संशय में हसरतों का ताना-बाना!
| देश भर के तमाम स्टूडेंट्स संशय में हैं। उलझनें बढ़ती जा रही हैं। सपने चकनाचूर होते दिख रहे हैं। कई सवाल जेहन में हैं, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं। बचा है तो सिर्फ संशय। 16 दिसंबर की घटना और उसके बाद से लगातार सुर्खियां बन रही ऐसी खबरों ने उनके ख्वाबों को मसल कर रख दिया है। आज वे कॉलेज जाने में घबराते हैं, उन्हें लगता है कि कोई अक्स है उनके पीछे। उनकी आजादी छिन गई है। पहले गाहे-बगाहे बजने वाले घरवालों के फोन की घंटियां अब एक दिन में कई-कई बार घनघनाती रहती हैं। बेफिक्र रहने वाली आंखें अब चिंता से सूजी जा रही हैं। हर वक्त यही फिक्र कि मेरा बच्चा कैसा होगा? क्या होगा उन नए आइडियाज और विजन का, जो देश की तरक्की के लिए उन्होंने देखे थे? आने वाला कल खौफजदा है, अपने भविष्य को लेकर। उसकी तकदीर लिखने वाले चुप हैं, आंखें बंद किए बैठे हैं। क्योंकि वायदों से भविष्य नहीं बनता। हाल ही में जिस तरह गर्ल्स स्टूडेंट्स के साथ अपराध बढ़े हैं उसे देख कर सभी सवाल उठाने लगे हैं, क्या अब हम कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं?.. |
Read More »
No comments:
Post a Comment