्रदेशात पाणी जमिनीत मुरण्यासाठी सलग समतल चरांची योजना राबवण्यात आली.

मात्र, कृषी व वन विभागाच्या नियोजन शून्य कारभारामुळे तांत्रिकदृष्टया किचकट असलेली ही योजना बारगळली. पण, डोंगरावर केलेल्या चरांमुळे पावसात मोठया प्रमाणात माती वाहून गेली. जमिनीची धूप झाल्याने डोंगर ओसाड पडले आणि जनावरांच्या चा-यांचा प्रश्नही निर्माण झाला होता. या पार्श्वभूमीवर 'नॅचरल सोल्यूशन'च्या सहाय्याने निर्मला निकेतन महाविद्यालयाच्या 'आरोहन' या उपक्रमा अंतर्गत तीन वर्षापूर्वी येथे 'अक्षयजल' हा प्रकल्प राबवण्यात आला.

'अक्षयजल' अंतर्गत प्रथम पाण्याच्या स्त्रोतांचा अभ्यास करण्यात आला. त्यानंतर जलस्त्रोतांच्या रचनेनुसार भूमिगत बंधारे पाणी अडवण्यासाठी कॉर्डन्स बांधण्यात आले. पाण्याच्या झ-यांचा अभ्यास करून तेथील पाण्याच्या उपलब्धतेनुसार छोटे-मोठे हौद बांधण्यात आले, अशा प्रकारे येथील १९ पाडयांमध्ये तब्बल ४० बंधारे बांधण्यात आले आहे. मोखाडामध्ये ३ वर्षापासून सुरू असलेल्या या अक्षयजल प्रकल्पामुळे यंदा येथील १९ पाडे टँकरमुक्त झाले आहेत.

प्रत्येक ठिकाणाची भौगोलिक परिस्थिती वेगवेगळी असते. त्यानुसार तेथील पाण्याची उपलब्ध अवलंबून असते. त्यामुळे भूजल पातळी वाढवण्यासाठी सरकारने सर्व ठिकाणी सरसकट एकच योजना न राबवता. त्या-त्या ठिकाणाची भौगोलिक परिस्थितीचा अभ्यास करून योजना राबवाव्यात.

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टिकवा उन्हाळयातही त्वचेचं सौंदर्य

त्वचेची काळजी हा विषय सर्वच ऋतूंत महत्त्वाचा. मात्र उन्हाळ्यात त्वचेची सर्वात जास्त काळजी घेतली पाहिजे. चुकीची सौंदर्य प्रसाधनं वापरून त्वचेवर परिणाम करण्यापेक्षा नैसर्गिक घटकांचा वापर असलेली सौंदर्यप्रसाधनं वापरावीत. त्याविषयी मार्गदर्शन केलं आहे, संशोधिका चंद्रिका महेंद्र यांनी.

हल्ली बाजारात एकापेक्षा एक सौंदर्य प्रसाधक उत्पादनांची रेंज येत आहे. ही उत्पादनं वापरून आपण सुंदर दिसू, असं प्रत्येकीलाच वाटतं. मात्र अनेकदा त्वचेचा पोत विचारात न घेता या उत्पादनांचा वापर केला जातो. अशा वेळी नेमकी काय खबरदारी घेतली पाहिजे, त्याची यादी पुढीलप्रमाणे -

कोरडया त्वचेसाठी

सकाळी उठल्यावर साबणाने चेहरा धुण्याऐवजी साबणविरहित फेस वॉशने धुवावा. साबणामुळे त्वचेचं पीएच संतुलन बिघडतं. त्यामुळे त्वचा अधिक कोरडी होते. कोरफड आणि कडुनिंबाचे घटक असतील, अशा फेसवॉशची निवड करावी.

मास्क आणि अल्कोहोल आधारित टोनर किंवा त्वचा आक्रसून टाकणारे कुठलेही पदार्थ चेह-यांवर वापरू नयेत. त्याऐवजी अल्कोहोलमुक्त टोनर किंवा क्लिन्सिंग मास्कचा वापर करावा. लिंबू किंवा पुदिन्याचे घटक असणारे अल्कोहोलमुक्त टोनर किंवा क्लिन्सिंग मास्क वापरावेत. या घटकांमुळे कोरडी त्वचा स्वच्छ तर होतेच, शिवाय त्वचेतील ओलावा टिकून राहतो.

तीव्र मॉइश्चरायझरसह दिवसातून दोनदा मॉइश्चरायझिंग करावं. कोको बटर आणि गव्हांकुराने समृद्ध असलेले मॉइचरायझर त्वचेत सहजपणे शोषले जातात आणि ओलावा धरून ठेवतात.

चेह-यांवरचे डाग झाकणारी प्रसाधनं लावण्याआधी तीव्र मॉइश्चरायझर लोशन लावलं पाहिजे. मॉइश्चरायझर फौंडेशनमध्येही मिसळून लावता येतं. कोरफड, कोकोबटर यासारखे नैसर्गिक घटक असणा-या क्रीमस्वरूपातील तेल-पाण्याचं मिश्रण असणा-या स्कीन इनॅमलचा वापर करावा. त्यावर मेकअप केल्यास त्वचेची हानी होत नाही.

तेलकट त्वचेसाठी

त्वचेतील तेलाचं संतुलन करणा-या फेसवॉशने दिवसातून दोन ते तीन वेळा चेहरा स्वच्छ धुवावा. फेसवॉशमध्ये लिंबाचे घटक असतील तर अधिक चांगलं.
त्वचेतील उरलासुरला तेलकटपणा घालवण्यासाठी अल्कोहोलमुक्त टोनरचा वापर करावा. टोनरमध्ये लिंबाचे गुणधर्म असल्यास उत्तमच!
सौम्य मॉइश्चरायझिंग क्रीमचा वापर करावा. यामुळे त्वचा कोमल राहील.

यूव्हीए व यूव्हीबी किरणांपासून त्वचेचं संरक्षण करण्यासाठी एसपीएफ १५ असलेलं सनस्क्रीन लोशन वापरणं सुरूच ठेवा.

मिश्र त्वचेसाठी

साबणविरहित हायड्रेटिंग फेसवॉशने दिवसातून एकदा तुमचा चेहरा धुवा. काकडीच्या गुणधर्माचा समावेश असलेल्या फेसवॉशचा वापर करावा. यामुळे त्वचा स्वच्छ आणि मुलायम राहते.

लिंबाच्या अर्काने समृद्ध असलेल्या सौम्य क्लिंझिंग मिल्कचा वापर करा. त्यानंतर सौम्य अल्कोहोलरहित टोनरचा वापर करा. यामुळे त्वचेतील रंध्रं मोकळी होऊन टोनर संसर्ग आणि पुरळ यांचा प्रतिबंध होतो.
आठवडयातून एकदा कपाळ, नाक व गालांवर रंध्रं कमी करणा-या स्क्रबरचा वापर करा. कडुनिंब,अक्रोड यांसारख्या नैसर्गिक पदार्थानीयुक्त स्क्रबरचा वापर करावा. त्यामुळे हळुवारपणे त्वचेवरीलमृत पेशी निघतात.

सर्वात महत्त्वाचं म्हणजे सफरचंद, पपई, पेरू, डाळिंब आणि संत्रं यांसारखी फळं तसंच बदाम, अक्रोड, अंजीर यांसारख्या सुक्यामेव्याचं सेवन करावं. अक्रोड खाल्ल्यास अधिकच चांगलं. कारण अक्रोड हा प्रथिनं तसंच जीवनसत्त्व ब१, ब६ आणि जीवनसत्त्व 'ई', फॉलेट या घटकांचा स्रेत आहे. रोज नियमितपणे आठ ते दहा ग्लास पाणी प्यावं. 

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आयुर्वेदातील बोधामृत

चित्त म्हणजेच मन. मनाला कुठेही भरकटू न देता संयमी जीवन जगणं म्हणजेच 'चित्तवृत्तीनिरोध'. मानवी मन चंचल आहे, त्याला स्थिर करण्याच्या प्रयत्नात आयुर्वेदाची सांगड घातल्यास माणूस आरोग्यदायी जीवनजगू शकतो.

ममन ज्या मंदिरामध्ये वास करतं (शरीर), त्याची निगा राखण्यासाठी व स्वत:ला निर्मळ राखण्यासाठी जे शास्त्र जन्माला आलं आहे, त्यालाच 'आयुर्वेद' म्हणतात.

'मनदोष समनिश्च सम धातु मन क्रिया
प्रयत्न आत्मेंद्रिय मन स्वस्थ इति अभिधिष्यते'

अशा प्रकारे स्वास्थ्याची व्याख्या करणारं आयुर्वेद शास्त्र, जे सूत्र रचनेतील प्रत्येक निवडीबद्दल चाणाक्ष आहे. या श्लोकात शरीराइतकंच मनालाही महत्त्व असल्याचं सांगितलं आहे.

'स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन' यांसारखे सुविचार आपण अनेकदा वाचतो. पण त्यानुसार कृती केल्यास खरोखरच मन स्वस्थ राहील, परिणामी शरीरही! आयुर्वेदाने हे पदोपदी पटवून देण्याचा प्रयत्न केला आहे. 'आहार विधी विरोधायतन' सांगणाऱ्या आयुर्वेदात जेवण बनवणारा कसा असावा, स्वच्छ पात्रांचा (भांडय़ांचा) वापर कसा महत्त्वाचा आहे, इथपासून ते अगदी पाण्यापासून लोण्यापर्यंत काय, कसं, कुठे खावं आणि ठेवावं यांची तपशीलवार नोंद 'आयुर्वेदीय हेतू'द्वारे घेतली जाते.

जेवताना मनात 'उदरभरण नोहे' म्हणून 'यज्ञकर्म' केल्याप्रमाणे आहाराचं सेवन करण्याविषयी सांगणारा तसंच राग, द्वेषाच्या अधीन होऊन त्याचा आहाराच्या सेवनावर होणा-या विपरीत परिणामांविषयी वेळोवेळी मर्यादा घालणारा 'आयुर्वेद आणि मित', आहाराची संकल्पना उलगडणारा 'योग' या दोन्हींमध्ये सुदृढ स्वास्थ्य संबंधीच्या अगदी पहिल्या पायरीपासून शरीर व मनाचा संबंध एकमेकांत गुंफण्यात आला आहे.

आपल्यासमोर काही स्वादिष्ट, मसालेदार खाद्यपदार्थ आणल्यास आपण मागचा-पुढचा कसलाही विचार न करता तो फस्त करतो. अशा वेळी पोटात भूक लागलीय की नाही याचाही विचार आपण करत नाही. तसंच ज्यांना वारंवार सर्दी होते. त्यांनी 'फ्रिज'मधील थंड अन्नपदार्थ आणि पेयांचं (शीतपेय, आईस्क्रीम, कुल्फी, मिल्क शेक, दही, लस्सी इ.) सेवन करू नये. परंतु स्वत:हून इच्छा निर्माण होते वा पाटर्य़ामध्ये मित्रांच्या आग्रहाखातर अशा पदार्थाचं सेवन करण्यात येतं, तेव्हा असे पदार्थ शरीर स्वास्थ्यास नुकसानकारक असल्याचा आपल्याला विसर पडतो.

चित्तवृत्तीनिरोध म्हणजेच सामान्य भाषेत मनावर सुयोग्य, विवेकी असा ताबा ठेवणं. योगाच्या अंगाने चित्तवृत्तीनिरोधाचं महत्त्व कैवल्यापर्यंत नेणारं आहे, हे जाणकारांना माहीत आहेच.

सध्या आपण शरीरस्वास्थ्य रक्षणासाठी मनावरील ताब्याकडे लक्ष देऊ या. आयुर्वेदाने तर आहार-विहाराचे, दिनश्चर्या, ऋतुचर्या इत्यादींचे अनेक नियम सांगितले आहेतच, पण जास्त खोलात न शिरता आपल्याला सामान्यपणे माहीत असलेले नियम आपणच अनेकदा धाब्यावर बसवतो की नाही? उदाहरणार्थ, भूक लागलेली नसताना वेळ वाचवण्यासाठी खाणं, भूक लागलेली असताना व्यवस्थित आहार न घेणं, तहान लागलेली असतानाही पाणी पिण्याऐवजी शीतपेय पिणं. एकूणच काय तर, विशिष्ट आहाराचा किंवा विहाराचा आपल्या प्रकृतीवर विपरीत परिणाम होतो, हे माहीत असतानाही त्याचं सेवन करणं.

परंतु आयुर्वेदात म्हटल्यानुसार, 'रोगा: सर्वेऽपि मन्देगौ' म्हणजेच वास्तवत: भूक लागल्यावरच खाल्लं गेलं तरच ते व्यवस्थित पचतं. स्वास्थ्यास हानिकारक अशी अनेक कारणं आपण जाणते-अजाणतेपणानं अंगीकारत असतो. त्यांनी परिणामी येणारे आजारही भोगत असतो. यालाच आयुर्वेदानं 'प्रज्ञापराध' म्हणजेच जाणून-बुजून चूक करणं, असं म्हटलं आहे. तर मग या प्रज्ञेच्या अपराधाला आपल्या मनातील असमतोलच कारणीभूत ठरतो नाही का? मन शांत करण्याच्या नावाखाली लुटली जाणारी अनेक तात्पुरती इंद्रिय सुखं आपल्याच आजारांना कारणीभूत ठरतात. मग यामध्ये केवळ व्यसनच नव्हे तर व्यस्त प्रमाणात घेतलेला आहार-विहारही तितकाच कारणीभूत ठरतो.

यावर उपाय म्हणून एखाद्या योगवर्गानंतर किंवा ध्यान, प्रार्थनेनंतरची काही मिनिटं वा दिवसातील काही वेळ स्वत:च्या आत्मपरीक्षणासाठी राखून ठेवणं ही पहिली पायरी असावी. या वेळामध्ये आपल्या संपूर्ण दिवसाचं परीक्षण केवळ आपल्या शरीर व मनाशी निगडित करावं. यामध्ये दिवसभरात आहार काय घेतला इथपासून ते मलमूत्र विसर्जन कसं झालं, असा शरीर यंत्रणेशी निगडित भाग तसंच मन कोणत्या अवस्थेत होतं, हे जाणून घ्यावं.

आपलं शरीर आपल्याला बरेच संकेत देत असतं. त्याची जाण जर आपल्या मनानं योग्य वेळी ठेवली तर अनेक व्याधी पूर्ण रूप धारण करण्याआधीच किंबहुना आयुर्वेदाच्या भाषेत पूर्वरूपाच्या अवस्थेतच आटोक्यात आणल्या जाऊ शकतात. या सगळ्यासाठी 'चित्तवृत्तीनिरोध' करण्याला पर्याय नाही!

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नाही अभियंता तरीही..

अन्न शिजवणं, पाणी गरम करणं, मोबाइल चार्ज करणं आणि एलइडी बल्ब पेटवणं ही चारही कामं एकाच ठिकाणी झाली तर? ही कल्पनाही अनोखी वाटते ना? पण, पुण्यातील शंकर पाचरणे यांनी 'फोर इन वन स्टोव्ह' बनवून ही कल्पना प्रत्यक्षात आणली आहे. स्वत: प्रशिक्षित अभियंता नसतानाही, केवळ वडिलांकडून मिळवलेल्या इलेक्ट्रिक उपकरणांच्या मूलभूत तांत्रिक ज्ञानाच्या जोरावर तसंच आवड व नावीन्याचा ध्यास यांतून त्यांनी या स्टोव्हची निर्मिती केली आहे. भारतातील पहिला बहुपयोगी असा हा स्टोव्ह एका ग्रामीण भागातील माणसाने मोठय़ा जिद्दीने तयार केला, हे कौतुकास्पदच आहे.

घरगुती गॅसचे वाढते भाव, मर्यादित सिलिंडरचा पुरवठा, ग्रामीण भागात सतत खंडित होणारा वीजपुरवठा या सर्व पार्श्वभूमीवर घरगुती वापरासाठी अतिशय कमी खर्चाचा पण अन्न शिजवण्यासाठी, मोबाइल चार्ज करण्यासाठी, पाणी उकळवण्यासाठी इतकंच नाही तर एलइडी बल्ब पेटवण्यासाठी उपयोगी ठरणारा 'फोर इन वन स्टोव्ह' पुण्याच्या शंकर पाचरणे यांनी बनवला आहे. पूर्णपणे भारतीय बनावटीचा असणारा हा स्टोव्ह वीज, गॅस अथवा इतर कुठल्याही इंधनावर अवलंबून नाही. हा स्टोव्ह सोलार एनर्जी आणि घरगुती इंधन म्हणजे शेणाच्या गोव-या, पाला-पाचोळा, सुकं गवत, लाकूड, कोळसा यांवर चालतो. या स्टोव्हला सोलार पॅनल जोडलेले असून सोलार पॅनलद्वारे स्टोव्हमधील बॅटरी चार्ज होते.

एका बाजूला इंधन टाकायची सोय असून दुस-या बाजूला शेगडी आहे. आधी हा स्टोव्ह एकाच शेगडीचा होता, परंतु आता तो दुहेरी झाला आहे. यावर स्वयंपाक करण्यासाठी घरातील कुठलंही भांडं वापरता येतं. तसंच या स्टोव्हमध्ये पाणी गरम करण्यासाठी गिझरप्रमाणे सोयही करण्यात आलेली आहे. यासाठी स्वतंत्र जागा असून त्यामध्ये पाणी भरलं जातं. त्याला एक पाइप लावून त्या पाइपद्वारे गरम झालेलं पाणी काढता येतं. तसंच या स्टोव्हवर मोबाइल फोनही चार्ज होऊ शकतो. इतकंच नाही तर या शेगडीच्या ऊर्जेवर घरातील दोन एलइडी बल्बदेखील लागू शकतात. 

या शेगडीचं आणखी एक वैशिष्टय़ म्हणजे ही शेगडी लाकूड, कोळसा अथवा गोवरी यांसारख्या इंधनावर चालत असली तरी त्यातून धूर येत नाही. धूर जाण्यासाठी या शेगडीला विशिष्ट प्रकारचा पाइप आहे. त्यामुळे हा स्टोव्ह वापरणा-यांना कुठल्याही प्रकारचा धुराचा त्रास होणार नाही. थोडक्यात, हा स्टोव्ह पूर्णपणे इकोफ्रेंडली आहे. विशेषत: ग्रामीण भागातील लोकांची गरज ओळखून पाचरणे यांनी हा स्टोव्ह तयार केला आहे.

शंकर पाचरणे हे पुण्यात राहणारे असून ते प्रशिक्षित अभियंता नाहीत. लहानपणी घरातील गरिबीमुळे त्यांना दहावीनंतरचं शिक्षण अर्धवटच सोडावं लागलं होतं. परंतु त्यांच्या वडिलांना इलेक्ट्रॉनिक उपकरणाचं फिटिंग करणं आणि त्यासंबंधी वेगवेगळ्या वस्तू करणं आवडायचं. त्यांच्याकडूनच शंकर यांनी अशा उपकरणांचं मूलभूत तांत्रिक ज्ञान मिळवलं. अशा प्रकारे वस्तू बनवणं हा काही त्यांच्या कुटुंबाचा व्यवसाय नव्हे. त्यांचे स्वत:चे शिवाजीनगर इथे कुशनचे दुकान आहे. केवळ आवड आणि नावीन्याचा ध्यास यातून त्यांनी या स्टोव्हची निर्मिती केली आहे.

हे उपकरण तयार करण्यासाठी शंकर पाचरणे गेली दोन-अडीच र्वष प्रयत्न करत होते. त्यासाठी त्यांनी भरपूर प्रवास केला आणि काही लाख रुपये खर्चही केले. हे उपकरण खेडय़ातील लोकांना परवडण्याजोगं असावं, हा त्यांचा प्रमुख उद्देश होता. हे उपकरण तयार केल्यानंतर ते म्हणतात, 'उपकरण विकत घेतल्यानंतर दहा र्वष त्याला काहीही होणार नाही, अशी मी खात्री देतो.' या उपकरणासाठी त्यांनी ठिकठिकाणी फिरून उत्तम प्रकारचे स्टील असणारे सुट्टे भाग आणले.

गुणवत्तेच्या बाबतीत कुठलीही तडजोड केली नाही. त्यांच्या या शेगडीला कोल्हापूर, नागपूर इथूनच नव्हे, तर उत्तर प्रदेशातील ग्रामीण भागातून खूप चांगली मागणी येत आहे. या स्टोव्हमध्ये त्यांनी आणखी एक बर्नर बसवल्याने स्टोव्ह आता बॉयलर प्रमाणेही काम करू शकणार आहे. त्यामुळे रोजचं अंघोळीचं पाणीही सहजपणे गरम होणार आहे. त्यामुळे ग्रामीण भागातील महिलांचं मोठं काम वाचणार आहे. भारतातील पहिला बहुपयोगी असा हा स्टोव्ह एका ग्रामीण भागातील माणसाने मोठय़ा जिद्दीने तयार केला याचं आपण सा-यांनीच कौतुक करायला हवं.

हा बहुपयोगी स्टोव्ह असून घरगुती गॅस आणि इलेक्ट्रिसिटीला उत्तम पर्याय आहे. या स्टोव्हमुळे केवळ गॅस आणि विजेची बचत होत नाही, तर एकूणच स्वयंपाकासाठी लागणा-या इंधनाची बचत होते आणि महिलांचा मोठा त्रासही वाचतो. शिवाय या स्टोव्हवर घरातील दोन एलइडी बल्बदेखील लागतात. त्यामुळे विजेचीही बचत होते. या शेगडीमध्ये चार्जिग पॉइंट असल्यामुळे आपल्याला त्यावर सोलार एनर्जीद्वारे मोबाइलदेखील चार्ज करता येतो. शिवाय याच एनर्जीद्वारे अन्नही शिजवता येतं. स्वत: निर्मात्याने उत्तमतेचा ध्यास घेतल्यामुळे उपकरणातील प्रत्येक भाग अतिशय चांगल्या गुणवत्तेचा असून १० वर्षाची खात्री यातून मिळते. स्टोव्हची किंमत सामान्यांच्या आवाक्यात असून केवळ एकदाच होणारी ही गुंतवणूक आहे. पुढील खर्च जवळपास नसल्यासारखाच आहे.

अशी सुचली कल्पना
या स्टोव्हची निर्मिती करण्याची प्रेरणा शंकर पाचरणे यांना कशी मिळाली याची पार्श्वभूमीदेखील रंजक आहे. त्या वेळी शंकर हे त्यांच्या कुटुंबीयांसह वाघोली येथे राहत होते. एके दिवशी एक विक्रेता त्यांच्या घरी आला. तो इंडक्शन शेगडी विकत होता. शंकर यांच्या पत्नीला ही शेगडी अतिशय आवडली. पण, नंतर शंकर यांच्या लक्षात आलं की, वीजपुरवठा खंडित झाल्यानंतर ही शेगडी उपयोगाची नाही. त्यानंतर शंकर यांनी अनेक कंपन्यांशी संपर्क साधला. परंतु त्यांना हव्या असलेल्या शेगडीसाठी कुठूनही प्रतिसाद मिळाला नाही. त्या वेळी वाघोली हे खेडेगावासारखं होतं. मोठय़ा कंपन्या गावातील लोकांना सहजपणे कुठल्याही गोष्टीची भुरळ घालू शकतात, हे त्यांना जाणवलं आणि त्याचवेळी शंकर यांच्या मनात उपलब्ध साधनातून नवीन काहीतरी यंत्र तयार करण्याची प्रेरणा जागृत झाली. ज्या उपकरणाचा वापर गावातील सामान्य माणूसदेखील कमी खर्चात करू शकेल, असं उपकरण शोधण्याचा ध्यास त्यांनी घेतला.

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पर्यटनवृद्धीला हवी व्यावसायिकतेची जोड

नेरळ ते माथेरान टॉय ट्रेनची सेवा दरसाल जून ते सप्टेंबर या महिन्यात बंद असते. ही सेवा बंद करण्याचा रेल्वेचा निर्णय एका अर्थाने योग्यच आहे. कारण त्यामागे सुरक्षेचे कारण आहे.

नेरळ ते माथेरान टॉय ट्रेनची सेवा दरसाल जून ते सप्टेंबर या महिन्यात बंद असते. ही सेवा बंद करण्याचा रेल्वेचा निर्णय एका अर्थाने योग्यच आहे. कारण त्यामागे सुरक्षेचे कारण आहे. परंतु माथेरान आणि नेरळ परिसरातील सृष्टीसौंदर्य आणि पडणारा पाऊस या वातावरणातच ही ट्रेन बंद राहणार असेल तर मग मोक्याच्या वेळीच ते बंद ठेवल्यासारखे होईल. त्यामुळे सुरक्षेच्या उपायांची योजना करून का होईना, ही ट्रेन चालू ठेवण्याची गरज आहे. कारण त्यामुळे पर्यटनाचे आकर्षण वाढणार आहे. मध्य रेल्वेला ही गोष्ट मान्य आहे. तशी तयारीही रेल्वेने केली आहे.

पावसाचे चार महिने ही टॉय ट्रेन सुरू ठेवावी आणि ती नऊवाजेपर्यंत सुरू ठेवावी, असे दोन प्रस्ताव मध्य रेल्वेने रेल्वे आयुक्तांकडे पाठवले आहेत. सुरक्षेच्या कारणावरून टॉय ट्रेन दररोज संध्याकाळी बंद ठेवली जाते त्याचबरोबर पावसाळय़ातही ती चार महिने बंद ठेवली जाते. मुळात निसर्गाचा आस्वाद घेण्यासाठी पावसाळय़ातही माथेरानमध्ये दाखल होत असतात. अशावेळी जर त्यांना गैरसोय निर्माण झाली तर ते पुन्हा पावसाळय़ात पर्यटनासाठी येणार नाहीत. महाराष्ट्राच्या पर्यटन व्यवसायात आकर्षण ठरणारा हा प्रस्ताव लालफितशाहीत अडकला आहे.

रेल्वे आयुक्तालयाने असा काही प्रस्तावच मिळाला नसल्याचे म्हटले आहे. महाराष्ट्रात पर्यटन व्यवसाय वाढवण्यास खूप संधी आहे, असे आपण म्हणतो आणि सरकारी पातळीवरसुद्धा त्याचा वारंवार उल्लेख केला जातो. परंतु रेल्वे मंत्रालयासारख्या केंद्र सरकारच्या कार्यालयातील ही अनास्था या व्यवसायाच्या वाढीला मारक ठरणारी आहे. महाराष्ट्रात किल्ले, तीर्थक्षेत्रे आणि नैसर्गिकदृष्टया संपन्न असलेली प्रेक्षणीय स्थळे यांना अजिबात तोटा नाही. परंतु त्यांचा विकास करून पर्यटन व्यवसायाला गती देण्याचे प्रयत्न म्हणावे तसे होत नाहीत, ही दुर्दैवाची गोष्ट आहे.

नेरळ ते माथेरान ही टॉय ट्रेन हे तर मोठेच आकर्षण आहे. २० किलोमीटर लांबीचा हा रेल्वेमार्ग 'जॉय एक्स्प्रेस' दोन तासात पार करते. कमालीची वळणे आणि घाट यामुळे फार सावकाश चालते आणि या दोन तासात पर्यटकांना या परिसरातील निसर्गसौंदर्य अक्षरश: डोळा भरून पाहता येते. या मार्गावर रेल्वेतर्फे दररोज पाच फे-या केल्या जातात आणि पाच डब्यांची ही गाडी एका डिझेल इंजिनच्या साहाय्याने सोडली जाते. मात्र, १०५ वर्षापूर्वीच्या या ट्रेनमध्ये वेळोवेळी म्हणावी तशी सुधारणा करण्यात आलेल्या नाहीत. ती तशीच धावते आहे. कालमानानुसार तिचे खर्च वाढले; परंतु उत्पन्न वाढले नाही. दरवर्षी साधारण ३० ते ४० लाख रुपये एवढे उत्पन्न आणि १६ कोटी रुपयांचा खर्च असा या गाडीचा लेखाजोखा आहे.

या गाडीला आणखी तीन डबे जोडावेत आणि मागच्या बाजूलाही एक इंजिन जोडावे, असा एक प्रस्ताव गेल्या वर्षीच चíचला गेला होता. शिवाय, एक आरामदायी डबा असावा आणि त्या डब्याचे तिकीट जास्त ठेवावे, असेही या प्रस्तावात म्हटले होते. रेल्वेच्या या मार्गावरचा खर्च भरून निघेल एवढे तिकीट ठेवणे गरजेचे आहे; रेल्वेने थोडा व्यावसायिक दृष्टिकोन स्वीकारून या प्रकल्पात बदल केले पाहिजेत. कागदी घोडे नाचवून असे प्रकल्प राबवता येत नाहीत. त्यासाठी व्यावसायिक दृष्टिकोन हवा. मात्र, त्याबरोबर पर्यटकांच्या सुरक्षिततेलाही प्राधान्य द्यायला हवे.

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आविष्कार थ्रीडी प्रिंटरचा

विज्ञान, तंत्रज्ञानात रोज नवनवे शोध लागत आहेत. आता थ्रीडी प्रिंटरचा एक नवीन आविष्कार आला आहे. त्याद्वारे आपण स्वप्नातील घराची प्रिंट काढू शकतो. डॉक्टरांनी घ्यायला सांगितलेली औषधंही आपल्याला थ्रीडी िपट्ररद्वारे तयार करता येऊ शकतील. त्याच्या माध्यमातून मूर्तीही साकारता येतील आणि स्वस्तातील थ्रीडी कॅमेरेही बनवता येतील. त्यामुळे भविष्यात थ्रीडी तंत्रज्ञानातून साकारलेल्या वस्तूंच्या बाजाराचं जाळं पसरेल आणि या तंत्रज्ञानाची एक नवी क्रांती होईल.

आधुनिक युगात ज्या गोष्टींची आपण पूर्वी कल्पनाही करू शकत नव्हतो, अशा गोष्टी साकार होऊ लागल्या आहेत. विज्ञान, तंत्रज्ञानात दिवसेंदिवस नवनवे शोध लागत आहेत आणि त्याचा वापर करून माणूस आतापर्यंत कल्पनेच्या पलीकडे असणा-या साम्राज्याचा अनुभव घेऊ लागला आहे. तंत्रज्ञानात 'थ्रीडी' तंत्रज्ञानाचा अवलंब झाल्यानंतर अनेक कामं सोपी होऊ लागली आहेत.

औषधे बनविणारा प्रिंटर
ब्रिटनच्या ग्लासगो विद्यापीठातील वैज्ञानिक आता ज्याद्वारे औषधं आणि अन्य रसायनं तयार करता येऊ शकतील, असा थ्रीडी प्रिंटर बनवत आहेत. संशोधकांनी १,२५० पौंड म्हणजे सुमारे एक लाख रुपये खर्च करून एक सिस्टीम बनवली आहे. त्या सिस्टीमने कार्बनिक मिश्रण आणि कार्बनिक समूह तयार करता येऊ शकतात. यांपैकी काही कर्करोगाच्या उपचारासाठी वापरता येतात. या सिस्टीमद्वारे यापुढे रुग्णांच्या गरजेनुसार औषधं तयार करता येऊ शकतील, असं संशोधकांचं म्हणणं आहे. औषध कंपन्या पाच वर्षाच्या आत या तंत्रज्ञानाचा वापर करू शकतील. मात्र, ही सुविधा सामान्य लोकांपर्यंत पोहोचण्यासाठी २० वर्ष लागू शकतात, असा अंदाज संशोधकांनी व्यक्त केला आहे.

मार्क सिम्स हे संशोधक याविषयी बोलताना म्हणतात, 'आपण रासायनिक सामग्री घेऊन ती प्रिंटरमध्ये घालू शकतो, हे आम्ही दाखवत आहोत. ही सामग्री प्रिंटरमध्ये टाकल्यानंतर त्यावर प्रक्रिया होईल आणि आपल्याला काही वेगळंच मिळेल. या आधारावर आम्ही सांगू शकतो की, भविष्यात आपण सामान्य स्तरावर मिळणारी रसायनं खरेदी करू शकतो, नंतर ती थ्रीडी प्रिंटरमध्ये ठेवून परस्परांमध्ये मिसळण्यासाठी एक बटण दाबण्यात येईल, पुढे त्याला चाळण्याची व्यवस्था प्रिंटरच्या आतल्या भागातच होईल आणि नंतर डॉक्टरांनी आपल्याला घ्यायला सांगितलं आहे, ते औषध तयार होईल.'

या थ्रीडी प्रिंटरसाठी रोबोटने नियंत्रित होणारी सिरीज वापरण्यात आली आहे, जी जेल स्वरूपातील इंकने प्रिटींग ऑब्जेक्टला लक्ष्य करते. या शोधाबाबत प्रोफेसर ली क्रोनिन यांनी सर्वात आधी विचार केला होता. ते म्हणतात, 'रसायनशास्त्रज्ञ सर्वसाधारणपणे रासायनिक प्रक्रियेसाठी काचेच्या परीक्षानळ्यांचा उपयोग करतात. आम्ही त्याची व्यवस्था थ्रीडी प्रिंटरमध्ये केली आहे.' हा प्रयोग यशस्वी ठरला, तर डॉक्टर आणि सर्वसामान्य लोक आपल्या गरजेनुसार औषध तयार करू शकतील. यामुळे जगामध्ये आरोग्याच्या देखभालीबाबत क्रांतिकारी बदल होतील, असं नेचर केमिस्ट्रीने म्हटलं आहे.

घर बांधणारा प्रिंटर भविष्यात घर तयार करण्यासाठी सिमेंट, कामगार यांची काही आवश्यकता नाही, तर ते थ्रीडी प्रिंटरच्या मदतीने बनवता येऊ शकेल, असं सांगितलं तर त्यावर चटकन विश्वास बसणार नाही. पण अशा प्रकारचं घराचं स्वप्न लवकरच सत्यात उतरवण्यासाठी जगभरातील निवडक वास्तुरचनाकारांची एक टीम काम करत आहे. या प्रयत्नात जगभरातील अनेक कंपन्या सहभागी झाल्या आहेत. अ‍ॅमस्टरडॅमची 'डस आर्किटेक्ट' ही या कंपन्यांपैकीच एक. डचच्या राजधानीतील एक घर प्रिंट करण्याची या कंपनीची प्रथम योजना आहे. एका ख-याखु-या इमारतीचं प्रिंट त्यातून होणार आहे. आपल्या घराची प्रिंट काढणारा हा 'केमर मेकर' नावाचा आश्चर्यकारक प्रिंटर असणार आहे. हा प्रिंटर म्हणजे एक चमत्कारच आहे. 'केमर मेकर' या डच शब्दांचा 'रूम मेकर' असा अर्थ आहे.

बाहेरून चमकदार धातूसारखा दिसणा-या शिपिंग कंटेनरच्या हिश्शांनी बनलेला हा प्रिंटर सहा मीटर लांब आहे. हे उपकरण थ्रीडी प्रिंटसाठी प्लॅस्टिक आणि वुड फायबरच्या वेगवेगळ्या घटकांचा उपयोग करतं. त्याचा वापर करताना हे मशिन कम्प्युटरद्वारा बनवण्यात आलेल्या होम प्लानच्या आधारावर बिल्डिंगच्या बाहेरच्या भिंती सर्वात आधी उभ्या करेल. त्यानंतर छताची उभारणी करण्यात येईल. नंतर प्रत्येकाची खोली आणि त्या खोलींमधील गरजेच्या वस्तूंची मांडणी करण्यात येईल. सर्वात शेवटी घरात ठेवण्यात येणा-या फर्निचरचा क्रमांक लागेल. थ्रीडी िपट्ररने केवळ औषधंच नाही, तर स्वप्नातील घरंही साकारण्याचा प्रयत्न सुरू आहे.

आता प्रिंटरनिर्मितीत नव्यांना संधी!
थोडक्यात, आता थ्रीडी प्रिंटरच्या नव्या क्रांतीचं युग अवतरणार आहे. चल हक या अमेरिकन संशोधकांनी १९८६ मध्ये 'स्टीरियोलिथोग्राफी' तंत्रज्ञानाचा शोध लावला. या तंत्रज्ञानाने पराबँगनी प्रकाशाच्या माध्यमातून काही विशिष्ट जागी वितळलेलं प्लॅस्टिक सुकवलं जातं. हळूहळू सुकलेलं प्लॅस्टिक वर येऊ लागतं आणि त्यातून हुबेहूब मूर्ती बनवणं शक्य झालं. कंपनीने या तंत्रज्ञानाचं पेटंट केलं.

या दरम्यान 'एस् स्कॉट क्रूम्प'ने एक वेगळंच तंत्रज्ञान शोधलं. त्यांनी १९८८ मध्ये लेझरच्या माध्यमातून प्लॅस्टिकचे अतिशय लहान बिंदू योग्य बिंदूंवर एका विशिष्ट पद्धतीने जोडण्यात यश मिळवलं. या बिंदूंनी एक हुबेहूब ढाचा तयार झाला. पहिली थ्रीडी प्रिटींग मशिन हीच होती, असं अनेक तज्ज्ञ मानतात. क्रूम्पच्या कंपनीनेही तंत्रज्ञानाचं पेटंट करून घेतलं. त्यामुळे प्रिंटर बनवण्याचा अधिकार या दोन कंपन्यांपुरताच मर्यादित राहिला आहे. त्यांचे प्रिंट फार कमी पण फार महागात विकले गेले. दोन-दोन पेटंट असल्यामुळे थ्रीडी प्रिंटर तयार करण्याच्या अन्य संशोधकांच्या अपेक्षा संपुष्टात आल्या. त्यांनी तसं केलं असतं तर ते पेटंट कायद्याचं उल्लंघन झालं असतं. त्यासाठी मोठी दंडाची रक्कम भरावी लागलीच असती. पण, त्याचबरोबर कायदेशीर अडचणीही निर्माण झाल्या असत्या. त्यामुळे अनेक संशोधक आपल्या लॅबमध्ये चुपचाप थ्रीडी िपट्ररवर काम करत पेटंटचे अधिकार संपुष्टात येण्याची वाट पाहत राहिले.

२५ वर्षानंतर दोन्ही पेटंट संपुष्टात आली आहेत. त्यामुळे तरुण संशोधक स्वस्त, अधिक योग्य आणि किफायतशीर प्रिंटर घेऊन येत आहेत. जगातील अनेक शहरांमध्ये भरणा-या तंत्रज्ञान मेळाव्यात युवा संशोधक आपले थ्रीडी प्रिंटर घेऊन पोहोचले आहेत. जगभरातील होलसेल विक्रेते त्यांना ऑर्डर देत आहेत.
थ्रीडी प्रिटींगसाठीच्या तीन पद्धती

१. सॉफ्टवेअरच्या माध्यमातून सर्वसामान्य लोक कोणत्याही वस्तूचा तीन आयामात ढाचा तयार करू शकतात. कम्प्युटरच्या मदतीने त्या ढाच्याला आपल्या मनासारखा आकार देता येऊ शकेल. मग प्रिंटचं बटण दाबताच ती वस्तू तयार होईल.
२. थ्रीडी प्रिंटरने घेण्यात आलेल्या फोटोची थेट प्रिंट घेणं.
३. या पर्यायात लोक कोणत्याही आकाराला थ्रीडी स्कॅनरच्या माध्यमातून स्कॅन करू शकतील, त्याची थ्रीडी फाइल बनवतील आणि त्याची प्रिंट घेतील. या प्रिंटरचं आणखी एक वेगळेपण म्हणजे, डाटा शेअर करणं, असं संशोधक ब्रुईन सांगतात. प्रिंटसाठी वापरण्यात येणारं प्लॅस्टिक जैविक रूपाने तुटणारंही आहे. म्हणजे पर्यावरणाच्या दृष्टीने ते चांगलं आहे.

ब्रिटन, अमेरिका, हॉलंड, जर्मनी आणि ऑस्ट्रेलियामधील काही संशोधक संस्था आधीपासूनच थ्रीडी प्रिंटरचा वापर करत आहेत. सध्या थ्रीडी प्रिंटरची किंमत ७० हजार रुपये ते सव्वा लाख रुपयांपर्यंत आहे. पण, त्याच्याशी संबंधित सपोर्ट सिस्टीममध्ये एक अडचण निर्माण झाली आहे. थ्रीडी कॅमेरे आणि स्कॅनर फार महाग आहेत. सॉफ्टवेअरचा वापर करणं प्रत्येकाला शक्य होणार नाही. अशा वेळी केवळ प्रिंटर घेऊन फार काही करता येऊ शकत नाही. पण, पुढच्या काही वर्षात प्रिंटरशी संबंधित अन्य मशिन अधिक चांगली आणि स्वस्तही होतील, अशी कंपन्यांना अपेक्षा आहे. अशा प्रकारे थ्रीडी प्रिंटरचा बाजारही विस्तारेल आणि सर्वसामान्य लोकांसाठी स्वस्तातील थ्रीडी कॅमेरेही बनू लागतील.

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खासगी बसगाडयांवर नियंत्रण कोणाचे?

सुट्टीचा हंगाम असल्याने मुंबईकर आपापल्या गावी पळत आहेत. त्यातही कोकणात जाणा-यांची संख्या थोडी जास्तच आहे. त्यामुळे कोकणवासीयांना गावी पोहोचण्यासाठी चांगलीच कसरत करावी लागत आहे.

सुट्टीचा हंगाम असल्याने मुंबईकर आपापल्या गावी पळत आहेत. त्यातही कोकणात जाणा-यांची संख्या थोडी जास्तच आहे. त्यामुळे कोकणवासीयांना गावी पोहोचण्यासाठी चांगलीच कसरत करावी लागत आहे. कोणी कोकण रेल्वचा मार्ग अवलंबत आहे. तर कोणी आपल्या पारंपरिक एसटीने जाणे पसंत करत आहे. या दोन्हीतही सध्या पाऊल ठेवायला जागा नाही.

त्यामुळेच उरलेला मोठा वर्ग खासगी बसकडे वळत आहे. याचाच फायदा खासगी बस कंपन्या आणि मालक उचलत आहेत. म्हणूनच वाट्टेल ती किंमत आणि वाट्टेल तेवढे प्रवासी एकाच गाडीत कोंबण्याचे प्रकार होत आहेत. सगळे नियम धाब्यावर बसवून हे सर्व सुरू आहे. त्याला बचाव म्हणून 'आमचेही पोट आहे' असे वक्तव्य हे खासगी बस कंपन्यांचे मालक बिनधास करत आहेत. त्यामुळे या बस मालकांवर आणि त्यांच्या कंपन्यांवर कोणाचे नियंत्रण आहे की नाही, असा प्रश्न पडल्याशिवाय राहात नाही.

मुंबईतून कोकणात साधारणत: १५० खासगी बस जातात. या बसना पर्यटन परवाना दिलेला असतो. पर्यटन परवाना दिलेल्या बसना प्रवासी वाहतूक करता येत नाही. पण या बस सर्रास प्रवासी वाहतूक करतात. हंगामाच्या काळात तर या बसचा अधिक सुळसुळाट असतो. त्यांना या काळात कोणत्याही मर्यादा आणि नियम नसतात. ते या काळात स्वत:चे कायदे आणि नियम स्वत:च तयार करतात आणि ते तंतोतंत पाळतात. त्यात क्षमतेपेक्षा अधिक प्रवासी गाडीत घेणे, वाट्टेल ते तिकीट शुल्क आकारणे, कुठेही उतरायचे असल्यास एकच शुल्क घेणे यासारख्या अघोषित नियमांचा समावेश आहे.

नाइलाजाने प्रवासीही त्याला बळी पडतात. ते सांगतील ती किंमत देतात आणि प्रवास करतात. या गोष्टी सर्रास होत असतात. पण त्यांच्यावर कोणतीही कारवाई होताना दिसत नाही. कोकणपट्टयात परिवहन विभागाची जवळपास २० भरारी पथके आहेत. तर खासगी गाडया १५०च्या आसपास आहेत. त्यामुळे एवढया मोठया प्रमाणात असलेल्या गाडयावर कारवाई करणे, या पथकांना शक्य नसल्याने ते हात वर करतात. तर अशा गाडयावर कारवाई करण्याचे अधिकार नसल्याचे सांगत महामार्ग पोलिस या भानगडीत पडण्याचे टाळतात. त्यामुळे खासगी बस कंपन्यांचे चांगलेच फावते. कोणाचेही नियंत्रण त्यांच्यावर नसल्याने ते वाट्टेल तसे वागत आहेत. हीच प्रवृत्ती जास्त घातक आहे. यातून प्रवासींची पिळवणूक तर होतेच, पण या बस कंपन्यांची अरेरावीही वाढत आहे.

या परिस्थितीला जबाबदार कोण, असाही यानिमित्ताने प्रश्न पडतो. सार्वजनिक उपक्रम म्हणून कार्यरत असलेली एसटी, परिवहन विभाग का महामार्ग पोलिस? एसटीला असणारी मर्यादा, त्यामुळे प्रवासी खासगी वाहतुकीकडे वळत आहेत का? याच बरोबर दुसरा अन्य पर्यायच नसल्याचे खासगी बस कंपन्यांना माहीत असल्याने ते ताठर भूमिका घेतात का, का त्यांच्यावर कोणीच कारवाई करणार नाही, म्हणून ते असे वागत आहेत, यासारखे प्रश्न उपस्थित झाल्याशिवाय राहात नाहीत. एखाद्या व्यक्तीला कोणाचाही धाक नसेल तर ती कशाही पद्धतीने वागते-बोलते, तेच खासगी बस कंपन्यांबरोबर सध्या होत आहे का, याबाबत कुठे तरी विचार होणे गरजेचे आहे.

या पार्श्वभूमीवर खासगी बससाठीही सर्वसमावेशक धोरणाची गरज आहे. त्यासाठी केंद्र सरकारने एक समिती नेमली आहे. त्या समितीने खासगी बसना सार्वजनिक उपक्रमातल्या बस बरोबरीने स्पर्धेत उतरवण्याची सूचना केली आहे. तर उच्च न्यायालयाने यापूर्वीच खासगी बसचे दरपत्रक असावे, असे निर्देश दिले आहेत. यातून खासगी बसवर नियंत्रणही मिळवता येईल आणि स्पर्धाही निर्माण होईल.

पण त्याला हे खासगी बस मालक आणि कंपन्या तयार होतील का, हा प्रश्न राहतो. खासगी बस कंपन्या आपल्या गाडया फायद्यात असलेल्या मार्गावरच चालवताना दिसतात. त्यांना अन्य मार्गावर त्या चालवणे शक्य होईल का, त्या मार्गावर त्यांनी गाडया चालवाव्यात, यासाठी सरकार काही जबाबदारी घेईल का, याचाही विचार होणे गरजेचे आहे. नियम धाब्यावर बसवून या गाडया चालत आहेत, त्या सर्व गाडयांना नियमाच्या बंधनात आणून त्यांना जबाबदारीची जाणीव करून देण्याचीही आवश्यकता आहे. तसे झाले नाही तर खासगी बस कंपन्यांची बेबंदशाही सुरूच राहील.

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थायरॉइड नियंत्रणात येतो..

अचानक वाढणारं वजन, जाणवणारा थकवा, गळणारे केस यांसारखे त्रास सुरू झाल्यावर डॉक्टर थायरॉइडची टेस्ट करायला सांगतात. तोपर्यंत थायरॉइड या आजाराविषयी फारसं माहीत नसतं. योग्य आहार तसंच पथ्याच्या आधाराने थायरॉइडचा आजार नियंत्रणात येतो. जनसामान्यांना थायरॉइड या आजाराची माहिती करून देणं, आजाराबद्दल जनजागृती करण्यासाठी २५ मे, जागतिक थायरॉइड दिनानिमित्ताने हा लेख.

कर्करोग, क्षयरोग या आजारांविषयी लोकांमध्ये जागृती दिसून येते. मात्र 'थायरॉइड' या आजाराविषयी लोकांमध्ये म्हणावी तितकी जागृती दिसून येत नाही. थायरॉइड हा आजार दोन प्रकारचा असतो. 'हायपर थायरॉइड' आणि 'हायपो थायरॉइड'. आपल्या शरीरातील अतिशय महत्त्वपूर्ण ग्रंथी म्हणजे थायरॉइड. या ग्रंथी शरीरात मानेखालच्या भागात असतात. तिचा आकार एखाद्या फुलपाखरासारखा असतो. या ग्रंथीतून 'T 3' आणि 'T 4' या संप्रेरकांची (हार्मोन्स) निर्मिती होते. शरीरक्रिया सुरू ठेवण्यासाठी या हार्मोन्सची गरज असते. शरीरातील बहुतेक क्रियांचा वेग हा या हार्मोन्सवर अवलंबून असतो. उदाहरणच घ्यायचं झालं तर हार्मोन्सचं प्रमाण वाढल्यावर शरीरातील मेटॅबॉलिझम वाढतं. म्हणजे हृदयाची धडधड वाढते, डोळे मोठे होतात, हाताला घाम सुटतो . मेटॅबॉलिझमचा परिणाम शरीरातील हाडं किंवा हृदयावर होऊ शकतो. हार्मोन्सचं प्रमाण कमी झाल्यास उलट परिणाम होतात. 

'आयोडिन' हे खनिज थायरॉइड ग्रंथीसाठी उपकारक समजलं जातं. थायरॉइड ग्रंथीचं कार्य, वाढ तसंच मेंदू आणि शरीर यांचा एकूण विकास करण्यासाठी या खनिजाचा उपयोग होतो. थायरॉइड ग्रंथींतून स्र्वणाऱ्या संप्रेरकांमुळे शरीराचं तापमान मर्यादित ठेवलं जातं. रक्तपेशी निर्माण होतात. प्रजोत्पादनासाठी आवश्यक पेशींचं आरोग्य सुधारतं. तसंच स्नायू आणि नसांना बळकटी प्राप्त होते.

'हायपो थायरॉइड' ('थायरॉइड' या अंत:स्रवी ग्रंथीचं काम कमी होतं) या आजाराचं प्रमाण दिवसागणिक वाढत आहे. दिवसाआड किमान एक ते दोन रुग्णांमध्ये या आजाराची किंवा यातल्या काही लक्षणांची सुरुवात दिसतेच. ओळखीच्या चार ते पाच कुटुंबांपैकी एका कुटुंबामध्ये एखादा तरी 'हायपो थायरॉइड'चा रुग्ण दिसून येतो. कित्येक रुग्ण तर वाढत चाललेल्या वजनामुळे त्रस्त होऊन डॉक्टरांकडे येतात. रक्ततपासणी केल्यानंतर 'हायपो थायरॉइड'चं निदान होतं.
'हायपो थायरॉइड'च्या आजारामध्ये खालील लक्षणं दिसून येतात.

वजन अकारण आणि अवास्तव वाढतं.

लवकर थकवा येतो.
कुठल्याही कामात निरुत्साह वाटतो.
अंगावर जास्त करून हात, पाय आणि चेहऱ्यावर सूज येते.
सांधेदुखीची समस्या वाढते.
त्वचा सुरकुतते. कोरडी पडते.
हाता-पायांच्या बोटांवरची नखं चपटी आणि खडबडीत होतात.
केस रुक्ष (कोरडे) होतात. जास्त प्रमाणात गळायला लागतात. लवकर पिकतात.
पोट साफ राहत नाही. (कॉन्स्टिपेशन म्हणजे बद्धकोष्ठतेचा त्रास जाणवतो.)
स्नायूंमध्ये पेटके येतात. (क्रॅम्प्स येणं)
कोलेस्टेरॉलचं प्रमाण वाढतं.
डिप्रेशन येतं.

आवाजात घोगरेपणा वाढतो.

स्त्रियांमध्ये मासिकपाळीच्या तक्रारी यांसारखी लक्षणं 'हायपो थायरॉइड' या आजारात दिसतात. 'सबक्लिनिकल हायपो थायरॉइड' म्हणजे ज्यात लक्षणं दिसू लागतात, पण रक्तात TSH (थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन्स), T3, T4 या संप्रेरकांची

पातळी सर्वसामन्य असते. मात्र कालांतराने TSH वाढलेलं आढळतं. आयोडिनची कमतरता निर्माण झाली की, थायरॉइडचा त्रास जाणवू लागतो. त्यामुळे थायरॉइड ग्रंथीभोवती थायरॉक्झीनची मागणी करणा-या शरीरातल्या रसायनांचा जमाव वाढतो. थायरॉइड ग्रंथींना सूज येते. शरीराच्या अन्य क्रियांमध्ये अडथळे निर्माण होतात. ज्यांचे रक्ताचे रिपोर्ट्स सुरुवातीला सर्वसामान्य (नॉर्मल) असतात, त्यांना इतर डॉक्टरांनी थकव्यासाठी केवळ टॉनिक किंवा अंगावर सूज असेल तर ती कमी करणारी औषधं दिलेली असतात. पण मूळ आजार त्यामुळे बरा होतच नाही. तसंच रुग्णालाही म्हणावा तितका फरक वाटत नाही. अशा पेशंट्समध्ये रिपोर्ट्स नॉर्मल असतानाही जर हायपो थायरॉइड या आजाराची लक्षणं ६० ते ७० टक्के दिसत असतील (सबक्लिनिकल हायपो थायरॉईड) तर त्या अनुषंगाने औषधं सुरू केल्यावर लगेच फरक दिसून येतो.

प्रत्येक वेळी एक नवं फॅड आपल्या देशात येतं. आपणसुद्धा त्यामागे डोळे बंद करून धावत सुटतो. अशीच काहीशी स्थिती गेल्या १० ते १५ वर्षात आयोडिनयुक्त मिठामुळे झाली आहे. ज्यांना खरोखरच गरज आहे, त्यांनी डॉक्टरी सल्ल्याने आयोडाइज्ड मीठ खावं किंवा जेवणातील इतर पदार्थातून आयोडिनचं प्रमाण थोडं वाढवून घ्यावं. उगीच सरसकट नॉर्मल लोकांनीही ते खात राहणं त्यांच्या आरोग्यासाठी योग्य नाही. या मुद्दयांवर मतमतांतरं भरपूर आहेत.

'थायरॉइड प्रोफाइल' म्हणजे T3, T4, TSH ही टेस्ट केल्यास त्या रिपोर्टच्या खाली एक ओळ लिहिलेली असते. ती म्हणजे excess intek of iodinemay lead to highTSH drugh that increases TSH values : iodine. म्हणजे बहुतांश लॅबसुद्धा हे मान्य करतात की, आयोडिनचा वापर मर्यादित असायला हवा.
रोजच्या आहारात आयोडिनची गरज७० ते १५० mcg/day एवढी असते. फक्त १ ग्रॅम आयोडाइज्ड मिठात आयोडिनचं प्रमाण ७७ mcg एवढं असतं. आता विचार करा, आपण दिवसभरात किती मीठ खातो? गरज नसताना आपल्या शरीरात किती आयोडिन जातं? मग का नाही 'थायरॉइड'चा आजार जडणार.

शाकाहारी लोकांच्या आहारातील आयोडिनची गरज दूध तसंच सालांसहित उकडलेला बटाटा, मुळा, गाजर, लसूण, कांदे, वांगी यांसारख्या भाज्यांमधून पूर्ण होऊ शकते. तर मांसाहारी लोक सी-फूड, अंडी या पदार्थामधून शरीरात निर्माण झालेली आयोडिनची कमतरता भरून काढू शकतात. आयोडिनची कमतरता असल्याची लक्षणं दिसू लागतात तेव्हाच आयोडिन मिठातूनही घ्यावं. मग शरीरात आयोडिनची कमतरता नसताना विनाकारण सरसकट 'आयोडाइज्ड मीठ' खाऊ नये. गरज नसताना आयोडाइज्ड मीठ खाण्यापेक्षा सगळ्यात उत्तम पर्याय असलेल्या 'संधव मीठ' या मिठाच्या प्रकाराचा जेवणात वापर करावा. संधव (उपवासाचे मीठ) rock salt हे इतर दिवशीही वापरलं तर त्याने नुकसान तर काहीच नाही, उलट ब्लडप्रेशरसारखे (रक्तदाब) इतर आजारही नियंत्रित राहतील. शिवाय या मिठात शरीरासाठी उपकारक असणा-या इतर अन्य खनिजांचंही प्रमाण भरपूर असतं. अनेक औषधी गुणांनी परिपूर्ण असणारं सैंधव मीठ हे सर्वानीच रोजच्या जेवणात वापरायला काहीच हरकत नाही. कारण लहान मुलांपासून ते वयोवृद्धांपर्यंत सर्वानाच मानवणारं असं हे मीठ आयुर्वेदालाही मान्य आहे.

शरीरातील आयोडिनचं प्रमाण हे क्लोरीन आणि ब्रोमीनयुक्त पाण्याने कमी होतं. पाणी शुद्ध करण्यासाठी काही ठिकाणी थेट क्लोरीनचा वापर केला जातो. काही ठिकाणी ब्लिचिंग पावडर तर काही ठिकाणी पॉली अल्युमिनाइज्ड क्लोराइडचा वापर केला जातो. पाणी शुद्धीकरणासाठी काहीही वापरा, नळाच्या पाण्यावाटे क्लोरीन तुमच्या पोटात प्रवेश करणारच. क्लोरीनचा हा प्रवेश नाकारण्यासाठी एक साधा उपाय आहे. नळावाटे 'शुद्ध' करून आलेलं पाणी भरून ठेवून दोन दिवसांनंतर शिळं झालं की वापरावं. तोपर्यंत त्यातील अतिरिक्त क्लोरीन उडून जाईल. आपण शरीराला उपकारक 'शिळं' पाणी फेकून देतो आणि नळावाटे आलेलं क्लोरीनयुक्त पाणी वापरायला घेतो. मग शरीरातलं आयोडिन कमी होणारच.

व्यायामाद्वारे 'हायपो थायरॉइड' या आजारावर नियंत्रण मिळवणं अवघड असल्याचं दिसून येत आहे. वाढत्या वजनाच्या चिंतेने रुग्ण ग्रस्त असतो. आहार नियंत्रित करूनही, डाएटिंग करूनही वजन कमी होत नाही, अशी रुग्णांची ओरड असते. आयुर्वेदातील 'पंचकर्म' या शरीरशुद्धीच्या प्रक्रियेंतर्गत वमन, विरेचन, बस्ती, रक्तमोक्षण, नस्य, शिरोधारा करून घेतल्यास हायपो थायरॉइड या आजारावर चांगल्या प्रकारे नियंत्रण मिळवता येतं, असं आढळून आलं आहे. आयोडिनचं अपुरं सेवन आणि त्यामुळे उद्भवणारे आजार लवकर बरे होत नाहीत. त्यासाठी आयोडिनचं अन्नातील प्रमाण योग्य राहील, यासाठी आपण जागरूक राहायला हवं. आयोडिन शरीरात साठवलं जात नाही. त्यासाठी आयोडिन रोजच पण मर्यादित प्रमाणात शरीरात गेलं पाहिजे.

विषेश महत्त्वाचं म्हणजे 'थायरॉइड' हा आजार १०० टक्के बरा होत नाही, तर तो १०० टक्के नियंत्रणात ठेवता येतो. रुग्णाची थायरॉइडची गाठ तयार करत नसणारे रसायन योग्य मात्रेत बाहेरून देऊनच थायरॉइड नियंत्रणात ठेवता येतो.

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लोककलांचा वारसा व्यासपीठांमुळे चालेल

कोकणातील अनेक लोककला भारतातील लोकांना माहीत आहेत; परंतु काही कला मात्र उपेक्षित आहेत. कोळी नृत्यासारख्या कलेला चांगलीच ऊर्जितावस्था आलेली आहे. परंतु नमन, दशावतार अशा लोककला उपेक्षित आहेत.

कोकणातील अनेक लोककला भारतातील लोकांना माहीत आहेत; परंतु काही कला मात्र उपेक्षित आहेत. कोळी नृत्यासारख्या कलेला चांगलीच ऊर्जितावस्था आलेली आहे. परंतु नमन, दशावतार अशा लोककला उपेक्षित आहेत. लोकला लोकप्रिय होण्यासाठी त्यांना जाणीवपूर्वक व्यासपीठ मिळवून द्यावे लागेल, तरच त्या कला राष्ट्रीय आणि आंतरराष्ट्रीय पातळीवर लोकप्रिय होतील.

म्हणून 'प्रहार'ने मुलुंडच्या कालिदास नाटय़गृहात सिंधुदुर्ग आणि रत्नागिरी या जिल्हय़ातील लोककलांचा उत्सव साजरा केला आणि कोकणच्या कला लोकप्रिय करण्याच्या दृष्टीने एक पाऊल टाकले आहे. मुळामध्ये दशावतार आणि नमन या कलांच्या सोबतच जाखडी नृत्य, गोमूचा नाच याही कला लोकप्रिय आहेत. खासदार निलेश राणे यांनी रविवारी 'प्रहार'च्या रंगारंग-२०१३ या कार्यक्रमात या कलांना अधिक विशाल व्यासपीठ मिळावे, यासाठी प्रयत्न करण्याचे आश्वासन दिले आहे. जोपर्यंत एखादी कला पुण्या-मुंबईत आणि मोठय़ा शहरात सातत्याने सादर होत नाही, तोपर्यंत तिला व्यापक स्वरूप येत नाही.

विशेषत: लावणी, गोंधळ या कलांच्या बाबतीत असा अनुभव आलेला आहे. या कला काही वेळा मुंबईमध्ये पंचतारांकित हॉटेलमध्ये सादर झाल्या. विशेषत: लावणीच्या बाबतीत तर हे प्रकर्षाने जाणवले. गेल्या २०-२५ वर्षात लावणी कलेला मिळालेली गती आणि शहरी लोकांचा मिळालेला आश्रय या गोष्टी आश्चर्य वाटाव्या अशा आहेत. असाच प्रकार कोकणातील इतर कलांच्याबाबतीत घडू शकतो. त्यामागे खासदार निलेश राणे आणि 'स्वाभिमान' संघटनेचे अध्यक्ष नितेश राणे यांच्यासारख्या कलाविषयी आस्था असणा-या नेत्यांचे पाठबळही लाभले आहे. कोकणातल्या कलांबाबतीत हे सारे प्रयत्न सुरू असतानाच दक्षिण कोकणातल्या राजापूर नगरपालिकेने दीड कोटी रुपये खर्च करून उत्तम नाटय़गृह उभे केले आहे.

या नाटय़गृहाचे उद्घाटन उद्योगमंत्री नारायण राणे यांच्या हस्ते झाले. कला हे केवळ करमणुकीचे साधन न राहता जनजागृतीचे आणि प्रबोधनाचेही साधन झाले पाहिजे, यावर नारायण राणे यांनी भर दिला. कोकणातील या कलांना राष्ट्रीय आणि आंतरराष्ट्रीय पातळीवर नेण्यासाठी 'प्रहार'ची भूमिका महत्त्वपूर्ण असेल. ज्या लोककलांना राजाश्रय मिळाल्या त्या कालाच्या ओघातही टिकल्या. मात्र, ज्यांना तो मिळाला नाही त्या नष्ट झाल्या. लोककला या लोकसमूहातून जन्म घेतात. त्यांना राजाश्रयाबरोबरच लोकाश्रयही आवश्यक असतो. त्यासाठी लोककला अधिकाधिक लोकांपर्यंत पोहाचल्या तर त्यांना लोकाश्रय मिळेल. हा लोकाश्रय मिळवून देण्यासाठी 'प्रहार' आपल्या माध्यमातून सर्वतोपरी प्रयत्न करत आहे. त्यासाठीच 'प्रहार'ने आपले व्यासपीठ लोककलांसाठी खुले केले आहे. लोककला टिकवण्यासाठी व्यासपीठांची आवश्यकता आहे. 'प्रहार'ने या कामी पुढाकार घेतला आहे.

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शरीफ अराजकता संतुष्टात आणतील ?

पाकिस्तानात लोकशाहीच्या मार्गाने सत्तांतर होण्याची ही पहिलीच वेळ आहे. पाकिस्तानातील लोकशाहीने यानिमित्ताने छोटेसे का होईना एक पाऊल पुढे टाकले, याबद्दल जगभरात समाधान व्यक्त केले जात आहे. मात्र म्हणून त्या देशातील अराजक जादूची कांडी फिरवल्याप्रमाणे संपुष्टात येईल, असे मानण्याचे कारण नाही. विशेषत: भारताने ही बाब लक्षात ठेवायला हवी. नवाज शरीफ यांनी निवडणूक प्रचारात भारताशी संबंध सुधारण्याचा विचार बोलून दाखवला असला तरी तो अंमलात ते कसा आणतात, याकडे सावधानतेने पाहण्याची गरज आहे. पाकिस्तानमधील शांतता भारताच्या हिताची आहे. नवाज शरीफ यांनी दहशतवादाविरोधात भूमिका मांडली आहे, पण ती अंमलात आणण्याचे धाडस ते दाखवतात की, नाही यावरच पाकिस्तानच्या लोकशाहीचे आणि भारत-पाकिस्तान संबंधांचे भवितव्य अवलंबून आहे.

पाकिस्तानात नुकत्याच झालेल्या सार्वत्रिक निवडणुकांमध्ये नवाज शरीफ यांच्या विजयाकडे एक नवे स्थित्यंतर म्हणून पाहिले गेले. वास्तविक पाहता नवाज शरीफ यांचे आतापर्यंतचे राजकारण पाकिस्तानच्या राजकीय व्यवस्थेला अनुसरून असेच होते. पंतप्रधानपदाच्या आपल्या पहिल्या दोन कारकिर्दीत त्यांनी पाकिस्तानच्या राजकारणाला आणि व्यवस्थेला वेगळे वळण देण्याचा काही प्रयत्न केल्याचे कधी दिसले नाही. इतर राजकीय नेत्यांप्रमाणेच त्यांचेही लष्कर आणि कट्टरतावाद्यांशी मिळते-जुळते घेत पुढे जाण्याचे धोरण होते.

पण १९९९मध्ये लष्करप्रमुख असलेल्या परवेझ मुशर्रफ यांनी त्यांची पंतप्रधानपदावरून हकालपट्टी करून सत्ता हस्तगत केली आणि तेव्हा त्यांचे राजकीय जीवन बदलले. गेली १४ वर्षे ते सत्तेपासून दूर होते. या १४ वर्षात त्यांनी तुरुंगवास भोगला, विजनवास भोगला. या अनुभवातून तावून सुलाखून निघालेले नवाज शरीफ आता आणखी वास्तववादी आणि समंजस बनले आहेत. म्हणूनच त्यांच्याकडून अपेक्षा बाळगल्या जात आहेत. 

अमेरिकेने दहशतवादाविरोधात युद्ध पुकारल्यानंतरच्या काळात पाकिस्तानात अक्षरश: अराजक निर्माण झाले आहे. दहशतवादी, मूलतत्त्ववादी आणि लष्कराच्या कचाटय़ात सापडलेल्या या देशाची सुटका नाही, असेच वाटत होते. मुशर्रफ यांची लष्करशाही अमेरिकेच्या दबावामुळे आणि पाकिस्तानी जनतेच्या रेटय़ामुळे संपुष्टात आली. त्या जागी आलेले पाकिस्तान पीपल्स पक्षाचे सरकार निष्प्रभ होते, तरी त्याने आपल्या मुदतीची पाच वर्षे पूर्ण केली. पाकिस्तानी लष्कराचा तटस्थपणा याला कारणीभूत होता. अफगाणिस्तान आणि पाकिस्तान-अफगाणिस्तान सीमेवर दहशतवाद्यांविरोधात लढण्यात पाकिस्तानी लष्कर गुंतले आहे. त्यामुळे देशांतर्गत कटकटींना तोंड देण्यात त्यांना सध्या तरी स्वारस्य नाही. हीच गोष्ट पाकिस्तानी लोकशाहीच्या पथ्यावर पडली आहे.

या निवडणुकीचे आणखी एक वैशिष्टय म्हणजे यात युवा मतदारांचा सहभाग मोठा होता. पाकिस्तानात बदलाची जी काही झुळूक वाहते आहे, त्याला हा मतदार बराच जबाबदार आहे. दहशतवाद आणि मूलतत्त्ववाद यांनी पाकिस्तानची अर्थव्यवस्था रसातळाला गेली आहे. कर्जाचा डोंगर उभा आहे. जगात पाकिस्तानशी मैत्री करायला कुणी तयार नाही. अमेरिकेशी असलेली मैत्री पाकिस्तानचे अस्तित्वच संपुष्टात आणू पाहत आहे. अमेरिकेपलीकडे आता पाकिस्तानने पाहायला हवे, याचे भान तेथील राजकीय व्यवस्थेला आता आले आहे.

नवाज शरीफ यांचे धोरण उद्योगधंद्यांना प्रोत्साहन देणारे आहे. ते स्वत: उद्योगपती असल्याने असे असावे, असे तज्ज्ञांना वाटते. पाकिस्तानच्या जनतेने नवाज शरीफ यांच्यावर विश्वास टाकण्याचे एक कारण म्हणजे गेल्या १४ वर्षात त्यांच्यात घडून आलेला बदल. १९९९ आणि त्यापूर्वीचे नवाज शरीफ हे सत्तेला हपापलेले आणि सगळी सत्ता आपल्या हाती एकवटून ठेवण्याचा प्रयत्न करणारे होते. १९९९मध्ये तर त्यांचे सरकार सर्वात भ्रष्ट म्हणूनच ओळखले जात होते. परवेझ मुर्शफ यांनी त्यांना सत्तेवरून हटवल्यानंतर पाकिस्तानी जनतेने सुटकेचा नि:श्वास सोडला होता. पण आता परिस्थिती खूप बदललेली आहे. शरीफ स्वत: उद्योगपती असल्याने त्यांचे ते कौशल्य देशाला दिवाळखोरीच्या संकटातून बाहेर काढेल, असे पाकिस्तानी जनतेला वाटले तर नवल नाही आणि ते खरेच आहे. राजकारणात त्यांनी दहशतवादी, मूलतत्त्ववादी यांच्याशी हातमिळवणी केली तरी पाकिस्तानला आर्थिक विकासाच्या वाटेवर आणण्याचा त्यांनी मनापासून प्रयत्न केला.

पंतप्रधानपदाच्या या आधीच्या कारकीर्दीत त्यांनी मोठे अंतर्गत विकासप्रकल्प सुरू केले होते. इस्लामाबाद ते लाहोर दरम्यानचा मोटर वे हा त्यांनी सुरू केलेला मोठा प्रकल्प होता. याही वेळी त्यांनी कराची आणि पेशावर दरम्यान बुलेट ट्रेन सुरू करण्याचे आश्वासन दिले आहे. शरीफ यांची स्वप्ने मोठी आहेत आणि ती लोकांपर्यंत पोहोचवण्याची हातोटीही त्यांच्याकडे आहे. पाकिस्तानातील सर्वात श्रीमंत आणि राजकीयदृष्टय़ा प्रबळ असलेल्या पंजाबचे ते रहिवासी आहेत, ही त्यांच्या दृष्टीने आणखी एक जमेची बाजू आहे. आपला व्यवसाय वाचवण्यासाठी राजकारणात प्रवेश केलेल्या शरीफ यांना पुढे आणले ते लष्करशाह झिया उल हक यांनी. धर्माधिष्ठित राजकारणाचा पगडा नवाज शरीफ यांच्यावरही आहे. दहशतवादाविरोधात ते आता बोलत असले तरी निवडणूक प्रचाराच्या काळात झालेल्या तालिबानी हल्ल्यांविरोधात त्यांनी चकार शब्द काढला नाही, हेही तितकेच खरे आहे.

भारताशी मिळते-जुळते घेण्याचे शरीफ यांचे धोरण पूर्वीही होते आणि आताही आहे. मात्र हे ते बोलत असले तरी प्रत्यक्ष कृती त्यांच्याकडूनही झालेली नाही. सध्या भारत-पाकिस्तानात मतभेदाचा महत्त्वाचा मुद्दा आहे तो दहशतवाद. २६/११नंतर हा मुद्दा आणखी तीव्र झाला आहे. २६/११च्या गुन्हेगारांना शिक्षा करण्यात पाकिस्तानला आलेले अपयश आणि तेथील दहशतवादी संघटनांची भारतविरोधी कारवाया आणि कटकारस्थाने यांना पायबंद घालण्याचे पाकिस्तानला जमलेले नाही. शरीफ यांनी हे करून दाखवले तर भारत-पाकिस्तान मैत्रीचे नवे पर्व सुरू व्हायला हरकत नाही.

दक्षिण आशियाई क्षेत्रात शांतता प्रस्थापित करायची असेल तर पाकिस्तानातील दहशतवाद नष्ट होण्याची आणि भारत-पाकिस्तान संबंध सुरळीत होण्याची गरज आहे. अनुभवाने तावून सुलाखून निघालेल्या शरीफ यांनी त्यांच्या देशातील बदलत्या वाऱ्याची दिशा ओळखली आहे. त्या दिशेने वाटचाल करण्याचे संकेत त्यांनी दिले आहेत. पण भ्रष्टाचार आणि दहशतवादाच्या बजबजपुरीत अडकलेली पाकिस्तानची राजकीय व्यवस्था त्यांना या मार्गावरून जाऊ देते की, नाही हा खरा प्रश्न आहे आणि म्हणूनच भारतानेही शरीफ यांच्याकडून फार अपेक्षा बाळगण्यात अर्थ नाही.

भारतावर काय परिणाम होणार?
पाकिस्तानमध्ये निवडणुका होऊन तेथे नवाज शरीफ यांच्या हाती सत्तेची सूत्रे आल्याने भारतात आनंद व्यक्त होत आहे. त्यांच्या सत्तेवर येण्यामुळे भारत आणि पाकिस्तान यांच्यातील संबंध सुधारण्यासाठी मदत होईल, अशा अपेक्षा व्यक्त केली जात आहे. पण, त्या अपेक्षा फोल ठरण्याशिवाय त्यातून काही साध्य होणार नाही. पाकिस्तानमध्ये लोकशाही असो किंवा लष्करशाही तेथे कोणाचीही सत्ता असली तरी त्यामुळे त्यांच्या भारताविषयीच्या धोरणात काही फरक पडणार नाही. कारण मुळात भारतद्वेष हे पाकिस्तानचे मूळ आहे आणि ते कोणी विशिष्ट पक्ष किंवा विशिष्ट व्यक्ती सत्तेवर आल्यामुळे नष्ट होणार नाही. त्यामुळे त्या देशात काहीही स्थित्यंतर झाले तरी भारताला त्याने काही फरक पडणार नाही.
- श्रीकांत परांजपे, संरक्षणतज्ज्ञ

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देवभूमीतला सैतान!

केरळच्या देवभूमीत क्रिकेटपटू फारसे जन्माला आले नाहीत. केरळवासीयांचे पहिले प्रेम फुटबॉल. मग अ‍ॅथलेटिक्स. त्यामुळेच शांताकुमारन श्रीशांतसारखा दुर्मीळ क्रिकेटपटू तेथे उदयाला आला, त्यावेळी तमाम केरळवासीयांनी त्याच्यावर मनापासून प्रेम केले. आज स्पॉटफिक्सिंग प्रकरणात अडकल्यामुळे याच केरळवासीयांची घोर फसवणूक झालेली दिसते. गेली जवळपास दोनक वर्षे तो दुखापतींच्या तक्रारींमुळे भारतीय संघाबाहेरच फेकला गेला होता. सात वर्षापूर्वी भारताच्या दोन ऐतिहासिक विजयांमध्ये योगदान देणारा हाच तो श्रीशांत होता, हे आता सांगूनही खरे वाटणार नाही. २००६ मध्ये जमैकात आणि त्याच वर्षाच्या अखेरीस दक्षिण आफ्रिकेत जोहान्सबर्ग कसोटीत भारतीय संघाने विजय मिळवले, कारण श्रीशांतने काही अप्रतिम, धारदार स्पेल टाकले. प्रतिस्पर्धी फलंदाजांना उचकवण्यातही श्रीशांत इतर भारतीय गोलंदाजांच्या तुलनेत बराच पुढे होता. त्यावेळी त्याचा तो आचरटपणा आक्रमकतेच्या नावाखाली खपून गेला. पण त्याचे मानसिक वय वाढत नसल्याचे दाखले नंतर मिळू लागले. हरभजन सिंगकडून थप्पड खाल्ल्यानंतरही त्याच्या बाजूने संपूर्ण सहानुभूती कधीच गोळा झाली नव्हती. 'डोक्याला ताप' अशी संभावना भज्जीबरोबर त्याचीही झाली. 'मी रात्री गॉडशी बोलतो', 'त्याच्यासाठी डायरी लिहितो' वगैरे चाळे, निष्पाप वृत्ती आणि बालिशपणाच्या सीमेवर हेलखात होते. बघताबघता श्रीशांत तिशीच्या उंबरठय़ावर आला आणि त्याच्या चाळ्यांना माफी मिळण्याचा 'ग्रेस पिरियड'ही संपुष्टात आला. दुखापतींतून बरा झाल्यानंतर भारतीय संघात पुनरागमन करण्यासाठी त्याला आयपीएलच्या माध्यमातून संधी होती. पण ती सुरू होण्यापूर्वीच ट्विटरच्या माध्यमातून त्याने हरभजकडून मिळालेल्या थप्पड प्रकरणाला निष्कारण उकळी दिली. त्या ट्विटमधून श्रीशांतला नेमके काय म्हणायचे होते, हे कदाचित तोच सांगू शकेल. यंदाच्या आयपीएलमध्ये सुरुवातीच्या – दिल्लीविरुद्धच्या सामन्यात त्याने ब-यापैकी गोलंदाजीही केली. पण प्रत्येक वेळी कर्णधार राहुल द्रविडने आपला समावेश संघात केलाच पाहिजे, असा हट्ट तो धरू लागला, जो मान्य होणे शक्यच नव्हते. कटकट करतो म्हणून काही वेळा त्याला संघाबाहेरच ठेवण्यात आले. तरीही उचापतखोरपणा काही कमी होत नव्हता. असल्या उच्छृंकल व्यक्तिमत्त्वाला बुकींच्या तीक्ष्ण नजरेने बरोबर हेरला. बाहेरख्याली सवयीदेखील जडल्या होत्याच. परवा मुंबईतल्या एका हॉटेलात त्याला उचलला, त्यावेळीही स्वारी एका कन्येसोबत होती, असे पोलिस सांगतात. त्या सामन्यासाठी खरे तर श्रीशांतचा रॉयल्सच्या संघात समावेशच झाला नव्हता. तरीही तो मुंबईत आला होता. ९ मे रोजीच्या सामन्यात किंग्ज इलेव्हन पंजाबविरुद्ध त्याने स्पॉटफिक्सिंग केले. सापडल्यानंतर आपल्याला गुंतवले गेले वगैरे नित्याच्या सबबींचा पाढा झाला. पण मुंबईतल्या त्या हॉटेल रूमवर बुकींशी त्याच्या थेट संपर्काचे पुरावे सापडले आणि उरलीसुरली सहानुभूतीही संपुष्टात आली. शिक्षा म्हणून पहिले कोणी तरी त्याच्या मुस्काटीत लगावावी, अशीच सच्च्या क्रिकेटप्रेमींची भावना झाली.

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धोका ऑनलाइन औषध खरेदीचा

इंटरनेटच्या वाढत्या वापरामुळे खरेदीही घरबसल्या करता येऊ लागली असली, तरी घरबसल्या खरेदीच्या काही प्रकारांनी ब-याच समस्या निर्माण झाल्या आहेत. वजन वाढवण्यासाठी, वजन घटवण्यासाठी त्याच प्रकारे पीळदार शरीरयष्टी आणि महिलांना सुडौल बांधा प्रदान करण्याचा दावा करणा-या महागडय़ा औषधांची ऑनलाइन विक्री जोरात सुरू आहे. सौंदर्याच्या भ्रामक कल्पनांच्या प्रभावाखाली असलेले लोक त्यांच्या दुष्परिणामांची कोणतीही खातरजमा न करता त्यांचा वापर करत आहेत. कोणाचेही नियंत्रण नसलेल्या आणि गंभीर दुष्परिणाम असलेल्या या औषधांच्या वापराबाबत ग्राहकांनी वेळीच जागरूक होण्याची गरज आहे.

आपल्या देशात संगणक वापरणाऱ्यांचे प्रमाण दर दिवसागणिक वाढत आहे. विशेषत: इंटरनेटवरील विविध 'स्पेशल नेटवर्किंग साइट्स'वरून इंटरनेट खरेदी (online shopping)पर्यंत खूप सा-या बाबी आता हातातल्या मोबाइल किंवा आय-पॅडसारख्या उपकरणांमध्ये उपलब्ध आहेत. त्यातच जाहिरात, उत्पादनांकडे आकर्षित करण्यासाठी 'प्रमोशनल ऑफर्स' आणि तथाकथित आरोग्यदायी उत्पादने यांची भुरळ नवीन पिढीला पडते. वय आणि कमाई यांच्या परस्परपूरक अशा संयोगातून खरेदीचे विविध निर्णय घेतले जातात. त्यात आणखी भर पडते ती समवयस्काकडून येणा-या दबावाची. स्वप्नवत सौंदर्य, आकर्षकपणा, सुडौल बांधा हेच जणू यशाचे व चांगल्या व्यक्तिमत्त्वाचे गमक आहे, अशा समजुतीखाली सध्याची पिढी वावरत असते.

शारीरिक सौंदर्याशिवाय सर्व काही व्यर्थ आहे. या दुनियेत 'यशस्वी' (म्हणजे नक्की काय?) होण्यासाठी शरीर व मन निरोगी असण्यापेक्षा, शरीर आकर्षक 'दिसणं' महत्त्वाचं मानलं जात आहे. त्यांच्या मनावर यशस्वीतेचा हा नवा सिद्धांत बिंबवण्यासाठी विविध उत्पादकांचाही आटापिटा सुरू असतो आणि त्यांच्याकडून होत असलेल्या या जाहिरातबाजीच्या जाळ्यात उमलत्या वयातील मुलं-मुली बळी पडतात. हे प्रकार आपल्या देशात अगदी अलीकडे म्हणजे, साधारणपणे गेल्या दहा वर्षापासून फार मोठया प्रमाणावर घडायला लागले आहेत. त्यामुळे त्याविषयी सावध करणारी घंटा समाजातील विचारवंत वाजवत आहेत, पण तथाकथित उच्चभ्रू – विकसित- मॉडर्न अशा विशेषणांनी युक्त संस्कृतींमध्ये, समाजांमध्ये वावरू इच्छिणा-या, झटपट यशाच्या मागे धावणा-या ध्येयवादी तरुणांसाठी अशा घंटा म्हणजे बुरसट विचारच ठरतात.

मात्र, ज्या प्रगत देश व संस्कृतींकडून हे वारे 'खाऊजा पर्वा'नंतर आपल्या देशाकडे जणू वादळ बनून आले आहेत, तिथले विचारवंतसुद्धा गेली अनेक वर्षे सातत्याने हेच सांगत आहेत, की शारीरिक सौंदर्याच्या, कुणा एका उत्पादकाने ठरवलेल्या मोजपट्टय़ांच्या साहाय्याने स्वत:च्या आयुष्याचे मोजमाप करू नका. त्याने नुकसान होऊ शकते. तरी त्या देशांमध्येही अधूनमधून कोणत्या ना कोणत्या दुर्घटना घडत असतातच. अनेक वेळा ऑनलाइन औषध-खरेदी हे त्यामागील कारण असल्याचे उजेडात येते. वारंवार अशा घटना घडतात. त्यावेळी कायद्यांच्या व नियमांच्या अंमलबजावणीमधल्या त्रुटी काढून टाकण्याचा प्रयत्न सुरू होतो. मात्र ते सगळे होईपर्यंत पुन्हा-पुन्हा दुर्घटना घडत राहतात.

स्लिमिंग पिल्स, वजन कमी करणारे 'जादुई खाद्यान्न', अशा प्रकारचे औषधी परिणाम दाखवणारे खाद्यान्न पुरवणा-या आस्थापना व दुसरीकडे वजन वाढणार नाही, अशी खात्री देणारे, 'खा पोटभर' असा संदेश देणारे उत्पादन या व अशा चक्रात आपली सुशिक्षितच नव्हे तर अर्धशिक्षित तरुणाईसुद्धा सापडली आहे. यामध्ये केवळ त्यांना दोष देता येणार नाही, पण आधुनिकतेच्या नावाखाली आरोग्याशी होणारा खेळ हा कधी व कसा जिवावर बेतेल, हे सांगता येत नाही. ही धोक्याची जाणीव त्यांना करून द्यायला हवी आहे. वारंवार व विविध माध्यमांमधून ती त्यांच्यापर्यंत पोहोचली पाहिजे. ज्या प्रमाणात या स्लिमिंग उत्पादनांच्या व सौंदर्यप्रसाधनांच्या जाहिराती मनावर व डोळयावर आदळतात तितक्याच सातत्याने हे प्रयत्न झाले पाहिजेत.

हैदराबादचा सरे काउंटीमध्ये शिकणारा आणि मि. मसल म्हणून विद्यापीठाच्या कॅम्पसमध्ये प्रसिद्ध झालेला विद्यार्थी सर्मद अल्लादीन. या अल्लादीनचा फेब्रुवारी महिन्यात अचानक मृत्यू झाला. त्यावेळी या 'स्लिमिंग पिल्स'बद्दलची चर्चा परत एकदा सुरू झाली. त्याने स्वत:हून या स्लिमिंग पिल्स सुरू केल्या होत्या. त्याचा किती चांगला उपयोग होतो आहे, असे दाखवतच तो देवाघरी गेला. त्याच्या हैदराबादस्थित कुटुंबीयांना हा मोठाच धक्का बसला. काय होते त्या स्लिमिंग पिल्समध्ये?
डीएनपी या नावाने ओळखले जाणारे रसायन (केमिकल) या स्लिमिंग पिल्समध्ये वापरण्यात येते. ते मानवी सेवनासाठी – माणसांच्या आरोग्यासाठी घातक आहे, हे सिद्ध झाले आहे.

कीटकनाशक म्हणून त्याचा उपयोग असतो. त्याचप्रमाणे असे म्हणतात की, 'बॉडी बिल्डिंग' अर्थात दणकट व पीळदार शरीरयष्टी तयार करणा-या विविध गटांकडून त्याचा उपयोग केला जातो. मात्र त्यावेळी तो संपूर्णपणे आरोग्यविषयक तज्ज्ञांच्या देखरेखीखाली करण्यात येतो. अनेक देशांमध्ये हे रसायन 'स्लिमिंग पिल्स' म्हणून विकण्याससुद्धा बंदी आहे. मात्र, इंटरनेटच्या माध्यमातून सगळं जगच एक 'बाजार' झालेलं आहे. त्यामुळे दुस-या देशातल्या ऑनलाइन शॉपमधून हे 'स्लिमिंग पिल' नावाचं उत्पादन विकत घेता येतं. खुद्द यू.के.मध्ये अशा प्रकारची खरेदी स्पेनमधल्या वेबसाइटवरून होत असल्याचे दिसते. त्यामुळे आणखी एका ब्रिटिश तरुणीने जीव गमावल्याचे नुकतेच प्रसिद्ध झाले आहे. त्यातच ती विद्यार्थिनी तिच्या दुस-या काही तक्रारींसाठी इतर औषधे डॉक्टरांच्या सल्ल्याने घेत होती आणि सडपातळ होण्याची जणू घाई झाल्याने, तिने या स्लिमिंग पिल्स इतर औषधांच्या बरोबरीने, डॉक्टरांना न सांगता, घेतल्या.

१९३८ पर्यंत हे रसायन सडपातळ होण्यासाठी उपयुक्त समजलं जात होतं. मात्र, त्यानंतर ते मानवी वापरासाठी अयोग्य ठरवण्यात आले आहे. तरीही जर ते विकसित देशांमध्येही उपलब्ध होत असेल, तर तिथे नियमन व नियंत्रण, अभ्यास आणि संशोधन यांच्या विश्वासार्हतेबाबत प्रश्नचिन्ह निर्माण झालं आहे. जर विकसित देशांमध्ये ही परिस्थिती तर अनेक विकसनशील देशांमध्ये काय परिस्थिती असेल? ग्राहकांना चकवून, भुलवून आपला नफा वाढवणे या व्यतिरिक्त काहीच न जाणणा-या उत्पादकांपासून आपणच आपले संरक्षण केले पाहिजे.

अनारोग्य होणार नाही, याबाबत जागरुक राहणे, हा प्रतिबंधात्मक उपाय सर्वात उत्तम. मात्र जर काही तक्रार निर्माण होत असेल, तर तिच्यावर तज्ज्ञांकडून व वेळीच सल्ला घ्यावा. त्याचे पालन नीट करावे. विशेषत: वजन काही चार दिवसात अचानकपणे ५-१० किलो वाढत नाही. त्यामुळे चुकीच्या प्रभावाखाली येऊन सौंदर्याच्या आणि शरीरसौष्ठवाच्या भ्रामक कल्पनांसाठी कोणतेही उपाय स्वमनाने करणे योग्य नव्हे. ऑनलाइन खरेदी व त्यातही औषधे खरेदी करणे, सूज्ञ ग्राहकाने टाळणेच योग्य.

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मुंबईत साकारले कोकणचे कलारंग

महाराष्ट्र कलानिधी आणि 'प्रहार' आयोजित कोकणी लोककला उत्सवांचा 'रंगारंग-२०१३' हा कार्यक्रम रविवारी मुलुंड येथील कालिदास नाटयगृहात जल्लोषात सादर झाला.

मुंबई - महाराष्ट्र कलानिधी आणि 'प्रहार' आयोजित कोकणी लोककला उत्सवांचा 'रंगारंग-२०१३' हा कार्यक्रम रविवारी मुलुंड येथील कालिदास नाटयगृहात जल्लोषात सादर झाला.

कणकवली, रत्नागिरी, दापोली, देवगड, मालवण, कुडाळ, तुळस, वेतोरे, आचरा, हळवल, संगमेश्वर या रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग जिल्ह्यांतील अस्सल लोककलांची नेत्रदीपक मेजवानी या लोककला महोत्सवातून मुंबईकरांना अनुभवायला मिळाली. कामानिमित्ताने शहरी जीवनात स्थायिक झालेल्या कोकणवासीयांना या महोत्सवाच्या निमित्ताने मुंबईतच कोकणची कलासफर अनुभवता आली.

समुद्रकिनारी हिरव्यागार वनराईने नटलेल्या कोकणातील लोककलांची आगळीवेगळी ओळख जनमानसात आहे. दशावतार, जाखडी, नमन व आदिवासी नृत्य प्रकारांचा अनुभव घेऊन कोकणातील लोककला संस्कृती जतन करण्याच्या उद्देशाने महाराष्ट्र कलानिधीचे अध्यक्ष नितेश राणे आणि 'प्रहार'च्या सिंधुदुर्ग आवृत्तीचे संपादक शशिकांत सावंत यांच्या कल्पनेतून हा कार्यक्रम साकारण्यात आला. यासाठी रत्नागिरी आणि सिंधुदुर्ग जिल्ह्यांतील शाळकरी विद्यार्थ्यांपासून ते विविध महिला गटांनी या महोत्सवात लोककलांचे सादरीकरण केले.

गणेश नमन आणि दशावतारी आरतीने लोककला उत्सवाची सुरुवात झाली. वेतोरे गावातील श्रीदेवी सातेरी दशावतार मंडळातील महिलांनी टाळ, मृदुंग, झांजेच्या गजरात गणेशवंदना आणि खास मालवणी चालीतील श्रीगणेशाची आरती सादर केली. 'गा-हाना घालूक महिलांका येता' ही दशावतारी आरती रत्नागिरीतील नारायणी भगिनी मंडळातील महिलांनी सादर केली. तर 'मंगळागौर' सादर करून मुंबईत स्थायिक झालेल्या महिलांना कोकणातील त्यांच्या गावांची आठवण कला मंडळांनी करून दिली.

विशेष म्हणजे मालवणी भाषेतून 'अहों'चा उखाणा घेताना महिलांनी 'प्रहार'लाही उखाण्यातून शुभेच्छा दिल्या. त्यानंतर ३ महिला कलामंडळांनी कमळचक्र, आगोटापागोटा, खुंटणमिरची, सूपगिरकी, थाटफुगडी, चोरटीसून, करवंटी फुगडी, बसफुगडी, धन्नादतोडी फुगडी, मुसळफुगडी, तिखट मीठ, लाटण्यांची आणि तव्यातली फुगडी, असे फुगडय़ांचे प्रकार सादर केले.

घरातील महिलांची भांडणे, कामचुकार सुनेला अद्दल घडवण्यासाठी 'झाडूचा मुगडा' घेऊन सुनेच्या मागे पळणाऱ्या सासूबाई आदी लोककला प्रकारातील कथाविनोद आणि फुगडय़ांच्या माध्यमातून सादर केल्यावर प्रेक्षकांनी हास्य आणि टाळ्यांच्या कडकडाटात जोरदार दाद दिली. लोककलेच्या माध्यमातून कोकणातील संस्कृतीचे दर्शन घडवतानाच सामाजिक भानही कला मंडळांनी जपले होते. सावंतवाडीच्या दत्तप्रसाद फुगडी मंडळाने लोककला आणि पथनाटय़ाची सांगड घालून 'लेक वाचवा' हा संदेश दिला.

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दिग्गजांमध्ये तुल्यबळ लढत

आयपीएलच्या सहाव्या हंगामातील 'प्ले ऑफ' फेरीच्या पहिल्या लढतीत (क्वालिफायर १) मंगळवारी (२१ मे) फिरोजशा कोटला मैदानावर पहिल्या क्रमांकावरील चेन्नई सुपर किंग्ज दुस-या क्रमांकावरील मुंबई इंडियन्सशी दोन हात करेल.

नवी दिल्ली - आयपीएलच्या सहाव्या हंगामातील 'प्ले ऑफ' फेरीच्या पहिल्या लढतीत (क्वालिफायर १) मंगळवारी (२१ मे) फिरोजशा कोटला मैदानावर पहिल्या क्रमांकावरील चेन्नई सुपर किंग्ज दुस-या क्रमांकावरील मुंबई इंडियन्सशी दोन हात करेल. दोन्ही संघांची या मोसमातील कामगिरी समसमान असल्याने चुरशीची लढत अपेक्षित आहे.

चेन्नई आणि मुंबईने सर्वाधिक म्हणजे प्रत्येकी ११ सामने जिंकलेत. आणखी एक साम्य म्हणजे दोन्ही संघांनी घरच्या मैदानावरील (होम) सर्वच्या सर्व म्हणजे आठ सामने जिंकण्याची करामत साधली आहे.

दोन्ही संघांची 'होम'मधील कामगिरी दृष्ट लागण्यासारखी असली तरी 'अवे'ची तितकी चांगली नाही. 'क्वालिफायर १' लढत त्रयस्थ ठिकाणी खेळावी लागत आहे. त्यातच कोटलाची खेळपट्टी 'खतरनाक' म्हणून प्रचलित असल्याने दोन्ही संघांचा कस लागेल. मात्र 'होम' आणि 'अवे' लढतीत चेन्नईला हरवल्याचा मानसिकदृष्टय़ा फायदा मुंबईला होईल.

चेन्नई आणि मुंबईची सर्वाधिक भिस्त फलंदाजीवर आहे. माइक हसी, सुरेश रैना आणि कर्णधार महेंद्रसिंग ढोणीवर चेन्नईची तसेच विक्रमवीर सचिन तेंडुलकरसह दिनेश कार्तिक, कर्णधार रोहित शर्मा आणि किरॉन पोलार्डवर मुंबईची फलंदाजीची मदार आहे. बंगळूरुचे आव्हान साखळीतच संपुष्टात आल्याने 'ऑरेंज कॅप' पटकावण्याची संधी हसीला आहे. १६ सामन्यांत सर्वाधिक ७०८ धावा करणा-या गेलकडे सध्या 'ऑरेंज कॅप' असली तरी १५ लढतींमध्ये ६४६ धावा फटकावणारा हसी फार दूर नाही.

सचिनला (१४ लढतींमध्ये २८७ धावा) लौकिकाला साजेशी फलंदाजी करता आलेली नाही. दुखापतीमुळे मागील दोन लढतीत त्याने विश्रांती घेणे, पसंत केले. मात्र चेन्नईविरुद्ध सचिन खेळण्याची दाट शक्यता आहे. हसीनंतर सर्वाधिक धावा करण्यात चौथ्या स्थानी असलेला मुंबईचा कर्णधार रोहित शर्माही (५२६ धावा) ऑरेंज कॅपच्या शर्यतीत आहे. मात्र त्यासाठी त्याला उर्वरित लढतींमध्ये दोन मोठया खेळी कराव्या लागतील. रोहितसह कार्तिक आणि पोलार्डमध्ये सामना फिरवण्याची ताकद आहे.

फलंदाजीप्रमाणे चेन्नई आणि मुंबईची गोलंदाजीही प्रभावी ठरत आहे. चेन्नईचा मध्यमगती ड्वेन ब्राव्होने १६ सामन्यांत २५ विकेट घेत दुसरे स्थान राखले आहे. मुंबईचा तेज गोलंदाज मिचेल जॉन्सननेही (१४ लढतींमध्ये २२ विकेट) प्रभावी मारा केला आहे. ब्राव्होला नवोदित मोहित शर्मा (१७ विकेट) तसेच जॉन्सनला ऑफस्पिनर हरभजन सिंग (१९ विकेट) आणि तेज गोलंदाज लसित मलिंगाची (१७ विकेट) चांगली साथ लाभली आहे. दोन्ही संघ सर्व आघाडय़ांवर मजबूत आहेत. मात्र हसी वि. ओझा, तेंडुलकर वि. अश्विन, रोहित वि. ड्वेन ब्राव्हो, ढोणी वि. हरभजन आणि पोलार्ड वि. मोहित शर्मा अशा लढती रंगण्याची शक्यता आहे.

मोठे आव्हान उभे करण्यात मुंबईचा हातखंडा आहे तर आव्हानाचा यशस्वी पाठलाग करणे, चेन्नईला जमते. मात्र नाणेफेकीचा कौलही महत्त्वपूर्ण ठरेल. दोन्ही संघ अव्वल असल्याने तसेच निर्णायक लढतीत आमनेसामने आल्याने क्रिकेटपटूंप्रमाणे दोन्ही संघनायकांचाही कस लागेल.

असा रंगेल सामना

हसी वि. ओझा
तेंडुलकर वि. अश्विन
रोहित वि. ड्वेन ब्राव्हो
ढोणी वि. हरभजन
पोलार्ड वि. मोहित शर्मा


सवानी यांनी घेतली दिल्ली पोलिसांची भेट
नवी दिल्ली – बीसीसीआयच्या भ्रष्टाचारविरोधी पथकाचे प्रमुख रवी सवानी यांनी सोमवारी स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण हाताळणा-या दिल्ली पोलिस अधिका-यांची भेट घेतली. ''दिल्ली पोलिस आयुक्त नीरज कुमार यांच्यासह अन्य पोलिस अधिका-यांसोबतची चर्चा चांगली झाली,''असे सवानी यांनी सांगितले. सवानी आणि पोलिस अधिकारी यांच्यात जवळपास १५ मिनिटे चर्चा झाली. सवानी यांच्या अध्यक्षतेखाली बीसीसीआयने चौकशी समिती नेमली आहे. दिल्ली पोलिसांना सर्वतोपरी सहकार्य असेल, असे बोर्डाने रविवारीच स्पष्ट केले आहे.


अव्वल चार संघांवर करडी नजर
यापुढे प्रत्येक संघावर आणि क्रिकेटपटूंवर करडी नजर ठेवण्याच्या कार्यकारी समितीच्या निर्णयाची अंमलबजावणी बीसीसीआयने 'प्ले ऑफ' फेरीपासून करण्याचे ठरवले आहे. या फेरीत पोहोचलेल्या अव्वल चार संघांसोबत भ्रष्टाचार विरोधी पथकाचा अधिकारी नेमण्यात आला आहे. हा अधिकारी पूर्ण वेळ संघासोबत असेल.

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ठाणे जिल्ह्यातील १०१ गावांना पुराचा धोका

२६ जुलै २००५ रोजी झालेल्या महापुराने ठाणे जिल्ह्यातील गावांचे प्रचंड नुकसान झाले होते. ठाणे जिल्ह्यात सध्या १०१ गावांना पुराचा धोका आहे.

ठाणे – २६ जुलै २००५ रोजी झालेल्या महापुराने ठाणे जिल्ह्यातील गावांचे प्रचंड नुकसान झाले होते. ठाणे जिल्ह्यात सध्या १०१ गावांना पुराचा धोका आहे. २६ जुलै २००५ची गंभीर परिस्थिती यंदाच्या पावसाळ्यात उद्भवू नये आणि जिल्ह्यांतील पूरग्रस्त भागांमध्ये आणीबाणीची परिस्थिती निर्माण होऊ नये यासाठी जिल्हा आपत्कालीन यंत्रणा सज्ज झाली आहे.

ठाणे जिल्ह्यातील १३.३३ टक्के भाग पूरस्थितीत संवेदनशील भाग म्हणून ओळखला जातो. अतिवृष्टी, नागरीकरण, प्लॅस्टिकचा वाढता वापर, धरणातून सोडण्यात येणारा विसर्ग, समुद्रास भरती याबाबी एकत्र आल्यास जिल्ह्यातील १०१ गावांमध्ये पूरसदृश्य परिस्थिती निर्माण होते. यंदा पूरस्थितीचा सामना करण्यासाठी आपत्कालीन यंत्रणेने तयारी केली आहे.

पूरग्रस्तांसाठी उपाययोजना
>रहिवासी आणि जनावरांचे जीव वाचवण्यासाठी ४५ बोटी, ६०० लाइफ जॅकेट, ६०० लाइफबॉय उपलब्ध करून देण्यात आले आहेत.
>बचावासाठी विविध गटांमार्फत ४७६ कर्मचारी तैनात.
>तालुकास्तरीय १५ व गावपातळीवर ९१३ आपत्ती व्यवस्थापन समित्या कार्यरत.
>आपत्तीपूर्व आढावा बैठक घेण्याबाबतचे सर्व तहसीलदारांना निर्देश.
>पूरग्रस्तांना शाळा, महाविद्यालये, मंदिरे, सभागृह येथे तात्पुरते निवारे आणि अन्नपदार्थ उपलब्ध करून देण्याच्या तहसीलदारांना सूचना.
>रस्ते अपघात टाळण्यासाठी सार्वजनिक बांधकाम विभागांमार्फत धोकादायक ठिकाणांची यादी तयार. तिथे आवश्यक उपाययोजना करण्यात येणार.
>जिल्ह्यातील सात महापालिका व पाच नगरपालिकांना नाल्यांची सफाई आणि त्यातील गाळ काढण्याचे निर्देश.
>वीज कोसळण्याच्या घटना रोखण्यासाठी जिल्ह्यात अनेक ठिकाणी वीज अटकाव यंत्रणा कार्यरत.

जिल्ह्यातील पूरग्रस्त गावे 
तालुका गावे 
शहापूर १७
भिवंडी १७
कल्याण १६
डहाणू १६
पालघर १९
विक्रमगड
उल्हासनगर
अंबरनाथ
एकूण १०१

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भारतीय वंशाच्या तरुणीचा आश्चर्यकारक शोध

कॅलिफोर्नियामधील एका भारतीय वंशाच्या तरुणीने तयार केलेल्या उपकरणामुळे इंटरनेट विश्वात अग्रणी असलेल्या गुगलचेही लक्ष वेधले गेले आहे.

वॉशिंग्टन – कॅलिफोर्नियामधील एका भारतीय वंशाच्या तरुणीने तयार केलेल्या उपकरणामुळे इंटरनेट विश्वात अग्रणी असलेल्या गुगलचेही लक्ष वेधले गेले आहे. या तरुणीने तयार केलेल्या उपकरणाच्या साहाय्याने मोबाइल फोन केवळ २० सेकंदात चार्ज करणे शक्य होणार आहे. ईशा खरे असे या तरुणीचे नाव असून तिने 'सुपरकॅपॅसिटर' नावाचे ऊर्जेची साठवण करणारे अतिशय लहान उपकरण तयार केले आहे. तिच्या या शोधामुळे तिला 'इंटेल इंटरनॅशनल सायन्स अ‍ॅन्ड इंजिनीअरिंग फेअर' या आंतरराष्ट्रीय विज्ञान मेळाव्यात ५० हजार डॉलरचा 'तरुण शास्त्रज्ञ' पुरस्कार मिळाला आहे.या उपकरणाला कमी जागा लागत असल्याने व त्यातील चार्ज जास्त वेळ टिकत असल्याने बॅटरीची जागाही लहान होणार आहे. ईशाच्या म्हणण्यानुसार तिने तयार केलेल्या उपकरणाद्वारे मोबाइल फोन १०००० वेळा चार्ज करता येतो तर नेहमीच्या रिचार्जेबल बॅट-या केवळ १००० वेळा चार्ज होतात.

 

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'फिक्सर' क्रिकेटपटूंचे करार रद्द

आयपीएलमध्ये स्पॉटफिक्सिंग करणा-या एस. श्रीशांत, अंकित चव्हाण आणि अजित चंडिलाविरुद्ध त्यांचे संघमालक (फ्रँचायझी) राजस्थान रॉयल्सने कठोर कारवाई करताना सर्वाचे करार मोडीत काढले.

जयपूर – आयपीएलमध्ये स्पॉटफिक्सिंग करणा-या एस. श्रीशांत, अंकित चव्हाण आणि अजित चंडिलाविरुद्ध त्यांचे संघमालक (फ्रँचायझी) राजस्थान रॉयल्सने कठोर कारवाई करताना सर्वाचे करार मोडीत काढले. तसेच त्यांच्याविरुद्ध दिल्ली पोलिसांकडे तक्रार दाखल केली आहे.

''पोलिसांनी दाखल केलेल्या गुन्हय़ाच्या आधारे श्रीशांत, अंकित आणि अजित या तीन क्रिकेटपटूंचा करार रद्द करण्यात आला आहे. बीसीसीआयने सूचित केल्याप्रमाणे तिघाही क्रिकेटपटूंविरुद्ध आम्ही दिल्ली पोलिसांत रितसर तक्रार केली आहे. 'फिक्सर' क्रिकेटपटूंना कडक शिक्षा व्हावी, असे आम्हाला वाटते. त्यासाठी दिल्ली पोलिस तसेच बीसीसीआयला आमचे संपूर्ण सहकार्य राहील,''असे राजस्थान रॉयल्सचे अध्यक्ष रणजीत बर्थाकुर यांनी सांगितले.

दरम्यान, मुंबई पोलिसांच्या गुन्हे शाखेने सोमवारी हैदराबाद येथे राहणा-या कास्टिंग डायरेक्टरची चौकशी केली. या कास्टिंग डायरेक्टरने एस. श्रीशांतला ई-मेलद्वारे अनेक मॉडेल्सची छायाचित्रे पाठवली होती. श्रीशांतच्या मालकीच्या एस-३६ या ब्रँडच्या जाहिरासाठी या मुलींचे प्रोफाइल पाठवण्यात आले होते.

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बारावीचा निकाल ३१ मेपूर्वी तर दहावीचा १० जूनपूर्वी

महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडळाकडून फेब्रुवारी-मार्चमध्ये घेण्यात आलेल्या बारावीच्या परीक्षेचा निकाल येत्या ३१ मेपर्यंत तर दहावीच्या परीक्षेचा निकाल १० जूनपूर्वी जाहीर करण्यात येणार आहे.

मुंबई – महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडळाकडून फेब्रुवारी-मार्चमध्ये घेण्यात आलेल्या बारावीच्या परीक्षेचा निकाल येत्या ३१ मेपर्यंत तर दहावीच्या परीक्षेचा निकाल १० जूनपूर्वी जाहीर करण्यात येणार आहे.

बारावीची परीक्षा उत्तीर्ण झालेले लाखो विद्यार्थी वैद्यकीय, औषध निर्माणशास्त्र, अभियांत्रिकी, आयआयटीसाठी प्रवेश घेतात. तसेच काही विद्यार्थी शिक्षणासाठी परदेशात जातात. राज्य शिक्षण मंडळाचा निकाल अनेकदा उशिरा लागल्याने विद्यार्थ्यांसमोर प्रवेशासाठी अडचणी निर्माण होतात. त्यामुळे शिक्षण मंडळाच्या उच्चस्तरीय अधिका-यांनी बारावीचा निकाल मे अखेपर्यंत जाहीर करण्याचे ठरवले.

मुंबई, पुणे, नागपूर, औरंगाबाद, कोल्हापूर, अमरावती, नाशिक, लातूर आणि कोकण या नऊ विभागीय मंडळातर्फे बारावीची परीक्षा फेब्रुवारी-मार्च दरम्यान घेण्यात आली होती. या परीक्षेला राज्यातून १२ लाख ९४ हजार ३६३ विद्यार्थी बसले होते. यापैकी मुंबई विभागातील तीन लाख ८१ हजार ४४० विद्यार्थ्यांचा समावेश आहे.

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हार्बर कोलमडली

पनवेल-अंधेरी लोकलचे ब्रेक जाम होऊन गाडीतून धूर येऊ लागल्याची घटना सोमवारी सकाळी घडली.
मुंबई – पनवेल-अंधेरी लोकलचे ब्रेक जाम होऊन गाडीतून धूर येऊ लागल्याची घटना सोमवारी सकाळी घडली. त्यामुळे दीड तास हार्बरची वाहतूक पूर्णपणे बंद ठेवण्यात आली. यामुळे ऐन गर्दीच्या वेळी प्रवाशांचे हाल झाले.

सकाळी नऊ वाजण्याच्या सुमारास पनवेल-अंधेरी लोकलचे ब्रेक विलेपार्ले स्थानकात जाम झाले. त्यानंतर गाडीतून धूर येऊ लागल्याने अंधेरीच्या दिशेने हार्बर मार्गाने जाणारी वाहतूक पूर्णत: बंद केली. वाहतूक सुरू करण्यासाठी तब्बल दीड तासांचा कालावधी लागला. त्यावेळी सीएसटी ते वांद्रे वाहतूक सुरू होती. प्रवाशांची गैरसोय टाळण्यासाठी सीएसटीहून पाच विशेष गाड्या वांद्रेपर्यंत सोडण्यात आल्या.

नऊ वाजता बंद पडलेली लोकल साडेदहा वाजता यार्डात हलवण्यात आली. त्यानंतर अंधेरी पर्यंतची वाहतूक पूर्ववत करण्यात आली. या गोंधळामुळे तीन लोकल रद्द करण्यात आल्या.

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संजय दत्त आर्थर रोड तुरुंगातच

सुरक्षेच्या कारणास्तव अभिनेता संजय दत्तला कोणत्या तुरुंगात ठेवायचे याचा निर्णय न झाल्याने आणखी काही दिवस त्याला आर्थर रोड तुरुंगात ठेवण्यात येणार आहे.
मुंबई – सुरक्षेच्या कारणास्तव अभिनेता संजय दत्तला कोणत्या तुरुंगात ठेवायचे याचा निर्णय न झाल्याने आणखी काही दिवस त्याला आर्थर रोड तुरुंगात ठेवण्यात येणार आहे.संजय दत्तला सध्या आर्थर रोड तुरुंगातील यार्ड क्रमांक १२ च्या तळमजल्यावर ठेवले आहे. त्याच्यासोबत युसूफ नळवाला आहे. सुरक्षेच्या कारणावरून संजय दत्तला कोणत्या तुरुंगात ठेवायचे, याबाबत तुरुंग अधिका-यांचे एकमत होत नसल्याने आणखी काही दिवस त्याला आर्थर रोड तुरुंगातच राहावे लागेल. अतिरिक्त महासंचालक (तुरुंग) मीरा बोरवणकर यांनीही यापूर्वीच प्रसिद्धी माध्यमांना याचे संकेत दिले होते.

आर्थर कारागृहातील यार्ड क्रमांक १२चा कायापालट करून अजमल कसाबसाठी त्याची मजबूत बांधणी केली. कसाबच्या फाशीनंतर जुंदालला विशेष सेलमध्ये ठेवले. मात्र, त्याला कसाबसारखी विशेष सुरक्षा दिली नव्हती.

 

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'बेस्ट'च्या तोट्याचा भार अखेर वीज ग्राहकांवर

बेस्टच्या परिवहन उपक्रमाला होणार तोटा भरून काढण्यासाठी बेस्टच्या वीजग्राहकांवर त्याचा अतिरिक्त भार पडणार आहे.
मुंबई – बेस्टच्या परिवहन उपक्रमाला होणार तोटा भरून काढण्यासाठी बेस्टच्या वीजग्राहकांवर त्याचा अतिरिक्त भार पडणार आहे. त्याला महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोगानेही मंजुरी दिली आहे. त्यानुसार, बेस्टची वीज वापरणा-या ग्राहकांना दरमहा वीजबिलामध्ये सरासरी अतिरिक्त ५० रुपयांचा भरुदड सहन करावा लागणार आहे. सध्या बेस्ट तब्बल ११८७ कोटी रुपये तोटय़ात आहे. हा तोटा वीज ग्राहकांच्या माध्यमातून २०१६ पर्यंत भरून काढण्याची मर्यादाही आयोगाने निश्चित करून दिली आहे. यातून बेस्टला दरमहा ५० कोटी रुपये मिळणार आहेत.

बेस्टची परिवहन सेवाही २००४ पासून आतापर्यंत तोट्यातच आहे. हा तोटा भरून काढण्यासाठी उपक्रमातील वीज ग्राहकांकडून अतिरिक्त शुल्क आकारून तो तोटा भरून काढावा, असे यापूर्वीच जाहीर करण्यात आले होते. सर्वोच्च न्यायालयानेही त्याला हिरवा कंदील दिला होता. मात्र, बेस्टची वीज वापरणा-या ग्राहकांवर हा अन्याय असल्याचे सांगून डी. के. शेट्टी आणि बी. एस. शेट्टी यांनी महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोगाकडे फेरविचार अर्ज केला होता. त्यावर नुकतीच सुनावणी झाली. हे अतिरीक्त शुल्क ग्राहकांना परवडणारे नसल्याचे त्यांनी सांगितले. मात्र बेस्टला जर परिवहन विभागात तोट होत असेल, तर तो भरून काढण्यासाठी बेस्टचाच भाग असलेल्या वीज विभागातून भरून काढता येऊ शकतो, असे आयोगाने स्पष्ट करत फेरविचार अर्ज निकाली काढला.

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सध्या बेस्ट परिवहन सेवा ११८७ कोटी रुपये तोटय़ात आहे. हा तोटा बेस्टला २०१६ पर्यंतच भरून काढायचा आहे, असेही आयोगाने स्पष्ट केले आहे. त्यामुळे बेस्टच्या १० लाख वीज ग्राहकांना २०१६ पर्यंत अतिरीक्त परिवहन तोटा शुक्ल भरावे लागणार आहे. सरासरी प्रत्येक ग्राहकामागे ५० रुपये अतिरिक्त शुल्क असेल. महिन्याला यातून बेस्टला ५० कोटी रुपये मिळणार आहेत. त्यामुळे बेस्टच्या वीज ग्राहकांना २०१६ पर्यंत परिवहन तोटा शुल्कातून सुटका मिळणार नाही, हे आता निश्चित झाले आहे.

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अमेरिकेला टोरांडोचा तडाखा

अमेरिकेच्या ओलाखोमा शहरात टोरांडो वादळाचा तडाखा बसल्याने अंदाजे ५१ जणांचा मृत्यू झाला.

ओलाखोमा – अमेरिकेच्या ओलाखोमा शहरात टोरांडो वादळाचा तडाखा बसल्याने अंदाजे ५१ जणांचा मृत्यू झाला तर १२०० हून अधिक जणं गंभीर जखमी झाले आहेत.

या वादळात एका शाळा कोसळल्यामुळे मृतांमध्ये शालेय विद्यार्थ्यांचा समावेश आहे. अंदाजे ३२० किलोमीटर प्रति तास वेगाने वाहणा-या टोरांडोच्या या वादळाने मूरे, ओलाखोमा भागातील जनजीवन विस्कळीत झाले आहे.

ओलाखोमा वैद्यकीय अधिका-याने दिलेल्या माहितीनुसार, मृतांचा आकडा वाढण्याची भिती व्यक्त केली जात आहे. आत्तापर्यंत अंदाजे १२० जणांवर रुग्णालयात उपचार सुरु असून त्यात ७० शालेय विद्यार्थ्यांचा समावेश आहे.

अमेरिकेच्या राष्ट्रीय हवामान खात्याने टोरांडो वादळ अमेरिकेच्या किनारपट्टीवर अर्ध्या किलोमीटर अंतरावर दाखल झाल्याची पूर्वसूचना दिली होती. या वादळामुळे मूरे शहरातही जनजीवन विस्कळीत झाले आहे. टोरांडो वादळाचा फटका १९९९ मध्येही याच शहरांना बसला होता. मात्र यावर्षी आलेल्या वादळाने १९९९ च्या वादळाचे सर्व रेकॉर्डब्रेक केले आहेत.

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नगर तालुक्यातील रुईछत्तीसी येथे डान्सबारवर छापा

अहमदनगर जिल्ह्यातील नगर तालुक्यातील रूईछत्तीसी गावात नगर-सोलापूर मार्गावर बीयरबारच्या नावाखाली सुरू असलेल्या डान्सबारचा पोलिसांनी पर्दाफाश केला.
अहमदनगर – अहमदनगर जिल्ह्यातील नगर तालुक्यातील रूईछत्तीसी गावात नगर-सोलापूर मार्गावर बीयरबारच्या नावाखाली सुरू असलेल्या डान्सबारचा पोलिसांनी पर्दाफाश केला. या बारवर पोलिसांनी छापा टाकून बार मालक आणि सात महिलांसह १२ जणांना अटक केली असून, ७९ हजार रुपयांचा ऐवज जप्त केला. अहमदनगरच्या स्थानिक गुन्हे अन्वेषण शाखेच्या (एलसीबी) पथकाने ही कारवाई केली.

रुईछत्तीसी गावात स्वागत हॉटेलमध्ये बीयरबारच्या नावाखाली डान्सबार सुरू असल्याची माहिती जिल्हा पोलिस अधीक्षक रावसाहेब शिंदे यांना मिळाली होती. शिंदे यांच्या मार्गदर्शनाखाली स्थानिक गुन्हे अन्वेषण शाखेचे सहाय्यक पोलिस निरीक्षक पुरुषोत्तम चोभे, किरणकुमार बकाले यांच्या पथकाने सापळा रचून या बारवर छापा टाकला. या कारवाईत किरणकुमार बकाले हे स्वत:च बनावट ग्राहक बनून बारमध्ये गेले होते. त्यावेळी त्याठिकाणी डान्सबार सुरू असल्याची त्यांची खात्री झाली. त्यानंतर बकाले यांनी दिलेल्या सूचनेनुसार पोलिस अधिकारी व कर्मचाऱ्यांनी हॉटेलवर छापा टाकला.

डान्सबारचा मालक संदीप एकनात भांबरे (रा. रुईछत्तीसी), व्यवस्थापक रवींद्र बाळासाहेब रासकर (रा. मार्केट यार्ड, अहमदनगर), संगीत चालक राजू देवदास मुखर्जी (मूळ रा. पश्चिम बंगाल), वेटर विजय रवींद्र शिंदे (रा. रुईछत्तीसी), सुरक्षारक्षक केरू लक्ष्मण नवसुपे (रा. बनपिंप्री) आणि डान्सबारमध्ये नृत्य करणा-या सात महिलांसह १२ जणांना पोलिसांनी अटक केली. या कारवाईत पोलिसांनी डान्सबारमधून ७९ हजार रुपयांचा ऐवज जप्त केला. डान्सबारमध्ये पकडण्यात आलेल्या सर्व महिलांकडून बीयरबारमध्ये वेटर म्हणून नोकरनामा लिहून घेण्यात आला होता, असे चौकशीत पुढे आले आहे. बारमध्ये महिला वेटर रात्री साडेनऊपर्यंत काम करू शकतात. मात्र रुईछत्तीसी गावातील स्वागत हॉटेलमधील डान्सबारमध्ये या महिला मध्यरात्रीनंतरही नृत्य करत होत्या. रुईछत्तीसी गावातील स्वागत हॉटेलमध्ये गेल्या अनेक महिन्यांपासून डान्सबार सुरू आहे. मात्र या बार मालकाचे राजकीय नेत्यांशी जवलळचे संबंध असल्याने कोणीही त्याच्याविरोधात तक्रार करण्याचे धाडस केले नाही. मात्र, अखेर पोलिसांनीच पुढाकार घेऊन कारवाई केल्याने गावातील ग्रामस्थांमधून समाधान व्यक्त केले जात आहे.

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१२ हजार रिक्त पदे तीन महिन्यांत भरणार

मुंबई महापालिकेत रिक्त असलेल्या १८ हजार ४७२ पदांपैकी १२ हजार पदे पुढच्या तीन महिन्यांत भरली जाणार असल्याची माहिती महापौर सुनील प्रभू यांनी दिली.

मुंबई – मुंबई महापालिकेत रिक्त असलेल्या १८ हजार ४७२ पदांपैकी १२ हजार पदे पुढच्या तीन महिन्यांत भरली जाणार असल्याची माहिती महापौर सुनील प्रभू यांनी दिली. महापालिकेत मोठ्या प्रमाणात रिक्त पदे असल्याचा मुद्दा भाजपच्या विनोद शेलार यांनी महापालिका सभागृहात यापूर्वी मांडला होता. त्या पार्श्वभूमीवर सोमवारी महापौरांच्या दालनात बैठक झाली.

रिक्त पदांमुळे उपलब्ध कर्मचा-यांवर कामाचा ताण पडत असून, नागरिकांचीही गैरसोय होत आहे. त्यामुळेच आता ही पदे भरण्यासाठी महापालिका प्रशासनाने तातडीने हालचाली केल्या आहेत. त्यानुसार पुढील तीन महिन्यांत सुमारे १२ हजार रिक्त पदे भरली जातील. यात आरोग्य विभागाच्या ७६२ पदांचाही समावेश आहे. विशेष म्हणजे २०११ मध्ये जे उमेदवार प्रतीक्षा यादीत होते, त्यांना या भरतीत प्राधान्य देण्यात येणार आहे. अनेक पदेही आरक्षित आहेत. मात्र त्या वर्गाच्या आरक्षणाचा उमेदवारच मिळत नसल्याने ती रिक्त राहतात. अशा पदांवर इतर वर्गाच्या उमेदवारांची तात्पुरत्या स्वरूपात नेमणूक केली जावी, असा निर्णय महापौरांच्या दालनात झालेल्या बैठकीत घेण्यात आल्याचे भाजप नगरसेवक विनोद शेलार यांनी सांगितले. या बैठकीला महापालिकेच्या अतिरिक्त आयुक्त मनीषा म्हैसकर, स्थायी समिती अध्यक्ष राहुल शेवाळे आदी उपस्थित होते.

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'स्माईल प्लीज'

कांन्स  येथील ६६  व्या आंतरराष्ट्रीय चित्रपट पुरस्कार सोहळ्यादरम्यान ‘ब्लड टाईज’ या चित्रपटाच्या स्क्रिनिंगसाठी अभिनेत्री ऐश्वर्या राय-बच्चन उपस्थित होती.

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रेसकोर्स हवाच!

रेसकोर्स हवाच, अशी मागणी महालक्ष्मी रेसकोर्समधील जॉगर्स अँड वॉकर्स असोसिएशनने केली आहे.

मुंबई - महालक्ष्मी येथील रेसकोर्सच्या जागेवर उद्यान किंवा स्मारकाऐवजी रेसकोर्सच राहू द्या, रेसकोर्स हवाच, अशी मागणी महालक्ष्मी रेसकोर्समधील जॉगर्स अँड वॉकर्स असोसिएशनने केली आहे. उद्यान किंवा स्मारक बांधून या जागेचा अपव्यय करण्यापेक्षा ही जागा रेसकोर्ससाठीच ठेवण्याची मागणी असोसिएशनचे अध्यक्ष पुरुषोत्तम सिंगी यांनी सोमवारी पत्रकार परिषदेत केली.

पोलो या खेळासाठी या जागेचा वापर जास्त होत असल्याने या खेळासाठी येथे उच्चभ्रू लोकांचा वावर अधिक प्रमाणात असल्याने सामान्य माणसाला येथे बंदी असल्याचा गैरसमज पसरल्याचे सिंगी म्हणाले. रेसकोर्स येथील जागेवर धनदांडग्यांची मक्तेदारी नाही. ही जागा सार्वजनिक असून, येथे दिवसभरात दोन हजार नागरिक भेट देत असतात. यामध्ये सामान्य नागरिकांचाही समावेश आहे. पोलो खेळाव्यतिरिक्त येथे चालण्यासाठीही राखीव जागा आहे. ही जागा तीन हजार एकर मोठी असल्याने स्मारक किंवा उद्यान बांधल्यास दैनंदिन देखभालखर्च महापालिकेच्या आवाक्याबाहेरचा असल्याचे असोसिएशनतर्फे सांगण्यात आले.

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'बेस्ट'च्या रंगांधळ्या चालकांचे भवितव्य टांगणीलाच

बेस्टमधील १४२ रंगांधळ्या चालकांच्याभवितव्याबाबत अजूनही कोणताच ठोस निर्णय न झाल्याने त्यांचे भवितव्य टांगणीला लागले आहे.
मुंबई – बेस्टमधील १४२ रंगांधळ्या चालकांच्या भवितव्याबाबत अजूनही कोणताच ठोस निर्णय न झाल्याने त्यांचे भवितव्य टांगणीला लागले आहे. या सर्व चालकांचा मानवतेच्या दृष्टिकोनातून विचार केला जावा, असे बेस्ट समितीच्या बैठकीत ठरले होते. त्या बाबत एका समितीची स्थापना करण्याचा निर्णयही झाला होता. मात्र, त्या प्रक्रियेला गती मिळालेली नाही. बेस्टमध्ये कामगारांचे अनेक प्रश्न आहेत. त्यामुळे कोणत्या-कोणत्या प्रश्नाकडे पहायचे, असा प्रती प्रश्नच या विषयावर बोलताना बेस्ट समितीचे अध्यक्ष नाना आंबोले यांनी उपस्थित केला. शिवाय याला आणखी निश्चित किती कालावधी लागेल, हे सांगण्याचे त्यांनी टाळले. दरम्यान, विरोधकांनी मात्र याबाबत लवकर निर्णय झाला पाहिजे, असा सूर लावला आहे.

रंगांधळेपणामुळे गेल्या तीन महिन्यांपेक्षा अधिक काळ बेस्टचे १४२ चालक घरी बसून आहेत. आपल्याला पुन्हा नोकरीवर लवकरात लवकर घेतले जाईल, या आशेवर बेस्ट प्रशासनाच्या निर्णयाकडे त्यांचे डोळे लागले आहेत. मात्र त्यांचे काय करायचे याचा निर्णयच प्रशासकीय यंत्रणेच्या कारभारात अडकला आहे. बेस्ट समितीच्या अध्यक्षांना तर या प्रशासनाकडे लक्ष द्यायला वेळच नसल्याचे चित्र आहे. १४२ कर्मचा-यांचा हा एकच विषय आपल्यासमोर नाही. बदली कामगार, अनुशेष भरती, कामगारांची देणी यांसारखे अनेक प्रश्न सध्या आपल्यासमोर असल्याचे बेस्ट समितीचे अध्यक्ष आंबोले यांनी सांगितले. त्यामुळे या १४२ कर्मचाऱ्यांबाबत जो काही निर्णय घेण्यासाठी अजून काही कालावधी जाणार असल्याचे त्यांनी सांगितले. मात्र निश्चित किती कालावधी लागणार हे त्यांनी सांगितले नाही.

या सर्व कर्मचा-यांचा मानवतेच्या दृष्टिकोनातून विचार निश्चितच करू हे सांगायला आंबोले विसरले नाहीत. दरम्यान, त्यांच्या या भूमिकेमुळे १४२ चालकांच्या भवितव्यावरच अनिश्चितेचे सावट निर्माण झाले आहे. तोपर्यंत करायचे काय, असा प्रश्नही त्यांच्यासमोर आहे. याबाबत बेस्ट समितीच्या मंगळवारी होणा-या बैठकीत विरोधक जोरदार आवाज उठवणार आहेत. या कर्मचा-यांबाबत निर्णय घेऊन त्यांच्या कुटुंबीयांना दिलासा द्या, ही मागणी लावून धरणार असल्याचे मनसेचे बेस्ट समिती सदस्य संदीप देशपांडे यांनी सांगितले.

४२ रंगांधळ्या कर्मचा-यांचे काय होणार?

बेस्टच्या नियमावलीनुसार चालक आणि वाहकांना इतर विभागांमध्ये पर्यायी नोकरी देता येत नसल्याने बेस्टच्या १४२  रंगांधळ्या कर्मचा-यांना घरी बसण्याची वेळ आली.

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'निलांबरी'तून सोमवार ते शुक्रवार मुंबई दर्शन

'बेस्ट'च्या ताफ्यात असलेल्या 'निलांबरी' आणि 'विभावरी' या डबलडेकर बसमधून 'एमटीडीसी'च्या धर्तीवर आता पर्यटकांना सोमवार ते शुक्रवारदरम्यान मुंबई दर्शन घडणार आहे.
मुंबई – 'बेस्ट'च्या ताफ्यात असलेल्या 'निलांबरी' आणि 'विभावरी' या डबलडेकर बसमधून 'एमटीडीसी'च्या धर्तीवर आता पर्यटकांना सोमवार ते शुक्रवारदरम्यान मुंबई दर्शन घडणार आहे. 'निलांबरी-विभावरी बसकडे पर्यटकांची पाठ,' या मथळ्याखाली वृत्त 'प्रहार'मध्ये सोमवारी प्रसिद्ध झाले होते. त्याची दखल घेऊन बेस्ट समितीचे अध्यक्ष नाना आंबोले यांनी परिवहन विभागाच्या अधिका-यांना त्याबाबत सूचना दिल्या असून, 'एमटीडीसी'च्या धर्तीवर मुंबई दर्शनाकरता बस चालवण्याबाबत सूचना दिल्या आहेत.

मे महिन्यात देश-परदेशातील पर्यटक मुंबई दर्शनासाठी येथे येत असतात. त्यांना डबलडेकरचे मोठे आकर्षण असते. या गोष्टी लक्षात घेऊन खास पर्यटनासाठी 'निलांबरी' आणि 'विभावरी' या बस बेस्टने आपल्या ताफ्यात आणल्या आहेत. 'बेस्ट' सोमवार ते शुक्रवारी या बससाठी संपूर्ण दिवसकरता १५ हजार तर अध्र्या दिवसासाठी १० हजार रुपये भाडे आकारते. मात्र, हे भाडे एका कुटुंबाला किंवा छोट्या गटाला परवडत नाही. या उलट 'एमटीडीसी' शनिवार आणि रविवारी याच बसचे अपर डेकसाठी प्रति व्यक्ती १५० तर लोअर डेकसाठी ५० रुपये भाडे आकारते. 'बेस्ट'लाही मुंबई दर्शनासाठी अशा पद्धतीने या बस चालवणे शक्य आहे. पण तसे प्रयत्न 'बेस्ट'कडून आजपर्यंत होत नव्हते.

याबाबत 'प्रहार'मध्ये सोमवारी वृत्त प्रसिद्ध झाल्यानंतर बेस्ट समितीचे अध्यक्ष नाना आंबोले यांनी 'बेस्ट'नेही 'एमटीडीसी'च्या धर्तीवर प्रती व्यक्ती तिकीट आकारून मुंबई दर्शनासाठी या बस चालवाव्यात, किंवा तसे करणे शक्य आहे का, या दृष्टीने पडताळणी करण्याच्या सूचना परिवहन विभागाला केल्या आहेत. त्यामुळे मुंबईत येणाऱ्या पर्यटकांना लवकरच सोमवार ते शुक्रवारदरम्यान मुंबई दर्शनाचा आनंद लुटता येईल.

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प्रीती राठीची प्रकृती चिंताजनक

वांद्रे येथील अँसिड हल्ल्यात जखमी झालेल्या प्रीती राठी हिच्यावर बॉम्बे हॉस्पिटलमधील डॉक्टरांनी सोमवारी बॉन्कोस्कोपी शस्त्रक्रिया केली.

मुंबई – वांद्रे येथील अँसिड हल्ल्यात जखमी झालेल्या प्रीती राठी हिच्यावर बॉम्बे हॉस्पिटलमधील डॉक्टरांनी सोमवारी बॉन्कोस्कोपी शस्त्रक्रिया केली. जोपर्यंत तिच्या यकृताला झालेला संसर्ग कमी होत नाही, तोपर्यंत अन्ननलिकेत झालेल्या जखमा भरून काढण्यासाठी आवश्यक असलेली शस्त्रक्रिया करणे शक्य नसल्याचे बॉम्बे हॉस्पिटलमधील डॉक्टरांनी सांगितले. तर मसिना रुग्णालयाने प्रीतीच्या उपचारादरम्यान हलगर्जी केल्याचा आरोप तिच्या नातेवाइकांनी केला आहे. तसेच प्रीतीची प्रकृती अजूनही चिंताजनक असल्याचे डॉक्टरांचे म्हणणे आहे.

अॅसिड हल्ल्यामुळे प्रीतीचा डोळा, चेहरा आणि अन्ननलिकेला इजा झाली होती. गेल्या १८ दिवसांपासून तिच्यावर भायखळा येथील मसिना रुग्णालयात उपचार सुरू होते. मात्र, शनिवारी तिला अधिक उपचाराकरता बॉम्बे हॉस्पिटलमध्ये दाखल करण्यात आले. सोमवारी तिच्या वैद्यकीय तपासण्या करण्यात आल्या. तपासण्याअंती तिच्या यकृताला संसर्ग झाल्याचे डॉक्टरांच्या निदर्शनास आले. प्रीतीच्या अन्ननलिकेला छिद्र पडली आहेत. तिला भरवलेले अन्न फुप्फुसात जाऊन अडकले होते. ते अन्न डॉक्टरांनी बॉन्कोस्कोपी शस्त्रक्रिया करून बाहेर काढले. जंतुसंसर्ग होऊ नये आणि सर्व अवयवांचे कार्य नियंत्रित राहावे, यावर भर दिला जात असल्याचे प्लॅस्टिक सर्जन डॉ. अशोक गुप्ता यांनी सांगितले.

दरम्यान, मसिना रुग्णालयाने प्रीतीच्या उपचारात दिरंगाई केल्याचा आरोप तिच्या नातेवाइकांनी केला आहे. यकृतात संसर्ग झाला असल्याची बाब मसिना रुग्णालयाच्या डॉक्टरांच्या का निदर्शनास आली नाही, असा सवाल तिचे वडील अमरसिंह राठी यांनी विचारला आहे.

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८२ वर्षाचा जगबुडी पूल दुरुस्तीच्या प्रतीक्षेत

ब्रिटिश काळामध्ये मुंबई-गोवा महामार्गावरील भरणे नाका येथील जगबुडी नदीवर बांधण्यात आलेल्या पुलास ८२ वर्ष पूर्ण झाली आहेत.
खेड – ब्रिटिश काळामध्ये मुंबई-गोवा महामार्गावरील भरणे नाका येथील जगबुडी नदीवर बांधण्यात आलेल्या पुलास ८२ वर्ष पूर्ण झाली आहेत. त्यामुळे काही दिवसांपूर्वी झालेल्या भयानक अपघातानंतर या पुलाच्या डागडुजीचा प्रश्न सामोर आला होता. मात्र, या पुलाची फारशी दुरुस्ती न करताही दररोज हजारो मेट्रिक टनाची वाहतूक या पुलावरून होत आहे. त्यामुळे हा पूल धोकादायक असल्यामुळे पावसाळय़ापूर्वी पुलाची डागडुजी करण्याची मागणी लोकप्रतिनिधींनी केली आहे.

जिल्हयाचे प्रवेशद्वार असलेल्या खेडमध्ये जगबुडी नदीवर हा पूल ब्रिटिश काळामध्ये १९३१ साली बांधण्यात आला. सन २००५ मध्ये आलेल्या पुरामुळे प्रथमच या पुलावरून पुराचे पाणी गेले. त्यामुळे पुलाची मोठय़ा प्रमाणात हानी झाली होती. ब्रिटिश काळामध्ये बांधण्यात आलेल्या पुलाची रुंदी कमी असून, एका वेळेस दोन वाहनेदेखील या पुलावरून जाऊ शकत नाहीत.

काही महिन्यांपूर्वी झालेल्या अपघातामध्ये ३६पेक्षा अधिक जणांचा बळी गेला होता. या घटनेनंतर अरुंद रस्त्याबाबत चर्चा झाली. मात्र या पुलाची डागडुजी नाही तर संपूर्ण पुलाचीच नव्याने उभारणी करणे आवश्यक आहे. मुंबई-गोवा महामार्गाचे चौपदरीकरण करणास परवानगी मिळाली असली तरी अद्यापही त्यादृष्टीने प्रयत्न सुरू झालेले नाहीत. त्यामुळे या पुलाचे भवितव्य आता केंद्र सरकारच्या राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरणावर अवलंबून आहे.

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आणखी सहा विकासकांवर टाच

संक्रमण शिबिरांचे भाडे थकवणा-या २६ विकासकांपैकी तीन विकासकांवर 'म्हाडा'ने कारवाई केली होती.

संग्रहित छायाचित्र

मुंबई – संक्रमण शिबिरांचे भाडे थकवणा-या २६ विकासकांपैकी तीन विकासकांवर 'म्हाडा'ने कारवाई केली होती. त्यानंतर आता 'म्हाडा' येत्या काही दिवसांत आणखी सहा विकासकांवर टाच आणणार आहे. 'म्हाडा'ने दीड महिन्यापूर्वी पंक्ती, के. के. व जानकी डेव्हलपर्सची बँक खाती गोठवली होती.

इमारतींचा पुनर्विकास करताना तेथे राहणा-या रहिवाशांना विकासक पर्यायी जागा देतात. त्यासाठी या २६ विकासकांनी 'म्हाडा'कडून संक्रमण शिबिरांतील गाळे भाडेतत्त्वावर घेतले होते. नियमानुसार विकासकांनी 'म्हाडा'ला त्याचे भाडे देणे बंधनकारक होते. मात्र, गेल्या अनेक वर्षापासून विकासकांनी 'म्हाडा'ला ठरल्याप्रमाणे भाडे दिलेले नाही. त्यामुळे भाडे थकवणा-या विकासकांना 'म्हाडा'च्या दुरुस्ती व पुनर्रचना मंडळाने अनेक वेळा नोटिसा पाठवल्या. मात्र, या नोटिसांना विकासकांनी केराची टोपली दाखवली.

त्यामुळे 'म्हाडा'ने भाडे थकवणा-या विकासकांवर कारवाईचा बडगा उगारला. त्यानंतर बिथरलेल्या १५ विकासकांनी थकलेले भाडे व्याजासहित देण्याचे मान्य केले आहे. तर त्यातील काही विकासकांनी पूर्ण तर काहींनी अर्धी रक्कम 'म्हाडा'कडे भरली आहे. मात्र, यातील ११ विकासकांनी अजूनही भाडे न भरल्याने 'म्हाडा'ने त्यांच्यावर थेट कारवाई सुरू केली आहे. याच कारवाईदरम्यान के. के., पंक्ती व जानकी या तीन विकासकांची बँक खाती गोठवण्यात आली आहेत. तर आता आणखी सहा विकासकांवर कारवाई करण्याबाबतची प्रक्रिया सुरू असून, त्यांच्यावर येत्या काही दिवसांत कारवाई करण्यात येणार आहे, असे दुरुस्ती व पुनर्रचना मंडळाचे मुख्य अधिकारी मोहन ठोंबरे यांनी सांगितले.

गाळे विकासकांच्याच ताब्यात
भाडे थकवणा-या तीन विकासकांवर 'म्हाडा'ने कारवाई केली असली तरी त्यांनी त्यांच्या ताब्यात असलेले गाळे अद्याप 'म्हाडा'ला परत केलेले नाहीत. यातील जानकी बिल्डरच्या ताब्यात ९६ गाळे असून, त्यापोटी चार कोटी ४१ लाखांची रक्कम थकित आहे. पंक्ती बिल्डरचे ९१ लाख थकले आहेत. तर के. के. बिल्डरच्या ताब्यात १२ गाळे असून, त्याची ३७ लाखांची रक्कम थकली आहे.

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अर्ज भरण्याचा आज शेवटचा दिवस

 'म्हाडा'च्या एक हजार २४४ घरांसाठी ३१ मे रोजी काढण्यात येणा-या सोडतीसाठी अर्ज भरण्याचा मंगळवारी शेवटचा दिवस आहे.
मुंबई – 'म्हाडा'च्या एक हजार २४४ घरांसाठी ३१ मे रोजी काढण्यात येणा-या सोडतीसाठी अर्ज भरण्याचा मंगळवारी शेवटचा दिवस आहे. अर्जदारांना सायंकाळी सहा वाजेपर्यंत अर्ज भरता येणार असून, बुधवारी २२ मे रोजी अर्ज स्वीकारले जाणार आहेत. गेल्या २० दिवसांत विविध उत्पन्न गटांतील घरांसाठी अनामत रकमेसह ५० हजार अर्ज आले आहेत. तर अनामत रकमेशिवाय अर्ज भरणा-यांची संख्या एक लाख दोन हजार २६२ इतकी आहे.

गेल्या तीन दिवसांत अर्जाची संख्या वाढली असली तरी अनामत रकमेसह भरणाऱ्यांची संख्या अद्याप कमी आहे. शेवटच्या दिवशी ही संख्या वाढण्याची शक्यता असल्याचे 'म्हाडा'च्या कार्यालयातून सांगण्यात आले. दरम्यान, मंगळवारी सोडत देखरेख समितीने सोडतीबाबत आढावा घेतला. सोडतीची प्रक्रिया सुरळीत पार पडावी, यासाठी अधिकारी, कर्मचा-यांना काही सूचनाही समितीने दिल्या आहेत.

२१ व २२ मे रोजी अर्ज भरण्याची व स्वीकारण्याची मुदत संपल्यावर अॅक्सीस बँक २४ मे रोजी सोडतीसाठी आलेले अर्ज व इतर आवश्यक माहिती 'म्हाडा'कडे पाठवणार आहे. २६ मे रोजी अर्जाची छाननी करून सायंकाळी सात वाजता पात्र, अपात्र ठरलेल्या अर्जदारांची यादी 'म्हाडा' संकेतस्थळावर प्रसिद्ध करणार आहे. २७ मे रोजी अर्जदारांना हरकती दाखल करता येणार असल्याचे मुंबई मंडळाचे मुख्य अधिकारी एन. के. सुधांशू यांनी सांगितले.

 

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राजापूरमध्ये उग्र पाणीटंचाई

राजापूर  तालुक्यामध्ये गेल्या काही दिवसांपासून तापमानामध्ये वाढ झाली आहे त्यामुळे आता पाणीटंचाईने उग्र रूप धारण केले आहे.
राजापूर – तालुक्यामध्ये गेल्या काही दिवसांपासून तापमानामध्ये वाढ झाली आहे त्यामुळे आता पाणीटंचाईने उग्र रूप धारण केले आहे. तालुक्यात टँकरची मागणी झालेल्या नऊ गावांतील १९ वाडय़ांना चार टँकरने पाणीपुरवठा सुरू करण्यात आला आहे. आणखी सात गावांतील १३ वाडय़ांनी टँकरने पाणीपुरवठा करण्याची मागणी केली आहे. मात्र, काही टंचाईग्रस्त गावांमध्ये वेळेत टँकर पोहोचत नसल्याने ग्रामस्थांना प्रचंड हाल सहन करावे लागत आहेत.

सध्या तालुक्यात चार टँकरने पाणीपुरवठा सुरू असून, टंचाईग्रस्त गावांची टँकरची मागणी वाढल्याने प्रशासनाने आणखी टँकरचा पुरवठा करण्याची गरज निर्माण झाली आहे. त्यामुळे टँकरग्रस्त गावांमध्ये दिवसेंदिवस भर पडत आहे.

मात्र, काही वेळा टँकरच वेळेत वा एक दिवसाआडही पोहोचत नाहीत. त्यामुळे टँकरची मागणी केलेल्या गावांना टँकरने पाणीपुरवठा न झाल्याने त्यांना पाण्यासाठी वणवण करावी लागत आहे. तालुक्यात फेब्रुवारी व मार्चच्या पहिल्या आठवडय़ात टँकरची मागणी केलेल्या खरवते धनगरवाडी, ताम्हाणे शेंडेवाडी, चव्हाणवाडी, धनगरवाडी व मोरोशी मीरासवाडी, बौद्धवाडी, टेंबेवाडी, तळेवाडी, गावकरवाडी, पांगरेबुद्रुक बागवाडी, हसोळतर्फे सौंदळ बौद्धवाडी, कळसवली कोष्टेवाडी, कारवली विठ्ठलवाडी, गाववाडी, बौद्धवाडी, वरचीवाडी, पाटकरवाडी, कणेरी वरचीवाडी या नऊ गावांतील १९ वाडय़ांना सध्या चार टँकरने पाणीपुरवठा सुरू आहे.

आता आणखी सात गावांतील १३ वाडय़ांनी टँकरची मागणी केली आहे. यामध्ये कणेरी वरचीवाडी, धाऊलवल्ली गयाळ कोकरी, तरबंदर, मारवेलवाडी तळवडे बाणेवाडी, शीळ वरचीवाडी, पावसकरवाडी, बौद्धवाडी, मधलीवाडी, कोलेवाडी, गोठणे दोनिवडे राघववाडी, नाचणेकरवाडी, आंगले साळसकरवाडी, कुंभवडे हरचली वाडी, जैतापूर, हातदे वरचीवाडी यांनी टँकरची मागणी केली आहे. यातील काही गावांची तहसीलदार व गटविकास अधिकारी यांनी संयुक्त पाहणी केली असून, लवकरच या गावातही टँकर सुरू केला जाणार आहे.

तालुक्यात गतवर्षी २१ गावांतील ४७ वाडय़ांना चार टँकरने पाणीपुरवठा करण्यात आला होता. यासाठी सुमारे चार लाख रुपये खर्च करण्यात आला होता. सन २०१३-१४ च्या टंचाई कृती आराखडय़ात १९ गावांतील २४ वाडय़ांचा समावेश करण्यात आला आहे. त्याला जिल्हाधिकारी यांनी मान्यता दिली आहे. मात्र, या टंचाईग्रस्त गावांमध्ये आणखी वाढ होण्याची शक्यता आहे. यावर्षी फेब्रुवारीमध्ये पाण्याची टँकरची मागणी झाली होती. मात्र, प्रशासनाने मार्चमध्ये याची संयुक्त पाहणी करून मार्चमध्ये टँकर सुरू केला. भविष्यात आणखी पाणीटंचाईचे संकट निर्माण होण्याची शक्यता आहे.

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शाळा भरण्यापूर्वी मोफत पाठय़पुस्तके मिळणार का?

राजापूर तालुक्यातील प्राथमिक व माध्यमिक शाळेतील पहिली ते आठवीपर्यंतच्या विद्यार्थ्यांना सर्व शिक्षा अभियानांतर्गत पुस्तके पुरवली जातात.
राजापूर – तालुक्यातील प्राथमिक व माध्यमिक शाळेतील पहिली ते आठवीपर्यंतच्या विद्यार्थ्यांना सर्व शिक्षा अभियानांतर्गत पुस्तके पुरवली जातात. या मोफत पाठय़पुस्तकांची मागणी नोंदवून महिना उलटला आहे. तरी अद्याप पाठय़पुस्तके न मिळाल्याने शाळा सुरू होण्यापूर्वी ती विद्यार्थ्यांना मिळणार की नाहीत, असा सवाल पालकांतून उपस्थित केला जात आहे.

सरकारच्या सर्व शिक्षा अभियानांतर्गत पहिली ते आठवीतील विद्यार्थ्यांना मोफत पाठय़पुस्तके व स्वाध्याय पुस्तिका दिल्या जातात. तालुक्यात सुमारे २२ हजार पाठय़पुस्तके लागणार आहेत. शिक्षण विभागाकडून त्याची मागणी नोंदवण्यात आली आहे. यामध्ये पहिली २१९२, दुसरी २२४१, तिसरी २६६२, चौथी २६१४, पाचवी २८७२, सहावी ३०५४, सातवी ३३०१ व आठवी ३०२४ अशा प्रकारे मागणी नोंदवण्यात आली आहे.

या वर्षी १५ जून रोजी शाळा सुरू होत असून, हा दिवस प्रत्येक शाळेत 'बुक डे' म्हणून साजरा केला जातो. मात्र, मे महिना संपत आला तरी ही पुस्तके उपलब्ध न झाल्याने ती येणार कधी, व त्याचे शाळांना वाटप करणार कधी, असा प्रश्न शिक्षण विभागापुढे आहे. तर पाल्यांना शाळेत पुस्तके मिळणार की नाहीत, असा प्रश्न पालकांना भेडसावत आहे. पाठय़पुस्तके पुरवण्याबाबत होत असलेल्या विलंबाबाबत पालकांतून नाराजी व्यक्त होत आहे.

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मार्केट यार्डात पोलिस बंदोबस्तात बाजार सुरू

स्थानिक संस्था कराच्या (एलबीटी) निषेधार्थ व्यापारी महासंघाच्या वतीने दहा दिवस पुकारण्यात आलेल्या बंदमुळे नागरिकांची मोठी गैरसोय झाली होती.
पुणे – स्थानिक संस्था कराच्या (एलबीटी) निषेधार्थ व्यापारी महासंघाच्या वतीने दहा दिवस पुकारण्यात आलेल्या बंदमुळे नागरिकांची मोठी गैरसोय झाली होती. मात्र, शनिवारी बंदमधून दि. पुना र्मचट्स चेंबरने माघार घेतल्याने सोमवारपासून मार्केट यार्डातील दुकाने उघडल्याने नागरिकांनी जीवनाश्यक वस्तू खरेदी करण्यासाठी गर्दी केली होती. तब्बल दहा दिवसांच्या बंदनंतर दुकाने उघडल्याने राज्यासह परराज्यातून मोठय़ा प्रमाणात आवक वाढली होती. त्यामुळे काही प्रमाणात वाहतूक कोंडी झाली.

व्यापारी महासंघाच्या वतीने मार्केट यार्डात गांधीगिरी करून आंदोलन करणार असल्याचे जाहीर करण्यात आल्याने कडेकोट पोलिस बंदोबस्तात काही वादावादीचे किरकोळ अपवाद वगळता बाजार सुरळीत सुरू झाला. सलग दहा दिवस व्यापा-यांनी दुकाने बंद ठेवल्याने घरातील सर्वच जीवनावश्यक वस्तू संपल्या होत्या. त्यामुळे नागरिकांची बंदच्या काळात मोठी गैरसोय झाली होती. रविवारी शहरातील केवळ मार्केट यार्डातील घाऊक व किरकोळ दुकाने सुरू होती. मात्र, उपनगरातील सर्व किरकोळ विक्रेत्यांनी आपली दुकाने बंद ठेवली असल्याने नागरिकांनी मार्केट यार्डातूनच खरेदी केली.

बंदच्या काळात काही किरकोळ विकेत्यांनी बंदचा गरफायदा घेत ग्राहकांची मोठी लूट केली. तसेच अनेक वस्तूंची दुप्पट दराने विक्री केली. या काळात विशेषत: कामगार, हमाल यांच्यासह सामान्य नागरिकांची मोठी गरसोय झाली होती.

दि. पुना र्मचट्स चेंबरच्या सभासदांना जिल्हाधिकारी कार्यालय, बाजार समिती तसेच कामगार उपायुक्त कार्यालयाकडून परवाना रद्दच्या नोटिसा बजावण्यात आल्याने त्यांनी माघार घेतली आणि सोमवारपासून दुकाने सुरू करण्याचे जाहीर केले होते. त्यामुळे सामान्यांना मोठा दिलासा मिळाला.

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पावसाचा शिडकावा

वैभववाडी, कणकवली तालुक्यांत वादळी वा-यासह पावसाच्या शिडकाव्याने शेतक-यांसह नागरिकांची चांगलीच धांदल उडाली.

वैभववाडी – वैभववाडी, कणकवली तालुक्यांत वादळी वा-यासह पावसाच्या शिडकाव्याने शेतक-यांसह नागरिकांची चांगलीच धांदल उडाली. सह्याद्री पट्टय़ातील गावामध्ये वादळ झाल्याने शेतक-यांचे नुकसान झाले.

गेले काही दिवस उष्म्याने उच्चांक गाठला आहे. गर्मीने सर्व जण हैराण झाले आहेत. त्यातच सायंकाळी पावसाच्या शिडकाव्याने नागरिकांना ब-यापैकी दिलासा मिळाला. दुपारनंतर पावसाची चिन्हे दिसू लागताच ढग एकत्र जमा होऊ लागले. काही वेळातच वा-यासह पावसाने हजेरी लावली. सह्याद्री पट्टयातील गावात ब-यापैकी पाऊस झाला. वैभववाडी बाजारपेठेत पावसाचे आगमन होताच व्यापारी व ग्राहकांची एकच धांदल उडाली. लग्नसराई असल्याने दुकानाच्या बाहेर विक्रीसाठी ठेवण्यात आलेल्या वस्तू पावसात भिजून खराब झाल्या. तसेच परतीच्या प्रवासासाठी शहरात आलेल्या कोकणवासीयांना पावसाचा सामना करताना चांगलीच कसरत करावी लागली. लग्नसराईमध्ये पावसाने हजेरी लावल्याने वऱ्हाडी मंडळींची चांगलीच धांदल उडाली. तालुक्यातील काही गावांत नागरिकांना पाणीटंचाईला सामोरे जावे लागत आहे. गेले काही दिवस नागरिक पावसाच्या प्रतीक्षेत आहेत. परंतु तितकासा पाऊस न पडल्याने अजूनही त्यांना काही दिवस पाणीटंचाईचा सामना करावा लागणार आहे. कणकवली बस स्थानक परिसरात सोमवारी सायंकाळी ५.४५ च्या दरम्यान रिमझिम पाऊस पडला. या पावसामुळे रस्ता निसरडा झाला.

पुण्यात, कोल्हापुरातही पाऊस

कोल्हापूर आणि परिसरात तसेच पुणे जिल्ह्यात काही ठिकाणी पावसाने हजेरी लावली. कोल्हापुरात वादळी वारेही आल्याने सायंकाळी साडेपाचच्या सुमारास आलेल्या पावसाने केवळ दहा ते १५ मिनिटांतच रजा घेतली. शहरासह कसबा बावडा तसेच शाहूवाडी, पन्हाळगड, मलकापूर येथे दमदार पावसाने हवेत गारवा निर्माण केला. पावसासह वादळी वा-याने तीन ठिकाणी झाडे कोसळून वाहतूक विस्कळीत झाली.

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रत्नागिरीचा पर्यटन विकास आराखडा लवकरच

पर्यटन विकासाच्या माध्यमातून स्थानिक बेरोजगार तरुणांना रोजगार उपलब्ध करून देतानाच आर्थिक समृद्धी कशी येईल यासाठी आपले प्रयत्न सुरू आहेत.

राजापूर – पर्यटन विकासाच्या माध्यमातून स्थानिक बेरोजगार तरुणांना रोजगार उपलब्ध करून देतानाच आर्थिक समृद्धी कशी येईल यासाठी आपले प्रयत्न सुरू आहेत. रत्नागिरी जिल्ह्याच्या पर्यटन विकासाचा आराखडा तयार करण्याबाबत आपला विचार सुरू असून, लवकरच त्याबाबत कार्यवाही केली जाणार असल्याची माहिती उद्योगमंत्री नारायण राणे यांनी राजापूर येथे दिली.

काँग्रेस बूथ प्रतिनिधी मेळाव्यात बोलताना राणे यांनी विकासाच्या विविध मुद्दय़ांना स्पर्श करतानाच रत्नागिरीला पर्यटन विकासाची जोड दिल्यास रत्नागिरी जिल्हादेखील दरडोई उत्पन्नात सिंधुदुर्गप्रमाणे पुढे जाऊ शकतो, अशी ग्वाही दिली.

पर्यटन विकासामुळे सिंधुदुर्गात कशा पद्धतीने विकास झाला व दरडोई उत्पन्नात कशी वाढ झाली हे सांगताना सी-वर्ल्ड प्रकल्प, रेडी बंदराचा होत असलेला विकास, गारमेन्ट प्रकल्प व चिपी येथील आंतरराष्ट्रीय विमानतळ ही विकासाला चालना देणारी महत्त्वपूर्ण कामे असल्याचे त्यांनी नमूद केले. यामुळे पर्यटन व्यवसायाला अधिक गती येणार असल्याचे ते म्हणाले. याच पर्यटनाच्या धर्तीवर रत्नागिरी जिल्ह्याचाही विकास करण्याचा आपला मानस आहे. भविष्यात यासाठी नियोजनबद्ध आराखडा तयार केला जाईल, असेही राणे यांनी नमूद केले. पर्यटनाच्या माध्यमातून रोजगार निर्मिती होऊन स्थानिक तरुणांच्या हाताला काम मिळेल व यातूनच दरडोई उत्पन्नही वाढेल, असा विश्वास राणे यांनी या वेळी व्यक्त केला. रत्नागिरी जिल्ह्यातही पर्यटन व्यवसायाला चालना मिळू शकते. मात्र, त्यासाठी प्रयत्न होणे आणि नियोजनबद्ध कार्यक्रम आखणे गरजेचे असल्याचे त्यांनी सांगितले. त्यासाठीच आता आपण लक्ष घालणार असल्याचेही राणे म्हणाले.

विकासासाठी मानसिकता बदला, असे सांगताच जनतेलाही या विकासाच्या प्रवाहात सामील होण्यासाठी प्रवृत्त करा, असे आवाहन राणे यांनी केले. भावनिक मुद्दय़ांवर राजकारण करून आपली फसवणूक करणा-या विरोधकांपासून जनतेला सावध करण्याची भूमिका काँग्रेस पदाधिकारी व कार्यकर्त्यांनी पार पाडली पाहिजे, असे सांगतानाच पक्षाचा स्थानिक पातळीवरील प्रवक्ता म्हणून तुम्ही समाजासाठी आणि तुमच्या विभागासाठी काम करा, असे आवाहन उद्योगमंत्री राणे यांनी केले.

गुहागर येथे आपण गारमेन्ट प्रकल्प आणत असून, या प्रकल्पाच्या माध्यमातून तेथील स्थानिक तरुण-तरुणींना रोजगाराची संधी उपलब्ध होणार असल्याचे राणे यांनी सांगितले. काँग्रेस पक्षाच्या माध्यमातून झालेली कामे जनतेपर्यंत पोहोचवताना सेवाभावी वृत्तीने काम करून एक आदर्श कार्यकर्ता म्हणून काम करा आणि पक्षाला बळकट करा, असे आवाहन राणे यांनी केले.

विरोधकांकडे विकासाचा कोणताच मुद्दा नाही, वैचारिकता नाही आणि विकास करण्याची धमकही नाही. केंद्रात आणि राज्यात काँग्रेसची सत्ता आहे. विरोधकांना विचारा तुम्ही तुमच्या कार्यकाळात काय विकास केलात आणि भविष्यात काय करणार आहात. त्यांच्याकडे काहीच उत्तर नसेल. कारण विकास फक्त काँग्रेसच करू शकते हे लक्षात घ्या, असे सांगतानाच विकासाच्या मुद्दय़ावर आपली कधीही चर्चा करण्याची तयारी असल्याचे उद्योगमंत्री म्हणाले. केंद्र आणि राज्य सरकारच्या योजनांचा पदाधिकारी आणि कार्यकर्त्यांनी परिपूर्ण अभ्यास करून त्या जनतेपर्यंत पोहोचवल्या आणि पटवून दिल्या तरी पक्षाचे मोठे काम केल्याचे तुमच्या लक्षात येईल. यासाठी नि:स्वार्थीपणे आणि नम्रपणे काम करा यश आपलेच असेल, असेही उद्योगमंत्री या वेळी म्हणाले.

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लग्झरी बस-कार अपघातात दोन ठार

मुंबई-गोवा महामार्गावर सोमवारी पहाटे ओरोस फाटय़ावर लग्झरी बस व स्विफ्ट कारमधील अपघातात दोन जण जागीच ठार झाले.

सिंधुनगरी – मुंबई-गोवा महामार्गावर सोमवारी पहाटे ओरोस फाटय़ावर लग्झरी बस व स्विफ्ट कारमधील अपघातात दोन जण जागीच ठार झाले. तर कारचालक गंभीर जखमी झाला.

साईश ट्रॅव्हर्ल्सची बस गोव्याकडे जात होती तर कार कोल्हापूरकडे जात होती. ओरोस फाटय़ानजीकच बसचालकाचा अंदाज चुकल्याने बस समोरून आलेल्या कारवर धडकली. पहाटे ४.३०च्या दरम्यान हा अपघात झाला. यात कारचा चक्काचूर झाला अन् या अपघातात हुबळी येथील सिटी डेव्हलपर्स आणि बिल्डर्सचे मालक विश्वनाथ विरय्या कोचलापूरमठ (३४) व त्यांची मैत्रीण शीला चनबसाय्या सूर्यभान (३०, रा. हुबळी) ही जागीच ठार झाली. तर कारचालक रसुल रायचूर हा जबर जखमी आहे. त्याला ओरोस पोलिसांनी तातडीने जिल्हा रुग्णालयात दाखल केले आहे.

या प्रकरणी लग्झरीचालक हुसेन इब्राहीम शिरगुठे (५७, रा. रायगड, अलिबाग) यांच्या विरुद्ध ओरोस पोलिस ठाण्यात गुन्हा दाखल झाला असून सायंकाळी उशिरा त्याला अटक झाली आहे. लग्झुरी चालकाच्या चुकीमुळे हा अपघात झाल्याच्या वृत्तास पोलिसांनीही दुजोरा दिला आहे.

या अपघातातील कारचा चक्काचूर झाल्याने अपघाताची भीषणता लक्षात येत होती. तर ही स्लीपर लग्झरी बसही अपघातस्थळी महामार्गावरील पुलावरून खाली कोसळली असती तर लग्झरी बसमधील प्रवासीही दुर्घटनाग्रस्त बनले असते. या अपघाताची भीषणता वाढली असती. मात्र या लग्झुरी बसच्या वाढत्या प्रवाशांच्या सुरक्षिततेचा प्रश्न पुन्हा ऐरणीवर आला आहे. तर ओरोस फाटय़ावरील अपघाताच्या मालिकांवरून महामार्गावर दुभाजकाची नितांत गरज असल्याचेही समोर आले आहे.

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'पागोळी'चे पाणी भागवतेय पेणकरांची तहान

पावसाळ्यात पागोळीवरून पडणा-या पाण्याचा प्रत्येक थेंब पिंप किंवा ड्रममध्ये साठवून पाणीबचतीचा नवा आदर्शच पेण तालुक्यातील काही गावांनी घालून दिला आहे.

पेण – पावसाळ्यात (छत) पागोळीवरून पडणा-या पाण्याचा प्रत्येक थेंब पिंप किंवा ड्रममध्ये साठवून पाणीबचतीचा नवा आदर्शच पेण तालुक्यातील काही गावांनी घालून दिला आहे. आंबेगाव, शहापाडासारखी धरणे उशाला असली तरी पाण्यासाठी दाही दिशा वणवण करणा-या तालुक्यातील १३ गावे आणि ३७ वाडय़ांची तहान टँकरच्या पाण्यावरच भागवली जात आहे. मात्र, आमदार धैर्यशील पाटील, खासदार अनंत गीते यांच्यासारखे लोकप्रतिनिधी लाभूनही पेणमधील 'पाणीबाणी'कायम असल्याने तीव्र नाराजी व्यक्त होत आहे.

'नेमेचि येतो पावसाळा' या उक्तीप्रमाणे दरवर्षीच पाणीटंचाई तालुकावासीयांसाठी नित्याचीच बाब झाली आहे. मात्र, दुष्काळावर मात करून दरवर्षी पेण तालुक्याच्या भाल, विठ्ठलवाडी व मोठे भाल गावातील रहिवासी पागोळीचे पाणी मोठय़ा टाक्यांत साठवून त्यावरच आपली तहान भागवत आहेत. या मोठय़ा टाक्यांत वर्षभर पुरेल एवढा पाणीसाठा होत असल्याचे येथील ग्रामस्थांचे म्हणणे आहे. दरवर्षी पाणीप्रश्न सोडवण्यासाठी लोकसभा, विधानसभा व जिल्हा परिषदेच्या निवडणुकीत विविध पक्षांकडून आश्वासने दिली जातात. मात्र, निवडणुका पार पडल्यावर या आश्वासनांचा लोकप्रतिनिधींना विसर पडत असल्याचे स्थानिक सांगतात.

पावसाळय़ाचे चार महिने पिंप किंवा टाक्यांत पाणी साठवून ठेवून ते पुढील आठ महिने वापरावे लागत असल्याचे येथील ग्रामस्थ सांगतात. पेण तालुक्यातील इतर ग्रामीण भागात पाणीप्रश्न बिकट असल्याने नवी मुंबईत जाणारी हेटवणे धरणाची जलवाहिनी अनेकदा फोडली जात असल्याचे पाहायला मिळते. 'एमआयडीसी'ची जलवाहिनीही याच कारणासाठी फोडली जात असल्याचे ग्रामस्थ सांगतात. पेण शहरात मुबलक पाणीपुरवठा होत असला तरी ग्रामीण भागात मात्र, पाण्यासाठी दाही दिशा असेच चित्र आहे. त्यामुळे ग्रामीण भागातील पाण्यासाठी शहराची वाट तुडवताना दिसतात. इतकेच नाही तर पदरमोड करून ते पाणीही विकत घेत आहेत. येथील आदिवासी वाडय़ात राहणारे लोक डबक्यातील पाण्यावरच त्यांची तहान भागवताना दिसतात. सरकारने पाणीटंचाईवर मात करण्यासाठी जिल्हा परिषदेच्या माध्यमातून पेण तालुक्यातील १३ गावे व ३७ वाडय़ांसाठी ७ टँकर उपलब्धता करून दिले आहेत. त्यापैकी केवळ चार टँकर तीन-चार दिवसाआड येत असल्याने ग्रामस्थांचे पाण्याविना हाल सुरूच आहेत.

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म्युच्युअल फंडांची ४.७४ लाख कोटींची गुंतवणूक

म्युच्युअल फंडांनी डेट बाजारात २०१२-१३ या वर्षात रोखे बाजारात ४.७४ लाख कोटींची गुंतवणूक केली आहे.
नवी दिल्ली – म्युच्युअल फंडांनी डेट बाजारात २०१२-१३ या वर्षात रोखे बाजारात ४.७४ लाख कोटींची गुंतवणूक केली आहे. गेल्या १२ वर्षातील ही सर्वात मोठी गुंतवणूक ठरली आहे. त्याच वेळी सलग बारा वर्षात म्युच्युअल फंडांनी डेट बाजारात निव्वळ गुंतवणुकीचा विक्रम केला आहे.

सेबीच्या ताज्या आकडेवारीनुसार, २०००-०१ या आर्थिक वर्षात डेट बाजारात ५०,२३५ कोटींची म्युच्युअल फंडांनी गुंतवणूक केली होती. या वर्षापासूनची ही उच्चांकी गुंतवणूक ठरली आहे. गेल्या वर्षी म्युच्युअल फंडांनी डेट योजनांमध्ये ३.३५ लाख कोटींची गुंतवणूक केली. फंड हाउस जादा परतावा देणा-या डेटआधारित योजनांमध्ये अधिकाधिक गुंतवणूक करत आहेत. शेअर बाजाराच्या तुलनेत जोखीम कमी असल्यानेही या योजनेमध्ये गुंतवणूक वाढत आहे. २०००-२००१ या वर्षापासून आतापर्यंत डेट बाजारात एकत्रित २० लाख कोटींहून अधिक गुंतवणूक झाली आहे.

दुसरीकडे, २०१२-१३ या वर्षात शेअर बाजारातील गुंतवणूक काढण्यावर म्युच्युअल फंडांचा अधिक कल राहिला. फंडांनी सलग चार वर्षात शेअर बाजारात निव्वळ विक्री केली.

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पाँझी योजनांवर 'सेबी'चा वचक

दामदुपटीची आमिषे दाखवून गुंतवणूकदारांची आर्थिक फसवणूक करणा-या पाँझी योजनांना अटकाव करण्यासाठी शेअर बाजार नियंत्रक सेबीच्या अधिकारांत वाढ करण्यात येणार आहे.
नवी दिल्ली – दामदुपटीची आमिषे दाखवून गुंतवणूकदारांची आर्थिक फसवणूक करणा-या पाँझी योजनांना अटकाव करण्यासाठी शेअर बाजार नियंत्रक सेबीच्या अधिकारांत वाढ करण्यात येणार आहे. पाँझी योजना राबवणा-या कंपन्यांवर थेट छापे टाकणे आणि मालमत्ता जप्त करण्याचे अधिकार देण्याबाबत सरकारकडून विचार केला जात आहे.

गेल्या महिन्यात बंगालमधील चिट फंड घोटाळय़ाने हजारो गुंतवणूकदारांचे जवळपास ३००० कोटी बुडाले होते. पाँझी योजनांवर नियंत्रण नसल्याने अशा प्रकारच्या कंपन्यांना फोफावत असल्याचे स्पष्ट झाले होते. पाँझी योजना चालवणा-या कंपन्यांकडून रिझव्‍‌र्ह बँकेच्या नियमावलीचे सर्रास उल्लंघन केले जात आहे. अशा कंपन्यांना वेळीच अटकाव करण्यासाठी शेअर बाजार नियंत्रक सेबीला जादा अधिकार देण्यासाठी सरकारने प्रस्ताव तयार केला आहे.

सेबी कायद्यामध्ये सुधारणा करण्याचा प्रस्ताव तयार करण्यात आला आहे. सेबीची चर्चा करून सरकारने सेबी कायदा आणि त्यांच्या काही नियमांमध्ये बदल करण्याबाबत विचार सुरू केला आहे. सेबीला पाँझी योजना राबवणा-या कंपनीचे कार्यालय, अध्यक्ष, संचालक यांच्या घरांवर छापे टाकणे, त्यांची चौकशी करणे आणि मालमत्ता जप्त करणे हे अधिकार दिले जाणार आहेत. त्याचबरोबर एखाद्या आर्थिक व्यवहाराची सखोल चौकशी करण्यासाठी संबंधित कंपनी आणि त्यांच्या ग्राहकांमधील दूरध्वनी संभाषणाची माहिती घेण्याचा अधिकारही दिला जाणार आहे. सध्या महानगर दंडाधिका-यांच्या परवानगीनंतरच संबंधित कंपनीच्या अध्यक्ष आणि संचालकांच्या घरावर सेबीकडून छापे टाकून तपास केला जातो.

केंद्रीय मंत्रिमंडळाने यासंदर्भात विशेष प्रस्ताव तयार केला आहे. हा प्रस्ताव आर्थिक व्यवहार खाते, अर्थ खाते, परराष्ट्र व्यवहार, गृह मंत्रालय, दूरसंपर्क, रिझव्‍‌र्ह बँक, नियोजन आयोग आणि पंतप्रधान कार्यालयाला पाठवण्यात आला आहे. मंत्रिमंडळाची याला मंजुरी मिळाल्यानंतर हा प्रस्ताव सिक्युरिट लॉ (सुधारणा विधेयक) २०१३ म्हणून संसदेत मंजुरीसाठी पाठवला जाणार आहे. सेबीकडून गेल्या काही वर्षापासून बदलत्या काळानुसार अधिकारांमध्ये वाढ करण्यासाठी सरकारकडे मागणी केली जात होती. त्याबाबत सरकारशी अनेक वेळा चर्चाही झाली. त्यातील बहुतेक मागण्या सरकारने मान्य केल्या आहेत. त्यानुसार सेबी नियमावली सुधारणा विधेयक तयार करण्यात आले असून ते संसदेत सादर केले जाईल, असे अर्थ खात्याच्या एका वरिष्ठ अधिका-याने सांगितले. कलेक्टिव्ह इन्व्हेस्टमेंट योजनांवर पायबंद घालण्यासाठी या योजनांना सेबीच्या नियमावलीअंतर्गत आणण्यात आले आहे. ज्यामुळे निमशहरी आणि ग्रामीण भागात फोफावलेल्या पाँझी योजनांवर नियंत्रण मिळवणे सोपे होणार आहे.

नव्या अधिकारांचे बळ
नियमावलीमध्ये सुधारणा केल्याने सेबीला नव्या अधिकारांचे बळ मिळणार आहे. यामुळे सेबीला अनेक महत्त्वाचे अधिकार प्राप्त होणार असून त्याचा फायदा पाँझी योजनांच्या नियंत्रणासाठी होईल.
>पाँझी कंपन्यांवर छापा टाकणे
>थेट चौकशी आणि मालमत्ता जप्तीचा अधिकार
>फोनवरील संभाषणाची माहिती घेणे

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सोन्याची झळाळी उतरली

सरलेला लग्नसराईचा हंगाम आणि आंतरराष्ट्रीय बाजारातील नकारात्मक वातावरणाची धास्ती घेतलेल्या साठेबाजांनी केलेल्या विक्रीने सोन्याने सोमवारी २१ महिन्यांचा तळ गाठला.
नवी दिल्ली – सरलेला लग्नसराईचा हंगाम आणि आंतरराष्ट्रीय बाजारातील नकारात्मक वातावरणाची धास्ती घेतलेल्या साठेबाजांनी केलेल्या विक्रीने सोन्याने सोमवारी २१ महिन्यांचा तळ गाठला. येथील सराफा बाजारात सोन्याचा भाव ३३० रुपयांनी घसरून प्रति तोळा २६,३७० रुपयांवर बंद झाला. तर चांदीच्या किमतीमध्येही १५३० रुपयांची घट झाली आणि चांदीचा भाव प्रति किलो ४२,१७० रुपयांवर बंद होऊन अडीच वर्षाची
नीचांकी पातळी गाठली.

मुंबईत सोन्याचा भाव २२०रुपयांनी घटून प्रति तोळा २५,९०० रुपयांवर घसरला आहे. तर चांदीचा भाव ८३० रुपयांनी उतरून प्रति किलो ४२,९७० रुपयांवर बंद झाला. सोन्यामधील घटलेली गुंतवणूक, शेअर बाजारातील तेजी आणि डॉलरची चांगली कामगिरी यामुळे सोन्याची झळाळी उतरत आहे. त्यातच या मोल्यवान धातूने गेल्या चार वर्षातील सर्वात मोठी घसरण नोंदवल्याने देशांतर्गत सराफा बाजारात विक्रीचा जोर वाढला असल्याचे तज्ज्ञांनी म्हटले आहे. जागतिक बाजारातील किमती देशांतर्गत सोन्याच्या भावाची दिशा ठरवतात. जागतिक बाजारात चांदीचा भाव सात टक्क्यांनी घसरले असून २०.६९ डॉलर प्रति औंसवर बंद झाल्या तर सोन्याचा भाव १.५ टक्क्याने घसरला. सोन्याचा भाव १३३८.८५ प्रति औंसवर बंद झाला. जागतिक बाजारात सलग आठ दिवसांमध्ये सोन्याच्या किमती घसरल्या असून, ही गेल्या चार वर्षातील सलग मोठी घसरण ठरली आहे.

सोन्याच्या किमतींमध्ये होणा-या घसरणीने गुंतवणूकदार विक्रीवर भर देत असून फ्युचर ट्रेडमध्ये कमजोरी आली असल्याचे तज्ज्ञांनी सांगितले. गुंतवणूकदार आपला हा पैसा वाढणाऱ्या शेअर बाजाराकडे वळवत असल्याचे त्यांनी सांगितले. दुसरीकडे लग्नसराईचा काळ ओसरत असल्याने मागणी घटली असून किरकोळ ग्राहकांना सोन्याच्या किमती अजून खाली येण्याची अपेक्षा आहे. यामुळेही सोन्याला फटका बसत असल्याचे या तज्ज्ञांनी सांगितले.

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मॉर्गन स्टॅन्ले इंडियावर स्टँडर्ड चार्टर्डचा ताबा

खासगी आंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था स्टँडर्ड चार्टर्ड इंडियाने मालमत्ता व्यवस्थापनातील मॉर्गन स्टॅन्ले इंडियाला खरेदी करण्याचा निर्णय घेतला आहे.
मुंबई – खासगी आंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था स्टँडर्ड चार्टर्ड इंडियाने मालमत्ता व्यवस्थापनातील मॉर्गन स्टॅन्ले इंडियाला खरेदी करण्याचा निर्णय घेतला आहे. बँकिंग सेवेबरोबर मालमत्ता व्यवस्थापनातही आपले हातपाय पसरण्याच्या दृष्टीने मॉर्गन स्टॅन्लेची खरेदी स्टँडर्ड चार्टर्डसाठी महत्त्वाची ठरणार आहे.

तब्बल १० वर्षाच्या कालावधीनंतर स्टँडर्ड चार्टर्डने २००६ मध्ये भारतात पुन्हा एकदा बँकिंग सेवा सुरू केली. गेल्या सहा वर्षामध्ये बँकिंग क्षेत्रात चांगली कामगिरी करून बँकेने व्यावसायिक उलाढाल ३० टक्क्यांपर्यंत वाढवली आहे. मॉर्गन स्टॅन्ले इंडियावर ताबा मिळवल्याने बँकेला मालमत्ता व्यवस्थापनातही विस्तार करणे शक्य होईल, असे जाणकारांचे म्हणणे आहे. सध्या मॉर्गन स्टॅन्ले इंडियाचे ४०० कर्मचारी असून जवळपास ८० कोटी डॉलर्सची उलाढाल आहे. गेल्या काही वर्षात अनेक परदेशी बँकांनी व्यवसाय बंद करण्याचा निर्णय घेतला आहे. बँक ऑफ अमेरिका, डॉइश बँक आणि बार्कलेज यांनी देशातील क्रेडिट कार्डचा व्यवसाय इतर बँकांना विकला, तर रॉयल बँक ऑफ स्कॉटलंडही देशातील व्यवसाय विक्री करण्याच्या तयारीत आहे.

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सॅमसंगचा १४वा स्मार्टफोन बाजारात

आघाडीची स्मार्टफोन उत्पादक सॅमसंगने गॅलॅक्सी सिरिजमधील क्वाट्रो हा नवा स्मार्टफोन सोमवारी भारतीय बाजारपेठेत सादर केला.
नवी दिल्ली – आघाडीची स्मार्टफोन उत्पादक सॅमसंगने गॅलॅक्सी सिरिजमधील क्वाट्रो हा नवा स्मार्टफोन सोमवारी भारतीय बाजारपेठेत सादर केला.

४.७ इंचांचा डिस्प्ले असलेला या डय़ुअल सिम स्मार्टफोनमध्ये १.२ गेगाहर्ट्झचा प्रोसेसर आहे. तसेच अँड्रॉइड ४.१ आणि पाच मेगा पिक्सेलचा कॅमेरा आहे. याआधी जानेवारीमध्ये बाजारात आणलेल्या गॅलॅक्सी ग्रँडला चांगला प्रतिसाद मिळाला असून याच श्रेणीतील क्वाट्रो ग्राहकांच्या स्मार्टफोन बाबतच्या गरजा पूर्ण करेल, असा विश्वास सॅमसंग इंडियाचे प्रमुख विनीत तनेजा यांनी सांगितले.

गॅलॅक्सी क्वाट्रोची किंमत १७,२९० रुपये आहे. तर क्वाट्रोमुळे कंपनीच्या स्मार्टफोनची संख्या १४ वर गेली आहे. गॅलॅक्सी श्रेणीला बाजारात मोठी मागणी असून यामुळे सॅमसंगने स्मार्टफोन बाजारपेठेतील आपले अव्वल स्थान कायम ठेवले आहे.

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स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण

स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण

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आयपीएल स्पर्धा रद्द होणार नाही

आयपीएल स्पर्धा रद्द होणार नाही

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सर्वोच्च न्यायालयाचा निर्णय

सर्वोच्च न्यायालयाचा निर्णय

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याप्रकरणी १५ दिवसात चौकशी पूर्ण करण्याचे बीसीसीआयला आदेश

याप्रकरणी १५ दिवसात चौकशी पूर्ण करण्याचे बीसीसीआयला आदेश

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'आयपीएल रद्द होणार नाही'

स्पॉट फिक्सिंग प्रकरणानंतर प्ले ऑफ सामने न खेळवता संपूर्ण स्पर्धा रद्द करण्याची मागणी सर्वोच्च न्यायालयाने फेटाळून लावली आहे.

नवी दिल्ली – स्पॉट फिक्सिंग प्रकरणानंतर प्ले ऑफ सामने न खेळवता संपूर्ण स्पर्धा रद्द करण्याची मागणी सर्वोच्च न्यायालयाने फेटाळून लावली आहे. एका जनहित याचिकेद्वारे ही मागणी करण्यात आली  होती.

तीन क्रिकेटपटूंनी सामने निश्चित (फिक्स) केल्याचे पोलिसांच्या अहवालात स्पष्ट झाले असले तरीही त्यामुळे संपूर्ण स्पर्धा रद्द करणे योग्य ठरणार नाही. याप्रकरणी पोलिस तसेच बीसीसीआयची चौकशी सुरु आहे. बीसीसीआयने एकूण प्रकरणाची गंभीर दखल घेत दोषी क्रिकेटपटूंवर कडक कारवाई करावी असे सर्वोच्च न्यायालयाने म्हटले आहे.

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विंदू दारासिंगला अटक

स्पॉट फिक्सिंग प्रकरणी अभिनेता विंदू दारासिंगला मुंबईच्या गुन्हे अन्वेषण विभागाने अटक केली आहे.

मुंबई – स्पॉट फिक्सिंग प्रकरणातील बॉलिवूड कनेक्शन उघड झाले आहे. याप्रकरणी अभिनेता विंदू दारासिंग याला मुंबईच्या गुन्हे अन्वेषण विभागाने राहत्या घरातून अटक केली आहे.  विंदूचे रमेश  व्यास  या बूकीशी संबंध असल्याचा संशय व्यक्त केला जात आहे.

विदू दारासिंग हा दिवंगत अभिनेते दारासिंग यांचा मुलगा असून नुकतेच त्याने बीग बॉस हा रिअँलिटी शो जिंकला होता.

दरम्यान, माजी रणजी खेळाडू बाबूराव यादव यालाही दिल्ली पोलिसांनी सोमवारी रात्री उशिरा अटक केली आहे. चंडेलियाला बूकी सुनील भाटिया याच्याशी ओळख करुन दिल्याचा आरोप यादव याच्यावर आहे. आत्तापर्यंत याप्रकरणी १८ खेळाडू तसेच ११ बूकींना अटक करण्यात आली आहे.

 

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कॅग अहवाल फोडला नाही – राय

कोळसा खाणवाटप गैरव्यवहार प्रकरणाचा अहवाल फोडल्याच्या आरोपाचे समितीचे मावळते महालेखापरिक्षक विनोद राय यांनी खंडन केले आहे.

नवी दिल्ली – कोळसा खाणवाटप गैरव्यवहार प्रकरणाचा अहवाल फोडल्याच्या आरोपाचे समितीचे मावळते महालेखापरिक्षक विनोद राय यांनी खंडन केले आहे.

अहवालाचे ऑडिट सुरु असताना माहिती अधिकारांतर्गत एखाद्या व्यक्तीने माहिती मागितल्यास ती देणे बंधनकारक असते. त्यामुळे आम्ही कॅगसंदर्भातील कोणतीही माहिती फोडलेली नाही, असे राय यांनी सांगितले.

कॅगचा अहवाल संसदेत मांडला जाईपर्यंत तो कोणीही पाहू नये अशा आशयाचे लेखी पत्र राय यांनी पंतप्रधानांना लिहिले होते. याप्रकरणी कायदेमंत्र्यांनी हस्तक्षेप करावा असेही या पत्रात नमूद करण्यात आले होते.

यासंदर्भात अर्थमंत्री, संसदीय कामकाज मंत्री आणि लोकसभेचे सभापती यांच्यासोबत चर्चा करण्यात आली. मात्र माहितीच्या अधिकांतर्गत कॅगची माहिती दिल्याने संसदेचा हक्कभंग होत नाही असा निष्कर्ष काढण्यात आला.

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उष्माघातामुळे मध्यप्रदेशात तीन जणांचा मृत्यू

मध्यप्रदेशात उष्माघातामुळे तीन जण दगावल्याची घटना घडली आहे.
भोपाळ – मध्यप्रदेशात उष्माघातामुळे तीन जण दगावल्याची घटना घडली आहे.

मध्यप्रदेशात तापमानाने ४६ अंशाचा पारा गाठला आहे. या अतिउष्णतेमुळे येथील जनजीवन विस्कळित झाले आहे. उष्माघातामुळे सोमवारी दुपारी एका ५० वर्षीय व्यक्तीचा मृत्यू झाला. तर राष्ट्रीय महामार्गानजीक असलेल्या आंब्याच्या झाडाखाली एका तरुणाचा उष्माघातामुळे मृत्यू झाल्याचे स्पष्ट झाले.

ग्वाल्हेर येथील पोलिस प्रशिक्षण केंद्रातही एका पोलिस युवक दगावला आहे. दरम्यान, सोमवारी, मध्यप्रदेशातील तापमानाने उच्चांकी पातळी गाठली होती.

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श्री'अ'शांत

स्पॉट फिक्सिंग प्रकरणात दोषी असलेला क्रिकेटपटू श्रीसंतला दिल्लीतील न्यायालयात हजर करण्यात आले.

 

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कडक सुरक्षा व्यवस्था

हुरियत कॉन्फर्न्सने पुकारलेल्या संपाच्या पार्श्वभूमीवर श्रीनगरमध्ये सुरक्षा व्यवस्था कडक करण्यात आली आहे.

 

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श्रद्धांजली

माजी पंतप्रधान राजीव गांधी यांच्या २२ व्या पुण्यतिथीनिमित्त पंतप्रधान मनमोहन सिंग आणि प्रियांका वाधवा यांनी श्रद्धांजली  वाहिली.

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रोजचं 'झुल्यावरचं' जगणं

मुंबईच्या रस्त्यालगत आपल्या पोटाची खळगी भरणा-या या आजीला आपल्या नातवासाठी ‘सॉफ्ट टॉइज’ खरेदी करणं परिस्थितीमुळे अशक्य आहे आणि म्हणूनच रोजच्या झुल्यावरच्या जगण्याचं बाळकडू आजीने या चिमुरड्याला आतापासूनच द्यायला सुरुवात केली आहे.

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चेन्नईचा फलंदाजीचा निर्णय

आयपीएल ६, 'प्ले ऑफ' फेरीच्या पहिल्या लढतीत चेन्नई सुपर किंग्जने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला आहे.

नवी दिल्ली - 'प्ले ऑफ' फेरीच्या पहिल्या लढतीत चेन्नई सुपर किंग्जने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला आहे.

 चेन्नई सुपर किंग्ज विरुद्ध मुंबई इंडियन्स सामन्याचे LIVE क्रिकेट स्कोअर पहाण्यासाठी येथे क्लिक करा

आयपीएलच्या सहाव्या हंगामातील 'प्ले ऑफ' फेरीच्या पहिल्या लढतीत फिरोजशा कोटला मैदानावर पहिल्या क्रमांकावरील चेन्नई सुपर किंग्ज आणि दुस-या क्रमांकावरील मुंबई इंडियन्स या दोन्ही संघांची या मोसमातील कामगिरी समसमान असल्याने चुरशीची लढत अपेक्षित आहे.

त्यातच कोटलाची खेळपट्टी 'खतरनाक' म्हणून प्रचलित असल्याने दोन्ही संघांचा कस लागेल. चेन्नई आणि मुंबईची सर्वाधिक भिस्त फलंदाजीवर आहे. माइक हसी, सुरेश रैना आणि कर्णधार महेंद्रसिंग ढोणीवर चेन्नईची तसेच विक्रमवीर सचिन तेंडुलकरसह दिनेश कार्तिक, कर्णधार रोहित शर्मा आणि किरॉन पोलार्डवर मुंबईची फलंदाजीची मदार आहे. बंगळूरुचे आव्हान साखळीतच संपुष्टात आल्याने 'ऑरेंज कॅप' पटकावण्याची संधी हसीला आहे.

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महालेखापालपदी शशिकांत शर्मा यांची नियुक्ती

भारताचे नवीन महालेखापाल म्हणून संरक्षण सचिव शशिकांत शर्मा यांची नियुक्ती करण्यात आली आहे.           

नवी दिल्ली- भारताचे नवीन महालेखापाल म्हणून संरक्षण सचिव शशिकांत शर्मा यांचे नाव मंगळवारी घोषित करण्यात आले आहे. राष्ट्रपती प्रणव मुखर्जी २३ मे रोजी शर्मा यांना पद व गोपनीयतेची शपथ देणार आहेत.

शर्मा यांनी यॉर्क विद्यापीठातून राजशास्त्रात पदव्युत्तर पदवी घेतली आहे. आयएएस अधिकारी असलेल्या शर्मा यांनी वित्त सेवा विभागात सचिव म्हणून काम केले आहे.
'कॅग'च्या प्रमुखपदी सहा वर्षे किंवा वयाची ६५ वर्षे पूर्ण होईपर्यंत काम करता येते.

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प्रहार बातम्या- २१ मे २०१३

नमस्कार प्रहार बातम्यामध्ये आपलं स्वागत…

»स्पॉटफिक्सिंग प्रकरणी अभिनेता विंदू दारासिंगला अटक
»अमेरिकेला चक्रीवादळाचा तडाखा
»जागतिक जादू परिषदेचं मुंबईत आयोजन
»संरक्षण सचिव शशिकांत शर्मा यांची महालेखापालपदी निवड
»आयपीएल रद्द करण्याची मागणी सर्वोच्च न्यायालयानं फेटाळली

ऐकण्यासाठी येथे क्लिक करा… 21052013

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धडाकेबाज फलंदाजी…

पहिल्‍या प्‍ले ऑफ सामन्‍यात चेन्‍नईच्‍या सुरेश रैना (नाबाद ८२) आणि मायकेल हसीने (नाबाद ८६) धडाकेबाज फलंदाजी केली.

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पुणे वॉरियर्स आयपीएलमधून बाहेर

सहारा इंडियाच्या मालकीचा पुणे वॉरियर्स संघ आयपीएलमधून बाहेर पडला आहे.

नवी दिल्ली- सहारा इंडियाच्या मालकीचा पुणे वॉरियर्स संघ आयपीएलमधून बाहेर पडला आहे. आर्थिक बाबींवरून बीसीसीआयसोबत झालेल्या मतभेदांनंतर माघार घेत असल्याचे सहारातर्फे स्पष्ट करण्यात आले. दरम्यान, सहारा इंडिया हे भारतीय क्रिकेट संघाचे प्रायोजकत्वही काढून घेणार असल्याचे समजते.

फ्रँचायझी फी वरून बीसीसीआय आणि सहारामध्ये वाद झाले आहेत. ''तीन वर्षापूर्वी सर्वाधिक पैसे मोजून आम्ही संघ विकत घेतला. त्यात ९४ सामन्यांच्या हिशोबाने आम्ही फ्रँचायझी शुल्क भरले. मात्र प्रत्यक्षात आम्हाला ६४ सामने मिळाले. फ्रँचायझी फी कमी करण्याबाबत आम्ही आणि कोची फ्रँचायझीने बीसीसीआयला विनंती केली. पण आजतागायत बीसीसीआयने या विनंतीला प्रतिसाद दिलेला नाही,''असे सहारा इंडियातर्फे सांगण्यात आले आहे. सहाराने दुस-यांदा आयपीएलमधून माघार घेतली. गेल्या वर्षी (२०१२) क्रिकेटपटूंच्या लिलावावेळीही त्यांना तडकाफडकी माघारीचा निर्णय घेतला होता. २०१० मध्ये १७०२ कोटी रुपयांना सहाराने संघ विकत घेतला.

आयपीएलमधील हा सर्वात महागडा संघ होता. मात्र पुणे संघाची कामगिरी खूपच वाईट झाली. या मोसमात त्यांना आठव्या म्हणजे शेवटून दुस-या स्थानी समाधान मानावे लागले. दरम्यान, आयपीएलमधून अंग काढून घेतल्यानंतर सहारा इंडिया या वर्षाअखेर भारतीय क्रिकेट संघाचे प्रायोजकत्व काढून घेणार असल्याचे समजते.

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राशिभविष्य, २२ मे २०१३

दैनंदिन राशिभविष्य…

मेष : प्रसिद्धीच्या झोतात याल.



वृषभ : महत्त्वाच्या व्यक्तींशी घरोबा निर्माण होईल.

मिथुन : निसर्गरम्य ठिकाणांचे फोटो काढाल.
कर्क : गुंतवणुकीचे अनपेक्षित लाभ मिळतील.

सिंह : बाजारावर प्रभाव गाजवाल.

कन्या : तुमच्या क्षेत्रात आदरणीय ठराल.
तूळ : वारसाहक्काचे वाद सामोपचाराने मिटतील.

वृश्चिक : रुग्णसेवा हातून घडेल.

धनू : अचुकता हा तुमच्या यशाचा मंत्र असेल.

मकर : आहे तेथे पाय रोवून उभे राहाल.

कुंभ : जमिनीचे व्यवहार कराल.

मीन : महत्त्वाची स्थित्यंतरे होतील.

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आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार

भारतीय वाळू शिल्पकार सुदर्शन पटनायक यांना कोपनहेगन आंतरराष्ट्रीय वाळू शिल्प स्पर्धेत पुरस्कार मिळाला आहे. त्यांनी रंगाचा वापर करून परदेशात पहिल्यांदाच पर्यावरणाशी संबंधित १५ फूट उंचीचे वाळूचे शिल्प साकारले.

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Delievered to you by Feedamail.
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